किसी ने सच कहा है कि अगर आप अपनी पसंद का काम करते हैं तो उसमें सफलता ज़रूर मिलती है। हरियाणा के नरेंदर यादव इंजीनियरिंग फ़ील्ड से जुड़े थें, मगर हमेशा से कुछ अलग करने की चाह थी। नरेंदर यादव और उनके दोस्त लोकेश ने यदुवंशी गोट फ़ार्म के नाम से बकरी पालन व्यवसाय की शुरुआत की। आज की तारीख में ये फ़ार्म हरियाणा के सबसे बड़े ब्रीडिंग फ़ार्मों में से एक है। किसान ऑफ़ इंडिया ने यदुवंशी गोट फ़ार्म के फाउंडर नरेंदर यादव से बकरी पालन व्यवसाय से जुड़ी कई बातों पर चर्चा की।
बकरी पालन ही क्यों चुना?
नरेंदर यादव कहते हैं कि इंजीनियरिंग छोड़ने के बाद पहले उन्होंने मोबाइल की दुकान खोली। फिर पोल्ट्री का काम शुरू करने के बारे में सोचा, मगर इसमें मृत्यु दर ज़्यादा होने की समस्या ज़्यादा थी। डेयरी उद्योग के बारे में भी रिसर्च किया। इसमें रिपिट ब्रिडिंग की समस्या थी। ऐसे में आमदनी से ज़्यादा खर्च हो जाता, इसलिए फिर बकरी पालन की ओर आए। उन्होंने कहा कि बकरी साल में दो बार बच्चे देती है। ईद में अच्छी कीमत मिलती है। लैक्टेशन पीरियड अच्छा होता है। रीपिट ब्रीडिंग की समस्या भी नहीं आती। इसलिए उन्होंने बकरी पालन व्यवसाय को चुना।
![बकरी पालन व्यवसाय goat farming yaduvanshi goat farm](https://www.kisanofindia.com/wp-content/uploads/2022/06/Untitled-design-2022-06-04T141450.789.jpg)
कितनी बकरियों से की शुरुआत?
नरेंदर यादव ने बताया कि वह 50 बकरी लेकर आए थे। इसमें से आधी मर गई क्योंकि वह उनपर ध्यान नहीं दे पाए। फिर उन्होंने अपने पार्टनर लोकेश के साथ 25 बकरियों का पूरा ध्यान रखना शुरू कर दिया। दो साल तक उन्होंने बकरियां नहीं बेची। उनके रखरखाव पर अच्छे से ध्यान दिया। आज की तारीख में 700 से ऊपर बकरियां उनके फ़ार्म में हैं।
![बकरी पालन व्यवसाय goat farming yaduvanshi goat farm](https://www.kisanofindia.com/wp-content/uploads/2022/06/Untitled-design-2022-06-04T141627.123.jpg)
कैसे करें बकरी पालन की शुरुआत?
नरेंदर यादव ने बिना कोई लोन लिए अपनी जमा पूंजी से व्यवसाय शुरू किया। नरेंदर यादव कहते हैं जो लोग लोन लेकर बकरी पालन व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं वो पहले तो बकरी पालन की ट्रेनिंग लें। ट्रेनिंग लेने के बाद उन्हें सर्टीफिकेट मिलेगा। फिर वह अपना आईटीआर ज़रूर भरें, क्योंकि बिना किसी आधार के बैंक लोन नहीं देता है। अगर आपके पास सही कागज़ात होंगे और आप अपने बिज़नेस प्रोजेक्ट कप लेकर स्पष्ट होंगे तो लोन और सब्सिडी मिलने में आसानी होगी।
![बकरी पालन व्यवसाय goat farming yaduvanshi goat farm](https://www.kisanofindia.com/wp-content/uploads/2022/06/Untitled-design-2022-06-04T141709.977.jpg)
सही नस्ल का चुनाव
अलग-अलग स्थान के हिसाब से बकरियों की नस्ल अलग होती है जैसे बंगाल में ब्लैक बंगाल, राजस्थान में सिरोही, उत्तर प्रदेश में जमनापुरी और जम्मू-कश्मीर में पश्मीना नस्ल मिलती है। नरेंदर यादव कहते हैं कि अगर आप बकरियों को अच्छी कीमत पर बेचना चाहते हैं तो फ़ेस्टिवल सीज़न का इंतज़ार करें।
बकरियों को क्या खिलाते हैं?
नरेंदर यादव बकरियों को पौष्टिक चीज़ें खिलाते हैं। वह बताते हैं कि लागत कम करने के लिए वह रोज़ाना मंडी जाकर गाजर, कद्दू, लौकी, टिंडे जैसी सब्ज़ियां खरीदते हैं। इन सब्जियों को बारीक काटकर बकरियों को चारे के रूप में देते हैं।
उन्होंने फ़ार्म में क्रॉस वंटिलेशन का ध्यान रखा हुआ है। खाने-पीने की सही व्यवस्था से लेकर साफ-सफाई का ख़ास ध्यान और हर बकरी के स्वास्थ्य का रिकॉर्ड भी रखा जाता है।
![बकरी पालन व्यवसाय goat farming yaduvanshi goat farm](https://www.kisanofindia.com/wp-content/uploads/2022/06/Untitled-design-2022-06-04T141755.815.jpg)
हरे चारे का प्रबंधन कैसे करें?
हरे चारे की समस्या सभी पशु पालकों के साथ होती है। इस समस्या से निपटने के लिए नरेंदर बताते हैं कि वह सितंबर से जई, रजका, चाइनीज़ सरसों उगाते हैं। 45-60 दिन के बाद कटाई की जा सकती है। ऐसे में मार्च तक जई चलेगा। फिर रजका नवंबर तक। मार्च में मक्का, बाजरा उगा सकते हैं, जो दिवाली तक चलता है। इस तरह हरे चारे की समस्या नहीं होगी। वह किसानों को 7-8 तरह का हरा चारा उगाने की सलाह देते हैं, क्योंकि सबके पौष्टिक तत्व अलग होते हैं। इससे रीपीट ब्रीडिंग की समस्या भी दूर होगी।
![बकरी पालन व्यवसाय goat farming yaduvanshi goat farm](https://www.kisanofindia.com/wp-content/uploads/2022/06/Untitled-design-2022-06-04T141859.738.jpg)
एक बकरी पर खर्च
व्यावसायिक बकरी पालन करने पर एक बकरी पर सालाना 6500 रुपये खर्च होते हैं। अगर कोई किसान चारे आदि का प्रबंधन खुद ही कर रहा है तो लागत कम हो जाती है। बकरी पालन करने वालों को वह सलाह देते हैं कि यदि वह मजदूर नहीं रख रहे हैं तो 15-20 बकरियों से शुरुआत कर सकते हैं, लेकिन मजदूर रखने पर 50 बकरियों के साथ फ़ार्म की शुरुआत करें। एक मजदूर का सालाना खर्च ही करीब 1.5 लाख रुपये तक हो जाता है। साथ ही वह लाभ कमाने के लिए दो साल तक बकरियां नहीं बेचने की सलाह देते हैं।
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