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पशुपालन हमेशा से ग्रामीण अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है। खेती के साथ जब पशुपालन जुड़ता है तो किसानों को अतिरिक्त आमदनी का स्रोत मिलता है। इसी सोच को आगे बढ़ाने के लिए सरकार ने मुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना की शुरुआत की है। यह योजना आज किसानों और पशुपालकों के लिए एक वरदान साबित हो रही है।
हाल ही में जामताड़ा ज़िले में इस योजना के तहत किसानों के बीच गाय, बकरी, मुर्गी और बतख के चूज़ों का वितरण किया गया। इसका उद्देश्य था कि ग्रामीण परिवार सिर्फ खेती पर निर्भर न रहें बल्कि पशुपालन को भी आजीविका का मज़बूत साधन बना सकें।
स्वरोज़गार और आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम
जामताड़ा के कई गांवों में आयोजित कार्यक्रम के दौरान 14 लाभुक परिवारों के बीच लगभग 1000 मुर्गी के चूज़े वितरित किए गए। इस मौके पर लाभुक किसान फिरोज अंसारी ने कहा कि मुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना ने उनके जैसे छोटे किसानों को बड़ा सहारा दिया है। उन्होंने बताया कि मुर्गी पालन से न केवल परिवार की ज़रूरतें पूरी होती हैं बल्कि अतिरिक्त आय भी प्राप्त होती है।
पशुपालन विभाग का मानना है कि इस योजना से जुड़े लाभार्थी आगे चलकर स्वरोज़गार की मिसाल बनेंगे। विभाग ने लोगों को प्रेरित करते हुए कहा कि अगर हर किसान खेती के साथ पशुपालन को अपनाए तो आय के कई नए रास्ते खुलेंगे।
योजना का मकसद – आर्थिक सशक्तिकरण
पशुपालन पदाधिकारी डॉ. मनोज कुमार ने कार्यक्रम में मौज़ूद किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना का मुख्य लक्ष्य किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है। उनका कहना था कि आज ज़रूरत है कि अन्नदाता सिर्फ खेती तक सीमित न रहें, बल्कि मुर्गी पालन, डेयरी और बकरी पालन जैसे व्यवसायों से भी जुड़ें।
उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार की ओर से साधन और सुविधा उपलब्ध कराए जा रहे हैं। अब किसानों को चाहिए कि वे इनका सही उपयोग करें और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में अपना योगदान दें।
स्वास्थ्य सुरक्षा पर भी दिया गया ध्यान
योजना के तहत वितरित किए गए सभी चूज़ों को टीका लगाया गया है ताकि भविष्य में उन्हें किसी बीमारी का खतरा न रहे। सप्लायर की ओर से बताया गया कि पूरी सतर्कता बरती गई है और चूज़ों का स्वास्थ्य परीक्षण भी किया गया है। इससे किसानों को आश्वस्ति मिली है कि उनका पालन सुरक्षित रहेगा और नुकसान की संभावना कम होगी।
महिलाओं और युवाओं के लिए भी अवसर
मुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना का एक बड़ा फ़ायदा यह है कि इससे गांव की महिलाओं और युवाओं को भी रोज़गार मिल रहा है। कई महिलाएं मुर्गी पालन और बकरी पालन को छोटे स्तर पर शुरू कर रही हैं और धीरे-धीरे बड़े व्यवसाय में बदल रही हैं। इससे न केवल परिवार की आय बढ़ रही है बल्कि गांव की अर्थव्यवस्था भी मज़बूत हो रही है।
किसानों की सकारात्मक प्रतिक्रिया
लाभुक किसानों ने इस योजना को सराहते हुए कहा कि पहले पशुपालन शुरू करना मुश्क़िल लगता था क्योंकि पूंजी और साधन की कमी रहती थी। लेकिन अब सरकार की ओर से मुफ्त या कम लागत पर चूज़े और अन्य सुविधाएं मिल रही हैं। इसने उनके आत्मविश्वास को बढ़ाया है।
आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बड़ा कदम
ग्रामीण इलाकों में खेती के साथ पशुपालन को जोड़ने की यह पहल वास्तव में किसानों के लिए लाभकारी है। मुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना ने दिखा दिया है कि अगर सरकार और किसान साथ मिलकर काम करें तो आत्मनिर्भरता की राह आसान हो सकती है। जामताड़ा जैसे जिलों में इस योजना के परिणाम धीरे-धीरे सामने आ रहे हैं। आने वाले समय में जब ये चूज़े बड़े होकर अंडा और मांस उत्पादन देंगे, तो किसानों की आय में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।
निष्कर्ष
आज के समय में किसानों को सिर्फ पारंपरिक खेती पर निर्भर रहना कठिन हो गया है। मौसम की अनिश्चितता और लागत बढ़ने से आमदनी प्रभावित होती है। ऐसे में मुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना जैसी पहल किसानों के लिए एक नई उम्मीद लेकर आई है।
जामताड़ा में हुए चूज़ा वितरण कार्यक्रम ने यह साबित कर दिया कि सही मार्गदर्शन और सरकारी सहयोग से किसान न केवल अपनी आय बढ़ा सकते हैं बल्कि गांव की अर्थव्यवस्था को भी मज़बूती दे सकते हैं। आने वाले समय में यह योजना पशुपालकों के लिए आत्मनिर्भरता की नई कहानी लिखेगी।
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