Table of Contents
त्रिपुरा राज्य में मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए एक बड़ा एक्वा पार्क (Integrated Aqua Park) बनाया जा रहा है। यह पार्क त्रिपुरा के कैलाशहर में बन रहा है और इसका उद्देश्य है:
- मछली का अच्छा बीज (fish seed) तैयार करना
- आधुनिक हैचरी और RAS तकनीक का इस्तेमाल
- मछुआरों को रोजगार और प्रशिक्षण देना
- मछली के निर्यात और पर्यटन को बढ़ावा देना
42.4 करोड़ रुपये की लागत
इस एक्वा पार्क को प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) के तहत बनाया जा रहा है। इसमें ₹42.4 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं। ये केंद्र पूरी तरह से आधुनिक सुविधाओं से लैस होगा।
18 मई 2025 को होगा शिलान्यास और मछली महोत्सव
18 मई 2025 को अगरतला (त्रिपुरा) से देश के मत्स्य पालन मंत्री और पंचायती राज मंत्री श्री राजीव रंजन सिंह (ललन सिंह) इसका शिलान्यास करेंगे। इसी दिन एक दिन का मछली महोत्सव (Fish Festival) भी मनाया जाएगा।
प्रधानमंत्री ने भी मछली पालन में तकनीक को बताया जरूरी
कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने मछली पालन की प्रगति पर एक बैठक की थी। इस बैठक में विशेष रूप से Exclusive Economic Zone (EEZ) और High Seas में मछली पकड़ने की संभावनाओं की समीक्षा की गई। बैठक में मछली पालन क्षेत्र में आधुनिक तकनीक के उपयोग और सतत विकास को लेकर कई अहम सुझाव दिए गए।
सैटेलाइट और ड्रोन तकनीक के उपयोग पर ज़ोर
प्रधानमंत्री ने सैटेलाइट तकनीक के व्यापक उपयोग पर जोर दिया, जिससे मछली संसाधनों का बेहतर दोहन किया जा सके और मछुआरों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
इसके अलावा, उन्होंने मछली के परिवहन और मार्केट में ड्रोन के प्रयोग की संभावनाओं पर भी बल दिया। उन्होंने कहा कि तकनीकी प्रोटोकॉल के तहत मछली को उत्पादन केंद्रों से नजदीकी शहरों/बाजारों तक ड्रोन से पहुंचाना एक बड़ा बदलाव ला सकता है।
स्मार्ट हार्बर और आधुनिक मछली बाज़ार की दिशा में कदम
प्रधानमंत्री मोदी ने मछली पालन क्षेत्र में स्मार्ट हार्बर और आधुनिक मछली बाजारों की स्थापना की आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि बेहतर बुनियादी ढांचे से न केवल गुणवत्ता बढ़ेगी बल्कि मछुआरों की आमदनी भी बेहतर होगी।
प्रोसेसिंग और पैकेजिंग में सुधार ज़रूरी
प्रधानमंत्री ने मछली की प्रोसेसिंग और पैकेजिंग में सुधार की आवश्यकता पर ज़ोर दिया ताकि उत्पाद की गुणवत्ता और शेल्फ-लाइफ बढ़ाई जा सके। इसके साथ ही उन्होंने निजी क्षेत्र से निवेश को आकर्षित करने के उपायों पर भी चर्चा की।
अमृत सरोवरों में मछली पालन: सतत विकास की ओर कदम
प्रधानमंत्री ने अमृत सरोवरों में भी मछली पालन बढ़ाने की बात कही। इससे पानी के स्रोत भी बचेंगे और लोगों को रोज़गार भी मिलेगा। साथ ही सजावटी मछलियों (Ornamental Fish) को भी बढ़ावा देने की बात हुई, जो घरों और एक्वेरियम में इस्तेमाल होती हैं और अच्छी कमाई का ज़रिया बन सकती हैं।
भू-आवेष्ठित क्षेत्रों में मछली की आपूर्ति बढ़ाने की योजना
प्रधानमंत्री ने कहा कि उन जगहों पर जहां समुद्र नहीं है, वहां मछली की डिमांड तो है लेकिन सप्लाई नहीं- इसलिए इन इलाकों के लिए भी खास योजना बनाई जानी चाहिए।
समुद्री शैवाल का औद्योगिक उपयोग
प्रधानमंत्री ने समुद्री शैवाल (Seaweed) को ईंधन, पोषक तत्वों, औषधियों और अन्य उद्योगों में उपयोग करने की संभावनाओं पर विचार करने को कहा। उन्होंने संबंधित विभागों से आपसी और तकनीकी सहयोग से इस क्षेत्र को विकसित करने की अपील की। पीएम ने कहा कि इस पर भी वैज्ञानिक तरीके से काम किया जाए।
आधुनिक प्रशिक्षण और नकारात्मक सूची का सुझाव
प्रधानमंत्री ने मछुआरों को आधुनिक मत्स्य पालन विधियों का प्रशिक्षण देने पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि मछुआरों को नई तकनीक और आधुनिक तरीकों की ट्रेनिंग दी जाए, और उन कामों की एक लिस्ट बनाई जाए जो मछली पालन में बाधा बन रहे हैं ताकि उन्हें हटाया जा सके।
मछली पालन क्षेत्र में सरकारी योजनाओं का योगदान
सरकार ने 2015 से अब तक ₹38,572 करोड़ की राशि विभिन्न योजनाओं के तहत मछली पालन क्षेत्र में निवेश की है। इन योजनाओं में प्रमुख हैं:
- ब्लू रेवोल्यूशन स्कीम
- मत्स्य और जलीय कृषि आधारभूत ढांचा विकास निधि (FIDF)
- प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY)
- प्रधानमंत्री मत्स्य समृद्धि सहाय योजना (PM-MKSSY)
- किसान क्रेडिट कार्ड (KCC)
2024-25 में भारत ने 195 लाख टन वार्षिक मछली उत्पादन किया है, और मछली पालन क्षेत्र की वार्षिक वृद्धि दर 9% से ज़्यादा रही है।
निष्कर्ष (Conclusion)
इस बैठक में मछली पालन से जुड़े कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई जैसे तकनीक का बेहतर इस्तेमाल, प्रोसेसिंग की गुणवत्ता, और बाज़ार तक ताज़ा मछली पहुंचाने के नए तरीके। ड्रोन, सैटेलाइट और आधुनिक हार्बर जैसी चीज़ों की बात ज़रूर हुई, लेकिन ज़मीनी असर इस बात पर निर्भर करेगा कि इन पर कितनी तेज़ी और गंभीरता से काम होता है। अगर सही दिशा में कदम उठाए गए, तो इससे लोगों की आमदनी और रोज़गार के मौके बढ़ेंगे।
सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।