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भारत समेत पूरी दुनिया की लगभग 60 फ़ीसदी आबादी का भोजन धान से पूरा होता है। अपने देश में गंगा के मैदानी इलाकों में धान की खेती (Paddy farming) बड़ी तादाद में की जाती है। परंपरागत रूप से, किसान धान की खेती के लिए खेतों में पानी भर देते हैं। ये तरीक़ा काफ़ी ज़्यादा पानी और मेहनत मांगता है। आज के समय में ऐसे नए तरीके भी ईज़ाद हुए हैं जिनमें कम संसाधन के साथ किसान धान की अच्छी पैदावार कर सकते हैं।
धान भारत की एक महत्वपूर्ण खरीफ़ फ़सल (Kharif Crop) है। धान से ही चावल निकाला जाता है। देश के 36.95 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में धान की खेती की जाती है, जो भारत को धान का सबसे बड़ा उत्पादक देश बनाता है। यहां धान की खेती कई तरह के वातावरण में की जाती है। जैसे- समुद्र तटीय क्षेत्र, गहरे पानी वाले इलाके, बारिश पर निर्भर निचले और ऊंचे क्षेत्र, और सिंचाई वाले इलाके वगैरह।
आज हम बात करेंगे कि कैसे आप धान के लिए अपने खेत की उत्पादकता (Farm productivity) बढ़ा सकते हैं। तो आइए, जानते हैं धान की खेती (Paddy Cultivation) के आधुनिक और कारगर तरीकों के बारे में।
धान की खेती के तरीके (Methods Of Paddy Cultivation)
धान की खेती के तरीके अलग-अलग हैं। सभी तरीकों के अपने फ़ायदे और चुनौतियां हैं। आइए इनको समझते हैं-
1. रोपाई विधि (Transplantation Method): धान की रोपाई विधि सबसे लोकप्रिय है। इसमें पहले नर्सरी में बीज बोए जाते हैं। जब पौधे थोड़े बड़े हो जाते हैं, तब उन्हें खेत में लगा दिया जाता है। ये तरीका अच्छी फ़सल देता है, लेकिन इसमें मेहनत ज़्यादा लगती है।
2. प्रसारण विधि (Broadcast Method): इस तरीके में आमतौर पर बीजों को बड़े क्षेत्र या पूरे खेत में हाथ से बिखेरा जाता है। इसमें मेहनत बहुत कम लगती है और सटीकता भी कम होती है।
3. जापानी विधि (Japanese Method) : इसमें चावल की अच्छी उपज देने वाली किस्मों और उन किस्मों के लिए अपनाया गया है जिन्हें ज़्यादा मात्रा में उर्वरकों (Fertiliser) की ज़रूरत होती है। बीजों को नर्सरी बेड में बोया जाता है और फिर खेत में रोपा जाता है। उच्च उपज (high yield) देने वाली किस्मों के लिए ज़बरदस्त फायदा मिलता है।
4. ड्रिलिंग विधि (Drilling Method): ड्रिलिंग विधि भारत में ही काफी ख़ास है। इस तरीके में ज़मीन में एक गड्ढा खोदते हैं और बीज बोते हैं। अक्सर बैलों की मदद से खेतों को जोता जाता है।
5. श्री विधि (SRI Method): ये चावल की खेती की एक और नई तकनीक है। ये कम पानी में ज़्यादा पैदावार देने वाली विधि है। लेकिन इसमें किसान को बहुत मेहनत करनी पड़ती है।
किसान अपने खेतों की हालत, उपलब्ध साधनों (Available Resources) और उनकी आशा के अनुरूप उपज (Expected Yield) के आधार पर इनमें से धान की खेती के तरीके को चुन सकते हैं। हर तरीके के फ़ायदे और नुकसान को समझकर सही फ़ैसला लेना बहुत ज़रूरी है।
धान की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी (Soil Suitable for Paddy Cultivation)
धान एक बहुमुखी फ़सल (Versatile Crop) है जो अलग-अलग तरह की मिट्टी में उगाई जा सकती है। इसकी खेती रेतीली दोमट से लेकर चिकनी मिट्टी तक में होती है। हालांकि, अनुभव और अध्ययन बताते हैं कि चिकनी दोमट मिट्टी धान की खेती के लिए अच्छी होती है। मिट्टी की अम्लीयता (पीएच मान) भी धान की खेती में काफी अहम भूमिका निभाती है।
धान के लिए आदर्श पीएच मान 5.5 से 6.5 के बीच होता है। ये थोड़ा अम्लीय स्तर (Acidic level) धान के विकास के लिए बेहतर माना जाता है। जब भी आप धान की खेती करने जा रहे हों तो अपने खेत की मिट्टी की जांच जरूर करवाएं ये आपको बेहतर फ़सल प्रबंधन (Crop Management) में मदद करेगा।
धान की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु परिस्थितियां (Suitable Climatic Conditions for Paddy Cultivation)
धान की सफल खेती के लिए सही जलवायु परिस्थितियां (Proper climatic conditions) बेहद ज़रूरी हैं। धान खासकर गर्म और नम जलवायु वाले इलाकों में बेहतर विकास करता है। आइए इसकी ज़रूरत को समझें:
तापमान:
• धान के लिए आदर्श तापमान सीमा 21°C से 38°C के बीच होती है।
• ये फ़सल 40°C तक के तापमान को सहन कर सकती है।
दिन की लंबाई:
• धान एक कम अवधी (short-day) वाला पौधा है।
• प्रजनन चरण (Reproductive phase) के दौरान लंबे दिन होने पर ये फूलने में देरी कर सकता है।
इन जलवायु संबंधी ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए, किसान अपने खेतों के हालात के अनुसार उचित धान के बीज चुन सकते हैं। इसके साथ ही, सिंचाई और दूसरे कृषि प्रबंधन तकनीकों (Agricultural Management Techniques) का इस्तेमाल करके अच्छी स्थितियां बना सकते हैं।
धान की खेती शुरू करने से पहले खेत ऐसे तैयार करें (How to Prepare the field for Paddy Cultivation)
सबसे पहले सूखी ज़मीन को ट्रैक्टर से अच्छी तरह जोतें। ये काम मानसून से पहले या पिछली फ़सल कटने के तुरंत बाद करें। इससे कीड़े और खरपतवार कम होंगे। इसके बाद खेत में पानी भरकर दो बार गाद करें। इन दोनों के बीच एक हफ़्ते का अंतर ज़रूर रखें। हर बार गाद करने के बाद खेत को बराबर करें। गाद करने से मिट्टी की नीचे की परत कड़ी हो जाती है, जिससे पानी ज़्यादा नहीं रिसता है।
चावल गहनता प्रणाली System of Rice Intensification (SRI) में खेत को चौकोर हिस्सों में बांटा जाता है। इस विधि में 8-12 दिन के छोटे पौधों को गीली मिट्टी में लगाया जाता है। इस वक्त पौधों में दो पत्तियां निकली होती हैं। ये तरीक़ा धान की अच्छी फ़सल के लिए जरूरी हैं। इनसे पौधों को बढ़ने के लिए सही माहौल मिलता है।
धान की खेती में पानी का प्रबंधन (Water Management in Paddy Cultivation)
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रोपाई के बाद पहले हफ़्ते खेत को पानी से भरपूर रखें। इससे पौधों की जड़ें अच्छी तरह जम जाएंगी।
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फिर पूरे वक्त खेत में 3 से 5 सेंटीमीटर पानी रखें। खाद डालने से पहले खेत को सुखाएं, फिर एक दिन बाद पानी दें।
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चावल को सबसे ज़्यादा पानी की ज़रूरत तब होती है जब बाली निकलने लगती है, फूल आते हैं और दाने भरते हैं।
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आमतौर पर, एक फ़सल के लिए करीब 1200 मिलीमीटर पानी चाहिए।
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कटाई से 10-15 दिन पहले पानी देना बंद कर दें।
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इन बातों को ध्यान में रखकर पानी दें तो फ़सल अच्छी होगी। सही समय पर सही मात्रा में पानी देना बहुत ज़रूरी है।
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धान की खेती (Paddy Cultivation) पर अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
सवाल : भारत में धान कहां-कहां उगाया जाता है?
जवाब: देश में सबसे ज़्यादा धान पश्चिम बंगाल में पैदा होता है। इसके बाद उत्तर-प्रदेश, ओडिशा, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, पंजाब, बिहार, छत्तीसगढ़, असम और हरियाणा का नंबर आता है।
सवाल : धान और चावल में क्या फ़र्क़ है?
जवाब: कई लोग धान और चावल को एक ही समझते हैं, पर ऐसा नहीं है। जब अनाज पौधे पर होता है, तब उसे धान कहते हैं। इस पर भूरे रंग का छिलका होता है। जब इस छिलके को उतार दिया जाता है, तब वही धान चावल बन जाता है। यानी, धान और चावल में बस छिलके का ही अंतर होता है।
सवाल : धान की खेती की श्री विधि क्या है?
जवाब: श्री विधि (SRI Method) में धान के खेत में पूरा पानी नहीं भरा जाता। बस इतना पानी दिया जाता है कि मिट्टी नम रहे। बाद में सिर्फ एक इंच पानी रखा जाता है। इस तरीके से आम तरीके की तुलना में आधा पानी ही लगता है। आजकल दुनिया भर के किसान इस तरीके को अपना रहे हैं।
सवाल : चावल उगाने का सबसे अच्छा तरीक़ा कौन सा है?
जवाब: भारत में चावल की खेती के लिए जापानी तरीक़ा बहुत लोकप्रिय है। इसमें ज़्यादा पैदावार देने वाले बीज इस्तेमाल किए जाते हैं। पहले पौधे को नर्सरी में उगाया जाता है ताकि वो सुरक्षित रहे। फिर उसे खेत में लाइनों में लगाया जाता है, जिससे खरपतवार निकालना आसान हो जाता है।
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