क्या भारत को ‘विश्व गुरु’ बनाएगा गौपालन? क्या इस कदम से बढ़ेगी किसानों की आमदनी?

कामधेनु दीपावली अभियान के ज़रिए देश के गौपालकों के जीवन में सुधार लाना है। अर्थव्यवस्था में अकेले डेयरी क्षेत्र की 4 फ़ीसदी की हिस्सेदारी है।

गौपालन (Cow Farming)

राष्ट्रीय कामधेनु आयोग ‘कामधेनु दीपावली अभियान’ के तहत गाय के गोबर और पंचगव्य उत्पादों के इस्तेमाल को बढ़ावा दे रहा है। इस अभियान के ज़रिए देश के गौपालकों के जीवन में सुधार लाना है। हमारे देश में किसान बड़ी संख्या में गौपालन से जुड़े हैं। अर्थव्यवस्था में अकेले डेयरी क्षेत्र की 4 फ़ीसदी की हिस्सेदारी है।

भारत 188 मिलियन टन दूध उत्पादन के साथ दुनिया का दूध का सबसे बड़ा उत्पादक देश है और 2024 तक इसके 330 मिलियन टन तक बढ़ने की उम्मीद है। विशेषज्ञों के मुताबिक  अगर गाय से जुड़े अन्य गौधन के इस्तेमाल को बढ़ावा मिले, तो गाय सिर्फ़ दूध उत्पादन तक ही सीमित न रहकर, अन्य उत्पादों से भी किसानों को लाभ दे सकती है।

देसी गाय को बढ़ावा

अगर गौधन को इस्तेमाल में लाया जाए तो इससे किसानों की आय में बढ़ोतरी होने की अच्छी संभावना तो है ही, साथ ही ये वातावरण को भी साफ रखने में मदद करेगा। ‘कामधेनु दीपावली’ देसी गाय को दूध, दही, घी के साथ-साथ गौमूत्र और गोबर के ज़रिए भी आर्थिक रूप से उपयोगी बनाने का अभियान है।

गौपालन ( cow farming)
तस्वीर साभार: thestatesman

गाय के गोबर से तैयार की गयीं कई सजावटी चीज़ें

पिछले साल की तरह, इस साल भी गाय के गोबर से बने 100 करोड़ दीये और लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति को घर-घर में दीवाली पूजन के लिए उपयोग में लाने की दिशा में काम किया गया।  इस बार ‘कामधेनु दीपावली’ को और बड़े पैमाने पर मनाने का फैसला किया गया। इससे हज़ारों गाय आधारित उद्यमियों को व्यवसाय का अवसर मिला। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 300 से ज़्यादा गौ उत्पाद तैयार किए गए। गोबर से दीयों, मोमबत्तियों, धूप, अगरबत्ती, शुभ-लाभ, स्वस्तिक, वॉल-पीस, पेपर-वेट, हवन सामग्री, भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी की मूर्तियां बनाई गईं।

आयोग ने कहा कि गौपालक और गौ-उद्यमियों द्वारा बनाये गए ये इको-फ़्रेंडली दीये, चाइनीज़ और केमिकल्स युक्त हानिकारक दीयों से बचाएंगे।

गौपालन ( cow farming) Kamdhenu Deepawali campaign
तस्वीर साभार: ANI

क्या भारत को ‘विश्व गुरु’ बनाएगा गौपालन? क्या इस कदम से बढ़ेगी किसानों की आमदनी?गौपालन बनाएगा भारत को फिर से ‘विश्व गुरु’

कामधेनु दीपावली 2021 पर एक  राष्ट्रीय वेबिनार आयोजित किया गया।  इसमें पूर्व केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. वल्लभभाई कथीरिया ने कहा कि आयोग ने किसानों, बेरोजगार युवाओं, महिलाओं, युवा उद्यमियों, गौशालाओं, गौपालकों, स्वयं सहायता समूहों सहित कई वर्गों में पंचगव्य (गोबर, गोमूत्र, दूध, दही, घी) उत्पादों के प्रति रुचि पैदा की है। उन्होंने कहा कि गौ आधारित अर्थव्यवस्था से ही भारत को फिर से ‘विश्व गुरु’ बनाने का सपना साकार हो सकता है। इस वेबिनार में भारत के कई राज्यों के उद्यमियों और गौ किसानों ने भाग लिया। केंद्रीय मत्स्य एवं पशुपालन मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला भी इस वेबिनार का हिस्सा रहे।

कृषि विज्ञान केंद्रों पर मिलेगी पंचगव्य उत्पादों की ट्रेनिंग

पुरुषोत्तम रुपाला ने वेबिनार में जुड़े सभी गौ-उद्यमियों को प्रोत्साहित किया। अंत्येष्टि क्रिया के लिए गाय के गोबर से बनी लकड़ी के इस्तेमाल को बढ़ावा देने की अपील की। समस्त भारतीयों से पंचगव्य उत्पादों के निर्माण और खरीद के ज़रिए ‘कामधेनु दीपावली’ अभियान से जुड़ने की अपील की।

उन्होंने बताया कि सभी कृषि विज्ञान केंद्रों पर गाय रखकर पंचगव्य उत्पादों का निर्माण एवं इसका  प्रशिक्षण कराया जाएगा। पुरुषोत्तम रुपाला ने सुझाव दिया कि जैसे गांधी जयंती पर खादी के उत्पादों की खरीद और बिक्री का चलन है, वैसे ही पंचगव्य उत्पादों की बिक्री के लिए भी दीपावली के आसपास कोई एक दिन तय किया जाना चाहिए।

गौपालन ( cow farming) Kamdhenu Deepawali campaign
तस्वीर साभार: hindusthansamachar

गौशाला होंगी आत्मनिर्भर

राष्ट्रीय कामधेनु आयोग को पूरी उम्मीद है कि गोबर से बने उत्पादों के इस्तेमाल से गौपालक किसान, गौ-उद्यमियों और महिला किसानों के लिए बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर खुलेंगे। ये प्रयास गौशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी कारगर साबित होगा।

गौपालन ( cow farming) Kamdhenu Deepawali campaign
तस्वीर साभार: newsncr

राष्ट्रीय कामधेनु आयोग क्या है?

राष्ट्रीय कामधेनु आयोग गौवंश की सुरक्षा, संरक्षण, विकास के लिए काम करता है। ये एक स्थायी निकाय है, जो गौपालन से संबंधित योजनाओं को बनाने और लागू करने की दिशा में काम करता है।

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सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल। 
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