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मोती की खेती (Pearl Farming Training) की लोकप्रियता बढ़ी है और अब इसकी खेती किसानों की आय और रोजगार का एक बड़ा ज़रिया बन रही है। मोती की खेती कम लागत में अधिक मुनाफा कमाने का अवसर देती है। इस लेख में हम मोती की खेती, इसके प्रशिक्षण केंद्रों से लेकर फीस और सरकारी योजनाओं समेत अन्य पहलुओं पर आसान भाषा में जानकारी देगें।
मोती (Pearl) की लोकप्रियता
भारत समेत पूरी दुनिया में पर्ल (Pearl Farming Training) यानि मोती की खासी डिमांड रहती है। इसे एक लग्ज़री जूलरी के तौर पर देखा जाता है। मोती को ले कर महिलाओं में एक अलग ही क्रेज़ रहता है। मोती एक नेचुरल जेमस्टोन (Natural Gemstones) है जो सीप से पैदा होता है। हाल के वर्षों में अपने देश और विदेशों में मोतियों की मांग तेजी से बढ़ी है।
समुद्री मोती के काफी ज़्यादा दोहन से इनका प्रोडक्शन कम होता जा रहा है। भारत इंटरनेशनल मार्केट से हर साल मोतियों का बड़ी मात्रा में आयात करता है। भारत में मोती की खेती (Pearl Farming Training) को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसकी खेती को एक्वाकल्चर कहा जाता है। इसमें किसान कृत्रिम वातावरण मोती को विकसित करते हैं।
मोती की बिक्री और बाज़ार
भारत में मोती की मांग लगातार बढ़ रही है। जयपुर, हैदराबाद, और मुंबई जैसे शहरों में मोती की अच्छी कीमत मिलती है। इसके अलावा, ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और ज्वेलरी निर्माता भी मोती खरीदते हैं। उच्च गुणवत्ता वाले डिजाइनर मोती की कीमत 10,000 रुपये तक हो सकती है।
मोती की खेती के लिए आवश्यकताएं
1. तालाब का निर्माण
मोती की खेती के लिए एक उपयुक्त तालाब की आवश्यकता होती है। तालाब का आकार और गहराई स्थान और उपलब्ध संसाधनों पर निर्भर करती है। सामान्यतः 5000 वर्गफुट क्षेत्रफल और 12 फीट गहराई वाला तालाब उपयुक्त माना जाता है। तालाब के निर्माण में मिट्टी की गुणवत्ता, जल स्रोत, और जल की स्थिरता का ध्यान रखना आवश्यक है।
2. सीप की उपलब्धता
उच्च गुणवत्ता वाले सीपों की प्राप्ति मोती की गुणवत्ता को प्रभावित करती है। भारत में दक्षिण भारत और बिहार के दरभंगा जिले के सीपों को श्रेष्ठ माना जाता है। इन क्षेत्रों से सीपों की खरीदारी की जा सकती है।
3. प्रशिक्षण
मोती की खेती एक तकनीकी प्रक्रिया है, जिसमें सीप की सर्जरी, न्यूक्लियस डालना, और तालाब की देखभाल शामिल है। इसलिए, इस क्षेत्र में प्रशिक्षण लेना अत्यंत आवश्यक है।
मोती की खेती पर सब्सिडी प्राप्त करने के लिए पात्रता, आवश्यक दस्तावेज और आवेदन प्रक्रिया इस प्रकार है:
मोती की खेती के लिए पात्रता:
आवेदक का भारतीय नागरिक होना अनिवार्य है और उसका मुख्य व्यवसाय कृषि होना चाहिए। साथ ही, उसे भारत में मोती पालन से संबंधित प्रशिक्षण प्राप्त होना चाहिए।
आवेदन के लिए जरूरी दस्तावेज़
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निवास प्रमाण पत्र
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जाति प्रमाण पत्र
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आधार कार्ड
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बैंक खाता विवरण
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तालाब की जानकारी और खेती से जुड़ी पूरी जानकारी
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पासपोर्ट आकार की हालिया तस्वीरें
प्रशिक्षण की फ़ीस
प्रशिक्षण की फीस संस्थान और कार्यक्रम की अवधि पर निर्भर करती है। सामान्यतः, प्रशिक्षण कार्यक्रमों की फीस ₹5,000 से ₹15,000 के बीच होती है। कुछ सरकारी संस्थान सब्सिडी या मुफ्त प्रशिक्षण भी प्रदान करते हैं, जिसके लिए पात्रता मानदंडों की पूर्ति आवश्यक होती है।
मोती की खेती की सरकारी योजनाएं और सब्सिडी
भारत सरकार और कई राज्य सरकारें मोती की खेती को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न योजनाएं चला रही हैं-
1. प्रधानमंत्री रोजगार योजना
इस योजना के तहत, किसानों को तालाब निर्माण और सीप पालन के लिए 50 लाख तक का लोन मिलता है, जिसमें 50 फीसदी तक की सब्सिडी उपलब्ध है। ये योजना ख़ासकर उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जि़ले में लागू की गई है।
2. राजस्थान सरकार की ओर से सब्सिडी
राजस्थान सरकार मोती की खेती के लिए किसानों को 12.5 लाख रूपये तक की सब्सिडी प्रदान करती है, जो कुल लागत का 50 फीसदी है। ये सब्सिडी तालाब निर्माण और अन्य ज़रूरतो के लिए उपयोग की जा सकती है।
3. अन्य राज्य सरकारों की योजनाएं
अन्य राज्य सरकारें भी मोती की खेती को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न योजनाएं चला रही हैं, जिनमें सब्सिडी, प्रशिक्षण, और तकनीकी सहायता शामिल हैं। किसानो अपने राज्य के कृषि विभाग से संपर्क कर इन योजनाओं के बारें में जान सकता है।
मोती की खेती में लागत
प्रारंभिक लागत
मोती की खेती की शुरूआती लागत में तालाब तैयार करवाना, सीप की खरीद, न्यूक्लियस, उपकरण, और प्रशिक्षण शामिल होते हैं। अनुमानित रूप से, 1000 सीपों के लिए कुल लागत 25,000 से 35,000 रूपये तक हो सकती है। तालाब निर्माण की लागत स्थान और आकार पर निर्भर करती है।
मोती की खेती से मुनाफ़ा
एक सीप से सामान्य रूप से दो मोती मिलते हैं। मोती की गुणवत्ता के अनुसार, एक मोती की कीमत 150 से 1000 रूपये तक हो सकती है। अगर 1000 सीपों में से 70 फीसदी सीप जीवित रहते हैं, तो लगभग 1400 मोती मिल जाते हैं। जिनकी बिक्री से 2 लाख रूपये से 3.5 लाख रूपये तक की आय हो सकती है।
सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।
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