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धान की अतिरिक्त खरीदारी की छत्तीसगढ़ की माँग नामंज़ूर

राज्य को 4,800 करोड़ रुपये की खाद्य सब्सिडी जल्द जारी होगी

MSP पर खरीदारी पर दिये जाने वाले अतिरिक्त बोनस के वित्तीय बोझ की भरपायी केन्द्रीय पूल के कोटे वाली खरीदारी से नहीं की जा सकती, क्योंकि भारत सरकार, भारतीय खाद्य निगम और राज्य सरकारों के बीच हुए समझौतों (MOU) के अनुकूल नहीं है। लिहाज़ा, छत्तीसगढ़ सरकार को अपनी योजना का बोझ ख़ुद ही उठाना होगा।

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केन्द्र सरकार ने छत्तीसगढ़ की इस माँग को नामंज़ूर कर दिया कि राज्य को खरीफ़ मार्केटिंग सीज़न (KMS) 2020-21 के लिए किसानों से 40 लाख मीट्रिक टन अतिरिक्त धान की ख़रीदारी की अनुमति दी जाए। केन्द्र सरकार ने केन्द्रीय पूल के लिए छत्तीसगढ़ के किसानों से होने वाली धान की खरीदारी की सीमा को बीते वर्षों की तरह 24 लाख मीट्रिक टन पर ही क़ायम रखा। हालाँकि, केन्द्रीय खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण पीयूष गोयल ने 27 फरवरी को दिल्ली में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मुलाकात के बाद खाद्य सब्सिडी के खाते में छत्तीसगढ़ के लिए 4,800 करोड़ रुपये जल्द जारी करने पर सहमति जतायी।

MOU की बाध्यता

केन्द्रीय खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने बताया है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के तहत केन्द्रीय पूल के लिए होने वाली धान की खरीदारी का कोटा पूरी तरह से भारत सरकार, भारतीय खाद्य निगम और राज्य सरकारों के बीच हुए समझौतों (MOU) पर आधारित होता है। इसके अनुसार, अगर कोई राज्य MSP के अलावा प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप में बोनस/वित्तीय प्रोत्साहन देकर अपने कोटे से ज़्यादा अनाज खरीदता है तो ऐसी अतिरिक्त मात्रा को केन्द्रीय पूल के बाहर माना जाएगा और इसे खरीदने के लिए भारतीय खाद्य निगम (FCI) बाध्य नहीं होगी। लिहाज़ा, अतिरिक्त खरीद का बोझ पूरी तरह से राज्य सरकार को  ही उठाना पड़ेगा। छत्तीसगढ़ इसी शर्त में रियायत चाहता है।

बोनस का खर्च राज्य पर ही होगा

लेकिन केन्द्र सरकार का कहना था कि खरीफ़ सीज़न 2020-21 के दौरान ‘मुख्यमंत्री की तस्वीर के साथ राजीव गाँधी किसान न्याय योजना (RGKNY) के तहत किसानों को प्रति एकड़ 10 हज़ार रुपये देने वाली परोक्ष प्रोत्साहन योजना’ का लाभ छत्तीसगढ़ के किसानों को दिया गया, जो धान की खरीद पर बोनस देने जैसा है। इसकी भरपायी केन्द्रीय पूल के कोटे वाली खरीदारी से नहीं की जा सकती, क्योंकि ये MOU के विरुद्ध है। लिहाज़ा, ऐसी योजना का बोझ छत्तीसगढ़ सरकार को अपने बूते ही उठाना होगा।

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