गर्मी बढ़ती देख किसान आन्दोलन ने किये नये उपाय
कपड़ों के टेंट, कूलर, पंखा और साफ़ पेयजल का इन्तज़ाम
किसान नेताओं ने खेती-बाड़ी की ज़रूरतों को देखते हुए अपने आन्दोलन में किसानों से बारी-बारी से पहुँचने को कहा है। इसके मुताबिक, किसी गाँव से पहले 20 किसान आएँगे। इसके हफ़्ते भर बाद अगले 20 अन्य किसान अपने खेतों का काम निपटाकर आ जाएँगे। जिन किसानों के ट्रैक्टर दिल्ली बॉर्डर पर होंगे, उनके गाँवों में उनके खेतों की जुताई साथी किसान अपने ट्रैक्टरों से करेंगे।
दिनों-दिन बढ़ रही गर्मी को देखते हुए किसान आन्दोलन ने भी नये उपाय अपनाने शुरू कर दिये हैं। हरियाणा के बहादुरगढ़ बार्डर पर जुटे किसानों ने नये बस स्टैंड के सामने लगाये गये प्लास्टिक के छोटे शामियानों की जगह कपड़ों के बने बड़े टेंट लगावा लिये हैं। अब हेमकुंट फाउंडेशन की ओर से बसाये गयी टेंट सिटी में किसान रात गुज़ारते हैं। यहाँ उन्हें आधार कार्ड देखकर प्रवेश दिया जाता है।
कूलर और पंखों का भी इन्तज़ाम
टेंट के अलावा किसानों को गर्मी से बचाने के लिए 100-100 कूलर और पंखे भी लगाये जाएँगे। साथ ही साफ़ पानी किसानों को मुहैया करवाने के लिए आरओ सिस्टम भी लगाये गये हैं। हेमकुंट फाउंडेशन का कहना है कि ज़रूरत पड़ने पर इन सुविधाओं को और बढ़ा दिया जाएगा।
फसल और आन्दोलन के बीच तालमेल
किसान नेताओं ने खेती-बाड़ी की ज़रूरतों को देखते हुए अपने आन्दोलन में किसानों से बारी-बारी से पहुँचने को कहा है। इसके मुताबिक, किसी गाँव से पहले 20 किसान आएँगे। इसके हफ़्ते भर बाद अगले 20 अन्य किसान अपने खेतों का काम निपटाकर आ जाएँगे। जिन किसानों के ट्रैक्टर दिल्ली बॉर्डर पर होंगे, उनके गाँवों में उनके खेतों की जुताई साथी किसान अपने ट्रैक्टरों से करेंगे।
जागरूकता के लिए गाँव-गाँव का दौरा
दिल्ली-जयपुर हाईवे-48 के खेड़ा बॉर्डर पर आन्दोलन में शामिल किसानों की संख्या को बढ़ाने को लेकर किसानों ने गाँव-गाँव जाकर किसानों को तीनों कृषि क़ानूनों के नुकसान से भी लोगों को अवगत कराने का रास्ता अपनाया है। इसके लिए पाँच-पाँच लोगों के दल बावल चौरासी खाप के गाँवों में भेजे जा रहे हैं, ताकि आन्दोलन को और मज़बूत दी जा सके।