किसानों का Digital अड्डा

पिछले साल के मुकाबले डेढ़ गुना ज़्यादा हुई गेहूँ की खरीद, लेकिन धान है गेहूँ से ढाई गुना आगे

जानें, MSP, PSS और MIS क्या हैं, कैसे काम करते हैं?

6 मई 2021 तक 323.67 लाख मीट्रिक टन गेहूँ खरीदा गया है जबकि पिछले साल इसकी मात्रा 216.01 लाख मीट्रिक टन थी। धान की सरकारी खरीद भी अब तक 727.41 लाख मीट्रिक टन से ज़्यादा रही है, जो गेहूँ से ढाई गुना यानी 125% अधिक है।

0

देश में इस साल गेहूँ और धान की बम्पर सरकारी खरीद हुई है। चालू रबी सीज़न में पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले इस साल अब तक करीब 50 फ़ीसदी गेहूँ की ज़्यादा सरकारी खरीद हो चुकी है। उपभोक्‍ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के आँकड़ों के अनुसार, 6 मई 2021 तक 323.67 लाख मीट्रिक टन गेहूँ खरीदा गया है जबकि पिछले साल इसकी मात्रा 216.01 लाख मीट्रिक टन थी।

धान की सरकारी खरीद भी अब तक 727.41 लाख मीट्रिक टन से ज़्यादा रही है, जो गेहूँ से ढाई गुना यानी 125% अधिक है।

ये भी पढ़ें – कोरोना काल की चुनौतियों के बावजूद जैविक उत्पादों का निर्यात 51% बढ़ा

गेहूँ और धान

पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड, चंडीगढ़, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली, गुजरात, जम्मू-कश्मीर तथा बिहार के 32.21 लाख किसानों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर सरकारी मंडियों में करीब 63,924.56 करोड़ रुपये का गेहूँ बेचकर अपना भुगतान पाया है। इसी दौरान रबी सीज़न के 22.04 लाख मीट्रिक टन धान की भी खरीदारी हुई है। इस तरह खरीफ और रबी दोनों को मिलाकर अब तक 1.1 करोड़ किसानों से 727.41 लाख मीट्रिक टन धान भी MSP पर खरीदा गया है। इसके लिए किसानों को 1.37 लाख करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है।

दलहन, तिहलन और खोपरा

केन्द्र सरकार ने राज्यों की माँग के अनुरूप, खरीफ और रबी के खरीद सीज़न के लिए मूल्य समर्थन योजना यानी PSS के तहत 107.31 लाख मीट्रिक टन दलहन और तिलहन तथा 1.74 लाख मीट्रिक टन खोपरा की खरीद को भी मंज़ूरी दे रखी है। हालाँकि, अभी PSS के इस्तेमाल की नौबत नहीं आयी, क्योंकि न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर अब तक 6.41 मीट्रिक टन मूँग, उड़द, तुअर, चना, मसूर, मूँगफली, सरसों और सोयाबीन की खरीदारी हुई है।

इसके लिए करीब चार लाख किसानों को 3.36 लाख करोड़ रुपये का भुगतान हुआ है। इसी तरह करीब 4 हज़ार किसानों से MSP पर 5,089 मीट्रिक टन खोपरा (बारहमासी फसल) खरीदा गया और उन्हें 52.4 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया।

ये भी पढ़ें – कोरोना के खतरों के बावजूद पंजाब में गेहूँ की बम्पर खरीद, DBT से 24 घंटे में भुगतान

MSP, PSS और MIS क्या हैं, कैसे काम करते हैं?

MSP की घोषणा और समीक्षा केन्द्र सरकार आमतौर पर रबी और खरीफ सीज़न से पहले करती है। जबति मूल्य समर्थन योजना यानी PSS तब लागू की जाती है, जब दलहन, तिलहन और खोपरा की कीमतें अपने न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी MSP से नीचे चली जातीं हैं। इसके तहत होने वाली खरीदारी में हुए नुकसान की 25 प्रतिशत भरपायी केन्द्र सरकार और 75 फ़ीसदी राज्य सरकारें करती हैं।

जबकि बाज़ार हस्तक्षेप योजना यानी MIS को जल्द खराब होने वाले फल-सब्ज़ी तथा बाग़वानी वाली फसलों की खरीद के लिए उस समय लागू किया जाता है जब पिछले साल की तुलना में इनका दाम 10 प्रतिशत तक गिर जाता है। ऐसी खरीदारी में केन्द्र और राज्य नुकसान की भरपायी आधा-आधा करते हैं।

MSP की व्यवस्था को जहाँ कृषि उपज मंडियों में भारतीय खाद्य निगम (FCI) से सहारा मिलता है, वहीं PSS और MIS के तहत होने वाली खरीदारी के लिए राज्य सरकारों की ओर से केन्द्रीय सहकारी संस्था नाफेड (National Agricultural Cooperative Marketing Federation of India, NAFED) के हस्तक्षेप की माँग की जाती है।

कोरोना को देखते हुए पिछले साल रबी फसलों के लिए PSS के तहत खरीद की दैनिक सीमा 25 से बढ़ाकर 40 क्विंटल प्रति व्यक्ति करके नाफेड से मंडी में उपज की आवक के बाद 90 दिनों तक खरीदारी करने के लिए कहा गया था। इस साल भी राज्यों से कहा गया है कि यदि कीमतों में गिरावट नज़र आये तो वो जल्द खराब होने वाली उपज की MIS के तहत खरीदारी के लिए अपने प्रस्ताव भेजें।

Kisan of India Instagram
सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या kisanofindia.mail@gmail.com पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।
मंडी भाव की जानकारी
ये भी पढ़ें:
You might also like
Leave A Reply

Your email address will not be published.