पुराने ज़माने में बैलों से खेतों की जुताई होती थी, लेकिन अब इसकी जगह ट्रैक्टरों ने ले ली है। इससे कम समय और परिश्रम में ज़्यादा क्षेत्र में जुताई हो जाती है। अगर इन विकसित तकनीकों का खेती में समावेश किया जाए तो यकीनन किसानों की स्थिति में सुधार होगा। राजस्थान के बारां ज़िले में एक किसान परिवार में जन्में योगेश नागर ने बिना ड्राइवर वाला ऑटोमैटिक ट्रैक्टर बनाकर एक बेहतरीन प्रयास किया है। जिस तरह आप कई इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स को रिमोट से ऑपरेट करते हैं, वैसे ही उन्होंने रिमोट से चलने वाला ट्रैक्टर बनाया है। उनके इस अनोखे आविष्कार के बारे में हमारे संवाददाता गौरव मनराल ने उनसे विस्तार से बात की।
मोबाइल पर आए मैसेज से मिला आइडिया
योगेश नागर को रिमोट वाला ट्रैक्टर बनाने का आइडिया मोबाइल पर आए एक मैसेज से आया। योगेश कहते हैं कि एक दिन मोबाइल पर कुछ मैसेज आया और उसमें एक लिंक भी था, जिसमें बताया गया था कि विदेशों में ट्रैक्टर बिना ड्राइवर के चलते हैं। आमतौर पर ऑटोमैटिक ट्रैक्टर बहुत महंगे होते हैं। किसानों के पास इतने पैसे नहीं होते कि वो इन्हें खरीद सकें। इसलिए उन्हें लगा कि क्यों न वो खुद ऐसा ही ट्रैक्टर बनाएं, जो किसानों के बजट में भी हो। योगेश आगे कहते हैं कि अपने इस आइडिया के बारे में पहले उन्होंने अपना पिता को बताया। वो थोड़े हैरान हुए, लेकिन योगेश को अपने पर पूरा विश्वास था कि वो ऐसा कर सकते हैं।
6 महीने में तैयार हुआ ऑटोमैटिक ट्रैक्टर
योगेश बताते हैं कि इस काम की शुरुआत के लिए उन्होंने अपने पिता से दो हज़ार से रुपये मांगे। ट्रैक्टर में मोडिफिकेशन के लिए कुछ पार्ट्स बाज़ार से खरीदे।
योगेश नागर ने 7 से 8 दिनों में ही बिना ड्राइवर के रिमोट से आगे-पीछे चलने वाले ट्रैक्टर का मॉडल तैयार कर दिया। योगेश ने बताया कि उनकी इस सफलता से पिता हैरान के साथ-साथ खुश हुए। पिता ने अपने दोस्तों से मदद मांगकर करीब 50 हज़ार रुपये जुटाकर उन्हें दिए। 6 महीने तक काम करने के बाद ट्रैक्टर पूरी तरह से ऑटोमैटिक बन गया।
क्या है ट्रैक्टर की ख़ासियत
अब घर बैठे कमांड देकर इस ट्रैक्टर को ऑपरेट किया जा सकता है। कितनी स्पीड में ट्रैक्टर चलना चाहिए, औजार कैसे काम करेंगे, जुताई कितनी गहरी करनी हैं, ऐसे कई काम ये ट्रैक्टर बिना ड्राइवर के कर सकता है।
योगेश बताते हैं कि उन्होंने जो किट तैयार की है, उसे किसान अपने किसी भी ट्रैक्टर में जोड़ सकते हैं। इस किट को लगाते ही ट्रैक्टर पूरी तरह से ऑटोमैटिक हो जाएगा। किट की कीमत 60 से 70 हज़ार रुपये है। इतना ही नहीं, यह हर ब्रांड के ट्रैक्टर में आसानी से फिट हो जाता है।
योगेश कहते हैं कि अब उनके पिता खेत में जाते हैं और पेड़ के नीचे रिमोट लेकर बैठ जाते हैं और कमांड देते रहते है। जब कभी मन नहीं हो तो घर बैठे ही कमांड दे देते हैं। इस तरह से उनका खेती का काम आसान हो गया।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टेक्नोलॉजी की मदद से तैयार किया ट्रैक्टर
योगेश बताते हैं कि इस ट्रैक्टर को उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टेक्नोलॉजी की मदद से तैयार किया है। अगर कभी कमांड नहीं दे पाते हैं या आपको कंट्रोल टूट जाता है, तो ट्रैक्टर सेल्फ कमांड लेने की क्षमता रखता है, जैसे कितने डिग्री पर घूमना है, कब ब्रेक लगना है आदि।
खेती में ज़रूरी है नई तकनीक
योगेश कहते हैं कि हमारी खेती की तकनीक बहुत पुरानी है, जिसे समय के साथ बदलना ज़रूरी है। पारंपरिक तरीके को पूरी तरह से छोड़ना ज़रूरी नहीं है, मगर इसके साथ नई तकनीक का इस्तेमाल करना ज़रूरी है ताकि मुनाफ़ा बढ़े।
हर तरह की मिट्टी के लिए उपयुक्त
योगश कहते हैं कि इस किट में प्रोग्रामिंग सेट है, जिससे अलग-अलग तरह की मिट्टी में इस्तेमाल से पहले किसान किट को जगह के हिसाब से सेट कर सकता है। इसके प्रोग्रामिंग बटन की मदद से किसान किट को अपने हिसाब से मोडिफाई कर सकते हैं। इतना ही नहीं, वह बताते हैं कि ऑटोमैटिक किट लगाने पर ट्रैक्टर की लाइफ़ भी 3 से 4 साल बढ़ जाएगी। ऐसा इसलिए क्योंकि ट्रैक्टर अधिक सटिकता से एक ही लय में चलेगा, जिससे ईंधन की बचत होगी।
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