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मणिपुर के आदिवासी इलाकों में एकीकृत कृषि प्रणाली (Integrated Farming System) ने किसानों की ज़िंदगी में बड़ा बदलाव किया है। इस प्रणाली ने यह साबित किया है कि यदि सही तरीके से कृषि की जाए तो किसानों की आय को बहुत बढ़ाया जा सकता है। इस मॉडल ने आदिवासी क्षेत्रों में खेती के तरीके को बदला और किसानों की मुश्किलें कम की हैं, आइए जानते हैं कैसे।
मणिपुर की कृषि चुनौतियां (Manipur’s Agricultural Challenges)
मणिपुर में ज़्यादातर खेती बारिश पर निर्भर होती है। यहां के किसान छोटी ज़मीन पर काम करते हैं और उनकी अधिकतर फ़सल धान होती है। इसके अलावा, मणिपुर में मांसाहारी भोजन बहुत पसंद किया जाता है, इसलिए मुर्गी पालन, सूअर पालन और मछली पालन की भी बहुत मांग है। फिर भी, फ़सलें, मवेशी और मछलियां उतनी नहीं हो पातीं, जितनी होनी चाहिए।
एकीकृत कृषि प्रणाली का विकास (Development of Integrated Farming System)
इन समस्याओं को ध्यान में रखते हुए, मणिपुर में एकीकृत कृषि प्रणाली (Integrated Farming System) को अपनाया गया। इस प्रणाली में कई तरह की कृषि गतिविधियां एक साथ की जाती हैं। इसका मुख्य उद्देश्य यह है कि किसान अपनी ज़मीन का पूरी तरह से उपयोग कर सकें और उनके पास ज़्यादा कमाई का मौका हो।
आधुनिक तकनीकों का उपयोग (Use of Modern Technologies)
इस प्रणाली में कई नई तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है। इसमें उन्नत किस्म के बीज, जल संरक्षण, पशुपालन, मुर्गी पालन और मछली पालन जैसे तरीके शामिल हैं। इसके अलावा, वर्मीकंपोस्टिंग और जलकुंड जैसे उपायों को भी अपनाया गया। इन सभी तकनीकों से किसानों को अपनी उपज बढ़ाने में मदद मिली है।
- धान की आरसीएम-9 किस्म
- मक्का की पूसा कंपोजिट-3 किस्म
- मूंगफली की आईसीजीएस-76 किस्म
- सब्जियों की उन्नत किस्में जैसे कैबेज और फूलगोभी
- फलों के पौधे जैसे ट्री बीन, कचाई नींबू और संतरे
- सूअर पालन, मुर्गी पालन और मछली पालन
- जल संरक्षण के लिए जलकुंड और कचरे के पुनर्चक्रण के लिए वर्मीकम्पोस्टिंग
किसान हेनकपाओ की ज़िंदगी में एकीकृत कृषि प्रणाली का असर (The Impact of Integrated Farming System on the life of farmer Henkpao)
जब इस एकीकृत कृषि प्रणाली (Integrated Farming System) को अपनाया गया, तो किसान हेनकपाओ की उपज में बहुत फर्क आया। उनकी धान की उपज पहले 3.25 टन प्रति हेक्टेयर थी, लेकिन अब वह 4.80 टन प्रति हेक्टेयर हो गई है। मक्का की उपज भी दोगुनी हो गई है। इसके अलावा, सब्जियों से उन्हें 1.50 लाख रुपये का फ़ायदा हुआ है।
मुर्गी पालन से प्रतिदिन 40-45 अंडे मिलने लगे हैं और जलकुंड से 30,000 लीटर पानी एकत्र किया गया है। इस प्रणाली से उनकी आय भी बहुत बढ़ी है। पहले उनकी वार्षिक आय 1.05 लाख रुपये थी, जो अब बढ़कर 3.63 लाख रुपये हो गई है। अब वह अपने गांव ही नहीं, बल्कि पूरे जिले के आदिवासी किसानों के लिए एक आदर्श बन गए हैं।
मणिपुर में अन्य जिलों में इस मॉडल से मिली सफलता (This model has been successful in other districts of Manipur)
इस सफलता के बाद, इस मॉडल को मणिपुर के अन्य जिलों में भी लागू किया जा रहा है। तामेंगलॉन्ग, उखरूल, चंदेल और सेनापति आदि जिलों में अब इस मॉडल को अपनाया जा रहा है। यह पहल पहाड़ी क्षेत्रों में सीमित संसाधनों का बेहतरीन उपयोग करने का एक उदाहरण है। अब, अन्य गांवों के किसान भी इस मॉडल को अपनाकर अपनी कृषि की उपज बढ़ा रहे हैं और जीवन में बदलाव ला रहे हैं।
सरकारी मदद और योजनाओं का असर (Impact of Government Aid and Schemes)
मणिपुर में एकीकृत कृषि प्रणाली (Integrated Farming System) को सफल बनाने के लिए राज्य सरकार और विभिन्न सरकारी योजनाओं का महत्वपूर्ण योगदान है। विशेष रूप से, आदिवासी क्षेत्रों के लिए लागू की जा रही योजनाओं के तहत किसानों को वित्तीय सहायता, प्रशिक्षण और अन्य ज़रूरी संसाधन प्रदान किए जा रहे हैं। इस सरकारी सहयोग से किसानों को न केवल तकनीकी जानकारी मिल रही है, बल्कि वे अपने कृषि व्यवसाय को अधिक लाभकारी बना पा रहे हैं।
आदिवासी किसानों के लिए प्रेरणा (Inspiration for Tribal Farmers)
हेनकपाओ की सफलता अब आदिवासी किसानों के लिए एक प्रेरणा बन गई है। उन्होंने यह साबित किया है कि अगर सही तकनीकी मदद और सरकारी सहायता मिले, तो आदिवासी क्षेत्रों में भी खेती से अच्छा लाभ कमा सकते हैं। यह एकीकृत कृषि प्रणाली (Integrated Farming System) आदिवासी किसानों के लिए एक नई उम्मीद लेकर आई है।
निष्कर्ष (Conclusion)
मणिपुर में एकीकृत कृषि प्रणाली (Integrated Farming System) ने आदिवासी किसानों की ज़िंदगी में बड़े बदलाव लाए हैं। इस प्रणाली ने किसानों को नए तरीकों से अपनी खेती करने की प्रेरणा दी है, जिससे उनकी आय में बहुत बढ़ोतरी हुई है। सरकार की मदद और सही मार्गदर्शन से, यह मॉडल अब मणिपुर के अन्य हिस्सों में भी लागू हो रहा है। एकीकृत कृषि प्रणाली (Integrated Farming System) का यह मॉडल यह साबित करता है कि आदिवासी क्षेत्रों में भी अगर सही तकनीकों और सरकारी योजनाओं का सही तरीके से उपयोग किया जाए, तो किसानों की ज़िंदगी बदल सकती है।
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