Integrated Farming System: एकीकृत कृषि प्रणाली अपनाकर बिहार के इन किसानों ने बदली अपनी ज़िंदगी

एकीकृत कृषि प्रणाली (Integrated Farming System) से किसानों ने अपनी आय बढ़ाई। जानें दो प्रेरणादायक कहानियां जो सफलता की मिसाल हैं।

Integrated Farming System एकीकृत कृषि प्रणाली

आज के समय में खेती में कई चुनौतियां सामने आ रही हैं, लेकिन कुछ प्रगतिशील किसान ऐसे भी हैं जिन्होंने एकीकृत कृषि प्रणाली (Integrated Farming System) को अपनाकर न केवल अपनी आय में बढ़ोतरी की है, बल्कि दूसरों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बने हैं। यह तकनीक किसानों को विभिन्न कृषि गतिविधियों को मिलाकर एक समग्र दृष्टिकोण अपनाने की दिशा में मार्गदर्शन करती है। आइए जानें ऐसी ही दो सफलता की कहानियां, जिन्होंने एकीकृत कृषि प्रणाली का लाभ उठाया और अपनी ज़िंदगी बदल दी।

नई तकनीक से मिली नई दिशा (New direction from New Technology)

बिहार के मोहम्मद कलीमुद्दीन की कहानी एक प्रेरणा है कि कैसे दृढ़ संकल्प और वैज्ञानिक तरीकों से खेती में बेहतरीन बदलाव लाया जा सकता है। कलीमुद्दीन, जिनके पास पर्याप्त ज़मीन थी, लेकिन फिर भी वे अपनी पहचान बनाने के लिए संघर्ष कर रहे थे, केवीके औरंगाबाद से जुड़ने के बाद उनकी ज़िंदगी में एक नया मोड़ आया। यहां उन्हें एकीकृत कृषि प्रणाली (Integrated Farming System) की तकनीकों के बारे में जानकारी मिली और उन्होंने इसे अपने खेतों में अपनाया।

उन्होंने जीरो टिलेज और स्प्रिंकलर सिंचाई जैसी आधुनिक तकनीकों को अपनाया और बागवानी तथा वानिकी फ़सलों में ड्रिप इरिगेशन का सफल प्रयोग किया। इसके अलावा, कलीमुद्दीन ने फ़सल अवशेषों का पशुओं के लिए और पशु अवशेषों का खेती में पुनर्उपयोग करके एक चक्रीय प्रणाली विकसित की। वर्मीकम्पोस्टिंग से उन्होंने जैविक खेती की ओर कदम बढ़ाया। इन सभी एकीकृत कृषि प्रणाली (Integrated Farming System) के पहलुओं ने उन्हें अपनी आय में ज़बरदस्त वृद्धि करने में मदद की। अब वे सालाना 20 लाख रुपये से अधिक की आय अर्जित कर रहे हैं और अन्य किसानों के लिए एक आदर्श बन चुके हैं।

मछली पालन से महिला सशक्तिकरण की मिसाल (An Example of Women Empowerment through Fish Farming)

पूनम सिंह की कहानी एक बेहतरीन उदाहरण है महिला सशक्तिकरण का। पूनम सिंह, जो बिहार के औरंगाबाद जिले के यारी गांव की रहने वाली हैं। उन्होंने केवीके से प्रशिक्षण लेकर अपनी 19 हेक्टेयर वर्षा-आधारित भूमि को एकीकृत कृषि प्रणाली (Integrated Farming System) में बदल दिया। पहले जहां उनकी वार्षिक आय मात्र 75,000 से 95,000 रुपये थी, वहीं अब उन्होंने नई तकनीकों और विविध कृषि गतिविधियों को अपनाकर अपनी आय में ज़बरदस्त वृद्धि की है।

पूनम ने धान और गेहूं की उन्नत किस्मों के साथ-साथ आम और अमरूद की खेती भी शुरू की। इसके अलावा, उन्होंने मछली पालन और कुक्कुट पालन को भी अपनी खेती का हिस्सा बनाया। एकीकृत कृषि प्रणाली (Integrated Farming System) की मदद से उन्होंने अपने कृषि व्यवसाय को लाभकारी बना लिया। आज वे जिले की अन्य महिला किसानों के लिए प्रेरणास्रोत बन चुकी हैं। ऐसे समय में जब पुरुष रोजगार की तलाश में पलायन कर रहे हैं, पूनम सिंह जैसी महिला किसान कृषि क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी और क्षमताओं को नई ऊंचाइयों तक ले जा रही हैं।

एकीकृत कृषि प्रणाली से सीख (Learning from Integrated Farming System)

इन दोनों सफलता की कहानियों से स्पष्ट है कि एकीकृत कृषि प्रणाली (Integrated Farming System) न केवल किसानों की आय बढ़ाने में सहायक है, बल्कि यह प्राकृतिक संसाधनों के बेहतर उपयोग और पर्यावरण संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। मोहम्मद कलीमुद्दीन और पूनम सिंह जैसे किसानों ने यह सिद्ध कर दिया है कि एकीकृत कृषि प्रणाली (Integrated Farming System) अपनाकर खेती को लाभकारी और टिकाऊ बनाया जा सकता है।

यह प्रणाली किसानों को उनके विभिन्न कृषि कार्यों के समग्र दृष्टिकोण से काम करने का मौका देती है, जिससे वे विभिन्न स्रोतों से आय प्राप्त कर सकते हैं। इसके अलावा, यह प्राकृतिक संसाधनों का प्रभावी उपयोग करते हुए पर्यावरण की रक्षा में भी मदद करती है। केवीके जैसी संस्थाएं किसानों को मार्गदर्शन और नई तकनीकों से अवगत कराती हैं, जो उन्हें आत्मनिर्भर बनने में मदद करती हैं।

एकीकृत कृषि प्रणाली का भविष्य (The future of Integrated Farming Systems)

आज के दौर में जब जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक आपदाओं के कारण खेती में असमर्थता बढ़ रही है, एकीकृत कृषि प्रणाली (Integrated Farming System) का महत्व और भी बढ़ गया है। यह पद्धति किसानों को विभिन्न कृषि गतिविधियों को मिलाकर एक स्थिर और सतत आय का स्रोत प्रदान करती है। विशेषकर छोटे और सीमांत किसानों के लिए यह एक लाभकारी तरीका साबित हो सकता है।

इसके माध्यम से किसान न केवल अपनी फ़सलों की विविधता बढ़ा सकते हैं, बल्कि मवेशी पालन, मुर्गी पालन, मछली पालन, और बागवानी जैसी गतिविधियों को भी जोड़कर अपनी आय में वृद्धि कर सकते हैं। इस प्रणाली के जरिए किसान अपने खेतों को अधिक उत्पादक और पर्यावरण के अनुकूल बना सकते हैं।

निष्कर्ष (Conclusion)

मोहम्मद कलीमुद्दीन और पूनम सिंह की कहानियां यह साबित करती हैं कि एकीकृत कृषि प्रणाली (Integrated Farming System) न केवल कृषि के क्षेत्र में बदलाव ला सकती है, बल्कि यह समाज में भी सकारात्मक बदलाव का कारण बन सकती है। इस प्रणाली के जरिए किसान अपनी आय बढ़ा सकते हैं, प्राकृतिक संसाधनों का बेहतर उपयोग कर सकते हैं, और पर्यावरण का संरक्षण भी कर सकते हैं। इसके साथ ही, यह महिलाओं को भी कृषि क्षेत्र में सशक्त बनाता है, जैसे पूनम सिंह ने अपनी सफलता से दिखाया। यह समय है कि अधिक से अधिक किसान एकीकृत कृषि प्रणाली (Integrated Farming System) को अपनाएं और अपनी कृषि प्रथाओं को नई दिशा दें।

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