छत्तीसगढ़ में धान के बदले इनपुट सब्सिडी पाने के लिए 30 सितम्बर तक कराएँ पंजीयन

देश में धान का कटोरा कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ के किसानों को अन्य फसलें पैदा करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए इनपुट सब्सिडी योजना को अपनाया गया था। इसे पिछले साल से शुरू हुई राजीव गाँधी किसान न्याय योजना का हिस्सा बनाया गया है। इसके साथ ही बघेल सरकार ने अब कोदो का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) भी 3,000 प्रति क्विंटल निर्धारित कर दिया है।

छत्तीसगढ़ में धान के बदले इनपुट सब्सिडी पाने के लिए 30 सितम्बर तक कराएँ पंजीयन

छत्तीसगढ़ में धान के बदले अन्य फसलों की पैदावार करने के लिए मिलने वाली इनपुट सब्सिडी योजना के लाभार्थी किसानों को राजीव गाँधी किसान न्याय योजना के पोर्टल पर 1 जून से 30 सितम्बर के दरम्यान अपना पंजीयन कराना होगा। इनपुट सब्सिडी योजना के तहत छत्तीसगढ़ सरकार ने धान के बदले कोदो-कुटकी, गन्ना, अरहर, मक्का, सोयाबीन, दलहन, तिलहन, सुगंधित धान या अन्य फोर्टिफाइड धान की फसल लेने वाले किसानों या वृक्षारोपण करने वालों को प्रति एकड़ 10 हज़ार रुपये की इनपुट सब्सिडी देने की योजना चला रही है।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की कैबिनेट ने 19 मई को इस इनपुट सब्सिडी को प्रति एकड़ 9 हज़ार रुपये से बढ़ाकर 10 हज़ार रुपये कर दिया है। इस योजना के तहत आगामी खरीफ सीज़न 2021-22 से धान की खेती छोड़ने वालों को 10,000 रुपये प्रति एकड़ दिये जाएँगे तो वृक्षारोपण करने वालों को यही रकम लगातार तीन साल तक मिलेगी। ये सब्सिडी उन्हीं किसानों को मिलेगी, जिन्होंने बीते साल अपने जिस खेत में धान की खेती की, वहीं अगली बार वो धान को छोड़कर अन्य फसलें पैदा करेंगे।

देश में धान का कटोरा कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ के किसानों को अन्य फसलें पैदा करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए इनपुट सब्सिडी योजना को अपनाया गया था। इसे पिछले साल से शुरू हुई राजीव गाँधी किसान न्याय योजना का हिस्सा बनाया गया है। इसके साथ ही बघेल सरकार ने अब कोदो का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) भी 3,000 प्रति क्विंटल निर्धारित कर दिया है। जबकि धान का MSP 1888 रुपये प्रति क्विंटल है। ऐसा करना इसलिए ज़रूरी था क्योंकि कोदो उन 23-फसलों में शामिल नहीं है, जिनका MSP केन्द्र सरकार जारी करती है।

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इनपुट सब्सिडी योजना की शर्तें

कृषि विकास एवं किसान कल्याण, जैव प्रौद्योगिकी मंत्रालय की गाइडलाइन के अनुसार धान के बदले अन्य फसलों की पैदावार करने के लिए मिलने वाली इनपुट सब्सिडी योजना के लाभार्थी किसानों को राजीव गाँधी किसान न्याय योजना के पोर्टल पर 1 जून से 30 सितम्बर के दरम्यान अपना पंजीयन कराना होगा। सभी श्रेणी के भू-स्वामी और वन पट्टा धारक किसान ही इनपुट सब्सिडी योजना के लिए सुपात्र होंगे। संस्थागत भू-धारक, रेगहा, बटाईदार और लीज़ या पट्टे पर खेती करने वाले किसानों को इस योजना का लाभ नहीं मिल सकता।

पिछले साल यानी खरीफ़ सीज़न 2020-21 में किसान ने जिस रक़बे पर पैदा हुए धान को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बेचा है, वही लोग यदि इस बार धान के बदले कोदो-कुटकी, गन्ना, अरहर, मक्का, सोयाबीन, दलहन, तिलहन, सुगन्धित धान, अन्य फोर्टिफाइड धान, केला और पपीता लगाएँगे अथवा वृक्षारोपण आधारित फसलों का रुख़ करेंगे तो उन्हें प्रति एकड़ 10,000 रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। इस योजना का संचालन राज्य स्तरीय आयुक्तों, कृषि संचालकों और ज़िला कलेक्टर की देखरेख में कृषि उपसंचालकों के ज़रिये किया जाएगा। योजना में शामिल फसल के रकबे के निर्धारण के लिए भुइया पोर्टल में दिये गये गिरदावरी के आँकड़ों को ही अधिकृत माना जाएगा।

कैसे मिलेगी 10,000 रुपये/एकड़ की इनपुट सब्सिडी?

राजीव गाँधी किसान न्याय योजना के पोर्टल पर पंजीकृत किसानों को इनपुट सब्सिडी का लाभ पाने के लिए निर्धारित फ़ॉर्म भरकर, उसे सत्यापित करवाकर प्राथमिक कृषि साख सहकारी समिति में जमा करना होगा। फ़ॉर्म जमा होने पर किसानों को पावती दी जाएगी। किसान के ब्यौरे जैसे गिरदावरी, ऋण पुस्तिका, बी-1 पर्ची, आधार नम्बर, बैंक के पासबुक की फोटोकॉपी वग़ैरह का सत्यापन कृषि विस्तार अधिकारी से करवाना होगा। गिरदावरी में दर्ज़ संयुक्त खातेदार का पंजीयन नम्बरदार नाम से किया जाएगा। लाभार्थी किसानों को आवेदन पत्र के साथ समस्त खाताधारकों की सहमति का शपथ पत्र और अन्य आवश्यक दस्तावेज भी प्रस्तुत करने होंगे। इसके बाद ही इनपुट सब्सिडी की रकम नम्बरदार के खाते में भेजी जाएगी, ताकि खातेदार आपसी सहमति से रकम का बँटवारा कर सकें।

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गोधन न्याय योजना

छत्तीसगढ़ में गोधन न्याय योजना और सुराजी गाँव योजना के तहत 20 जुलाई 2020 से ग्रामीण इलाकों में पशुधन के संरक्षण और सम्वर्धन के लिए गौठानों का निर्माण किया गया है। इन गौठानों से 2 रुपये किलो की दर से गोबर खरीदा जाता है। फिर इस गोबर को महिला स्व सहायता समूहों के ज़रिये बड़े पैमाने पर वर्मी कम्पोस्ट खाद बनायी जाती है। गौठानों में भी जमा होने वाले गोबर से आर्गेनिक मैन्योर खाद बनायी जाती है। इसे सुपर कम्पोस्ट खाद का नाम दिया गया है।

दरअसल, ये गोबर की कम्पोस्टिंग से बनने वाली बेसल डोज खाद है। बेहतर गुणवत्ता वाली इस खाद को किसानों को न्यूनतम मूल्य 6 रुपये प्रति किलो की दर से बेचा जाता है। राज्य सरकार का मानना है कि गोबर का भी दाम देने की इन योजनाओं से किसान की आमदनी बढ़ती है और वो जैविक खाद के उत्पादन के लिए प्रोत्साहित होते हैं। इसीलिए राज्य सरकार अब इस खाद का व्यापक प्रचार-प्रसार और मार्केटिंग करने की रणनीति बना रही है।

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