काली मिर्च की खेती में नवाचार की मिसाल बने गोपाला कृष्ण शर्मा, जानिए उनकी कहानी

गोपाला कृष्ण शर्मा, कासरगोड के किसान, काली मिर्च की खेती में नवाचारों से समय और श्रम बचा रहे हैं, और इसके साथ ही वैश्विक बाजार में मांग बढ़ा रहे हैं।

काली मिर्च की खेती में नवाचार की मिसाल बने गोपाला कृष्ण शर्मा, जानिए उनकी कहानी

कासरगोड जिले के छोटे से गांव पाद्रे के निवासी गोपाला कृष्ण शर्मा, एक प्रगतिशील किसान और कृषि नवाचारकर्ता, काली मिर्च की खेती में क्रांतिकारी बदलाव ला रहे हैं। उनके नवाचार न केवल समय और श्रम बचाते हैं, बल्कि काली मिर्च की खेती की गुणवत्ता को बनाए रखते हुए इसके वैश्विक बाजार में मांग को बढ़ा रहे हैं।

काली मिर्च की खेती: केरल की शान और शर्मा जी का योगदान

केरल की पहचान काली मिर्च की खेती से है, जिसे भारतीय मसाला उद्योग की रीढ़ माना जाता है। हालांकि, काली मिर्च की खेती और विशेष रूप से कटाई और प्रसंस्करण में बहुत मेहनत लगती है, खासकर थ्रेशिंग (pepper threshing) के दौरान।

पारंपरिक थ्रेशिंग की समस्याएं

  1. काली मिर्च के दानों को मैन्युअल रूप से पैरों के बीच घिसना।
  2. कटाई के बाद काली मिर्च को बोरे में भरकर जमीन पर पटकना।
  3. इन पारंपरिक तरीकों में समय, श्रम और लागत अधिक लगती है।
  4. काली मिर्च के दानों की गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

गोपाला कृष्ण शर्मा का नवाचार: थ्रेशिंग मशीन का विकास

गोपाला कृष्ण शर्मा ने काली मिर्च की खेती में इन समस्याओं का समाधान निकाला और एक उन्नत थ्रेशिंग मशीन का विकास किया। उनकी मशीन काली मिर्च की गुणवत्ता को बनाए रखते हुए उत्पादन की प्रक्रिया को आसान और तेज बनाती है।

थ्रेशिंग मशीन: नवाचार का परिचय

शर्मा जी द्वारा विकसित थ्रेशिंग मशीन ने काली मिर्च की खेती के परिदृश्य को बदल दिया है।

मशीन की विशेषताएं:

  1. उच्च दक्षता: 90% तक दानों को बिना नुकसान के अलग करना।
  2. समय की बचत: पारंपरिक तरीकों की तुलना में तीन गुना तेज।
  3. गुणवत्ता बनाए रखना: दानों की यांत्रिक क्षति को न्यूनतम करना।
  4. लागत में कमी: श्रम और संसाधनों की खपत में कमी।

गोपाला कृष्ण शर्मा का दृष्टिकोण

“काली मिर्च की गुणवत्ता बनाए रखना बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि बाजार में इसकी कीमत सीधे इसकी गुणवत्ता पर निर्भर करती है। मेरी मशीन किसानों को बेहतर मूल्य प्राप्त करने में मदद करती है।”

एक किसान से नवाचारकर्ता तक का सफर
गोपाला कृष्ण शर्मा का सफर प्रेरणादायक है।

  1. शिक्षा और अनुभव: उन्होंने काली मिर्च की खेती के उपकरणों के महत्व को समझते हुए क्षेत्रीय कृषि विज्ञान केंद्रों और राष्ट्रीय सम्मेलनों में भाग लिया।
  2. प्रेरणा: शर्मा जी ने किसानों की समस्याओं को देखा और उनका समाधान निकालने का निश्चय किया।

सम्मान और उपलब्धियां

गोपाला कृष्ण शर्मा को उनके नवाचारों और काली मिर्च की खेती में योगदान के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है।

प्रमुख सम्मान:

  1. जगजीवनराम इनोवेटिव फार्मर अवार्ड (2020)
  2. केरल राज्य इनोवेटिव फार्मर अवार्ड (2022)
  3. नेशनल फार्म इनोवेटर मीट (2010 और 2019)

अंतरराष्ट्रीय मान्यता और बाजार प्रभाव

शर्मा जी की थ्रेशिंग मशीन का प्रभाव न केवल केरल में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी देखा जा रहा है। 

अंतरराष्ट्रीय संभावनाएं:

  1. काली मिर्च का निर्यात: उच्च गुणवत्ता वाली काली मिर्च की वैश्विक मांग बढ़ी है।
  2. तकनीक का निर्यात: उनकी मशीन को अन्य मसाला उत्पादक देशों में निर्यात करने की योजना।

बाजार का असर:

  1. काली मिर्च की खेती में उत्पादन लागत में 40% तक की कमी।
  2. श्रम लागत में 50% तक की बचत।
  3. काली मिर्च की बाजार कीमत में 20% तक का सुधार।

सरकार और संस्थानों से सहयोग
अब तक शर्मा जी ने किसी सरकारी योजना का प्रत्यक्ष लाभ नहीं उठाया है, लेकिन उनकी तकनीक कई सरकारी पहलों के लिए प्रेरणा बन सकती है।

संभावित सरकारी योजनाएं:

  1. राष्ट्रीय कृषि नवाचार मिशन (National Agriculture Innovation Mission)
  2. प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना
  3. खेती में नवाचार के लिए प्रशिक्षण

किसानों के लिए प्रेरणा

गोपाला कृष्ण शर्मा के नवाचार ने कई किसानों को प्रेरित किया है। उनके गांव पाद्रे के किसान काली मिर्च की खेती में उनकी मशीन का उपयोग कर रहे हैं और इसके लाभों को महसूस कर रहे हैं।

भविष्य की योजनाएं

शर्मा जी का सपना है कि उनकी तकनीक हर मसाला उत्पादक किसान तक पहुंचे।

भविष्य की प्राथमिकताएं:

  1. काली मिर्च की खेती में तकनीक का आधुनिकीकरण
  2. किसानों को सशक्त बनाना
  3. वैश्विक विस्तार

निष्कर्ष

गोपाला कृष्ण शर्मा का योगदान न केवल केरल के मसाला उद्योग के लिए, बल्कि पूरे भारत के कृषि क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण है। उनका नवाचार यह साबित करता है कि काली मिर्च की खेती में एक किसान अपनी समस्याओं का समाधान निकालने के लिए नवाचार का उपयोग कर सकता है। उनकी थ्रेशिंग मशीन ने यह साबित कर दिया है कि भारतीय किसान केवल उपभोक्ता नहीं, बल्कि नवाचार के सृजनकर्ता भी हो सकते हैं।
“गोपाला कृष्ण शर्मा के प्रयासों ने दिखाया है कि नवाचार और समर्पण से हर समस्या का समाधान संभव है।”

ये भी पढ़ें: काली मिर्च की खेती कैसे शुरू करें? 

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