उत्तर प्रदेश के एटा जिले के छोटे से गांव फरिदपुर से ताल्लुक रखने वाले नागेंद्र प्रताप सिंह ने जैविक खेती (organic farming) के क्षेत्र में अपनी अनोखी पहचान बनाई है। 23 जुलाई 1996 को जन्मे नागेंद्र ने अपने प्रयासों से यह सिद्ध किया है कि सीमित संसाधनों और जमीन के बावजूद खेती को एक लाभकारी व्यवसाय में बदला जा सकता है।
जैविक खेती की शुरुआत (Starting of organic farming)
नागेंद्र प्रताप बताते हैं, “पिछले साल मैंने जैविक खेती (organic farming) की शुरुआत की थी। शुरुआत में चुनौतियां तो थीं, लेकिन अब मुझे लगता है कि यह सही निर्णय था।” अपने खेतों में वे बागवानी और सब्जियों की खेती करते हैं। उनका मानना है कि रसायन मुक्त खेती से न केवल मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है, बल्कि उत्पादों की गुणवत्ता भी बेहतर होती है।
खेती में नवाचार (Innovation in farming)
नागेंद्र के खेत में विभिन्न प्रकार की सब्जियां और फल उगाए जाते हैं। वे बताते हैं, “मैंने अपने खेत में गाजर, मटर, टमाटर और मूली जैसी सब्जियां उगाई हैं। इसके साथ ही अमरूद और नींबू के पौधे भी लगाए हैं।” अपनी फ़सलों की सिंचाई के लिए वे नलकूप और ड्रिप इरिगेशन की तकनीक का उपयोग करना चाहते हैं, जिससे पानी की बचत हो और फ़सलों को समय पर पर्याप्त नमी मिले।
ड्रिप इरिगेशन की ज़रूरत (The need for drip irrigation)
नागेंद्र बताते हैं कि उन्हें ड्रिप इरिगेशन की तकनीक अपनाने की ज़रूरत महसूस हुई क्योंकि इससे पानी की खपत कम होती है और सिंचाई अधिक प्रभावी ढंग से होती है। “ड्रिप इरिगेशन से न केवल सिंचाई आसान हो जाएगी, बल्कि मेरी फ़सलों की उत्पादकता में भी वृद्धि होगी,” वे कहते हैं।
रसायन मुक्त खेती का फ़ायदा (The benefits of chemical-free farming)
नागेंद्र ने जैविक खाद, वर्मी कंपोस्ट और नीम आधारित कीटनाशकों का उपयोग करना शुरू कर दिया है। वे बताते हैं, “रसायन मुक्त खेती से मिट्टी की गुणवत्ता बढ़ती है और सब्जियों और फलों का स्वाद भी बेहतर होता है।” उन्होंने अपने खेतों में रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग को पूरी तरह से बंद कर दिया है।
बाज़ार में सफलता (Success in the market)
नागेंद्र अपनी उपज को स्थानीय बाज़ारों में बेचते हैं। उनकी जैविक फ़सलों की बढ़ती मांग से उनकी आय में वृद्धि हुई है। वे कहते हैं, “ग्राहक अब स्वास्थ्य के प्रति अधिक जागरूक हो गए हैं और जैविक उत्पादों को प्राथमिकता दे रहे हैं। यह मेरे जैसे किसानों के लिए एक बड़ा अवसर है।”
चुनौतियों का सामना (Facing challenges)
जैविक खेती (organic farming) के सफर में नागेंद्र को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। वे बताते हैं, “शुरुआत में, जैविक खाद तैयार करना और कीट नियंत्रण के लिए प्राकृतिक तरीकों का उपयोग करना कठिन था। लेकिन समय के साथ मैंने इन चुनौतियों का समाधान ढूंढ लिया।”
सरकार की पहल और सहायता (Government initiatives and assistance)
हालांकि नागेंद्र ने अब तक किसी सरकारी योजना का लाभ नहीं लिया है, लेकिन वे सरकार से यह अपेक्षा करते हैं कि जैविक खेती (organic farming) को बढ़ावा देने के लिए और अधिक योजनाएं चलाई जाएं। “ड्रिप इरिगेशन और नलकूप के लिए सब्सिडी मिल जाए तो मेरी खेती की लागत कम हो जाएगी और उत्पादन बढ़ेगा,” वे कहते हैं।
भविष्य की योजनाएं (future plans)
नागेंद्र का लक्ष्य अपने खेतों को और अधिक आधुनिक तकनीकों से लैस करना है। वे कहते हैं, “मैं अपने खेत में सौर ऊर्जा का उपयोग करने और जैविक उत्पादों के लिए एक प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित करने की योजना बना रहा हूं। इससे न केवल मेरी आय बढ़ेगी, बल्कि अन्य किसानों को भी प्रेरणा मिलेगी।”
खेती में युवाओं को जोड़ने की पहल (Initiative to connect youth with agriculture)
नागेंद्र प्रताप सिंह का मानना है कि खेती को लाभकारी बनाने के लिए युवाओं को इसमें शामिल करना जरूरी है। वे कहते हैं, “यदि नई पीढ़ी खेती में आधुनिक तकनीकों का उपयोग करे तो यह व्यवसाय न केवल लाभकारी होगा, बल्कि यह पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद होगा।”
ग्रामीण अर्थव्यवस्था में योगदान (Contribution to the rural economy)
नागेंद्र की पहल ने उनके गांव के अन्य किसानों को भी जैविक खेती (organic farming) की ओर आकर्षित किया है। उन्होंने बताया, “अब मेरे गांव के कई किसान जैविक खेती (organic farming) के बारे में मुझसे जानकारी लेने आते हैं। यह देखकर मुझे गर्व होता है कि मेरी कोशिशों से अन्य लोग भी प्रेरित हो रहे हैं।”
नागेंद्र प्रताप सिंह का जैविक खेती (organic farming) में योगदान उनकी मेहनत, समर्पण और नवाचार के प्रति उनके दृष्टिकोण को दर्शाता है। उनकी कहानी उन सभी किसानों के लिए प्रेरणा है जो अपनी खेती को बेहतर और अधिक लाभकारी बनाना चाहते हैं। जैविक खेती (organic farming) न केवल पर्यावरण के लिए फायदेमंद है, बल्कि यह किसानों की आय बढ़ाने का एक प्रभावी माध्यम भी है। नागेंद्र की सफलता यह साबित करती है कि सही दृष्टिकोण और कड़ी मेहनत से कोई भी किसान अपनी खेती को एक सफल व्यवसाय में बदल सकता है।
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