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राजस्थान के जयपुर ग्रामीण क्षेत्र के गुढ़ा कुमावतां गांव के किसान खेमा राम चौधरी ने संरक्षित खेती में अद्वितीय सफलता हासिल की है। 1973 में जन्मे खेमा राम ने अपने अनुभव और दृढ़ संकल्प से खेती को न केवल लाभदायक बनाया, बल्कि क्षेत्र में नई तकनीकों का प्रसार कर इसे “मिनी इजराइल” का दर्जा दिलवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
खेमा राम ने अपने खेतों में हाइड्रोपोनिक तकनीक, एनएफटी सिस्टम, और सौर ऊर्जा जैसे उन्नत तरीकों को अपनाया। इन नवाचारों ने उनकी खेती को टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल बनाया। उनके प्रयोगों और अनुभवों ने उन्हें न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान दिलाई।
संरक्षित खेती की शुरुआत
खेमा राम ने 2012 में इजराइल का दौरा किया, जहां उन्होंने संरक्षित खेती की आधुनिक तकनीकों को नजदीक से देखा। इस यात्रा ने उनकी सोच और उनके खेतों की दिशा बदल दी। उन्होंने सबसे पहले एक एकड़ जमीन पर पॉलीहाउस और सौर पैनल स्थापित किए। उनका कहना है,
“इजराइल दौरे से मुझे समझ आया कि कैसे कम पानी और सीमित संसाधनों के बावजूद खेती को लाभदायक बनाया जा सकता है। मैंने इसे अपने खेतों में अपनाने का निर्णय लिया।”
खेमा राम ने अपने खेत में चेरी टमाटर, लेट्यूस, स्ट्रॉबेरी, और ब्रोकली जैसे फसलों की खेती शुरू की। यह फसलें पूरी तरह जैविक थीं और आधुनिक तकनीकों के सहारे उगाई गई थीं।
प्रेरणा और विस्तार
खेमा राम का योगदान केवल अपने खेतों तक सीमित नहीं रहा। उन्होंने स्थानीय किसानों को भी नई तकनीकों और संरक्षित खेती के लाभों के बारे में बताया। उनके मार्गदर्शन में 800 से 1100 एकड़ में पॉलीहाउस और नेट हाउस बनाए गए। इसके साथ ही फार्म पोंड और सौर ऊर्जा के उपयोग से खेती को और अधिक प्रभावी बनाया गया।
खेमा राम ने कहा,
“जब मैंने अपने अनुभव अन्य किसानों के साथ साझा किए, तो उन्हें यह समझ में आया कि संरक्षित खेती कैसे उनके जीवन को बदल सकती है। अब, हमारा पूरा क्षेत्र आधुनिक खेती की मिसाल बन चुका है।”
खेमा राम ने किसानों को यह भी सिखाया कि बारिश के पानी को कैसे संग्रहित किया जाए और इसे खेती में इस्तेमाल किया जाए। उन्होंने अपने क्षेत्र में 200 फार्म पोंड बनवाए, जो जल संरक्षण में बहुत उपयोगी साबित हुए।
पुरस्कार और सम्मान
खेमा राम की मेहनत और उनके नवाचारों को कई राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। उनके प्रमुख पुरस्कारों में शामिल हैं:
• श्रेष्ठ कृषक पुरस्कार (2012)
• राजस्थान सौर ऊर्जा पंप सरताज पुरस्कार (2013)
• नवोन्मेषी कृषक पुरस्कार (2020)
• पद्मभूषण डॉ. आर.एस. परोदा फार्मर शिरोमणी अवॉर्ड (2021)
• एंटरप्रेन्योरशिप चैंपियंस अवार्ड (2024)
इन पुरस्कारों के माध्यम से खेमा राम के योगदान को न केवल राज्य बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी सराहा गया है।
सरकारी योजनाओं का लाभ
खेमा राम ने खेती के लिए कई सरकारी योजनाओं का लाभ उठाया। उन्होंने 2002 में फव्वारा पद्धति, 2004 में बूंद-बूंद सिंचाई, और 2012 में फार्म पोंड निर्माण के लिए अनुदान लिया। इसके अलावा, उन्होंने सौर ऊर्जा के लिए 2013 में अनुदान प्राप्त किया। ये योजनाएं उनके खेतों को आधुनिक बनाने में सहायक रहीं।
खेमा राम कहते हैं,
“सरकारी योजनाओं ने मुझे आधुनिक तकनीक को अपनाने में मदद की। इनसे न केवल मेरी लागत घटी, बल्कि उत्पादन भी बढ़ा।”
खेतों का मिनी इज़राइल बनने का सफर
खेमा राम के नवाचारों और मेहनत ने उनके क्षेत्र को “मिनी इजराइल” का दर्जा दिलाया। उनके खेतों में इस्तेमाल की जाने वाली तकनीकों को देखकर अब विदेशी शोधकर्ता भी यहां का दौरा करते हैं। संयुक्त राष्ट्र के फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन ने भी उनकी खेती का जिक्र किया है।
कम पानी में अधिक उत्पादन
खेमा राम का मानना है कि जल संरक्षण और उन्नत तकनीकों के बिना खेती को लाभदायक नहीं बनाया जा सकता। उन्होंने किसानों को सिखाया कि कैसे कम पानी में अधिक उत्पादन किया जा सकता है।
खेमा राम से बातचीत के दौरान उन्होंने बताया,
“शुरुआत में तकनीकों को अपनाने में चुनौतियां आईं। लेकिन, मैंने हार नहीं मानी। अब, मैं अपने अनुभव से दूसरों को प्रेरित करता हूं।”
उन्होंने यह भी कहा कि किसानों को हमेशा प्राकृतिक और टिकाऊ तरीकों को अपनाना चाहिए। उनका मानना है कि जैविक खेती न केवल पर्यावरण के लिए अच्छी है, बल्कि यह स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है।
भविष्य की योजनाएं
खेमा राम का सपना है कि राजस्थान के हर किसान तक संरक्षित खेती की तकनीक पहुंचे। वे चाहते हैं कि उनके क्षेत्र का हर किसान आत्मनिर्भर बने और प्राकृतिक संसाधनों का सही उपयोग करे।
हाइड्रोपोनिक तकनीक का इस्तेमाल
खेमा राम का अगला कदम हाइड्रोपोनिक तकनीक को और अधिक लोकप्रिय बनाना है। वे कहते हैं,
“यह समय की मांग है कि हम टिकाऊ और पर्यावरण अनुकूल खेती की ओर बढ़ें। यही हमारे बच्चों के लिए एक सुरक्षित भविष्य सुनिश्चित करेगा।”
खेमा राम चौधरी की कहानी यह दिखाती है कि कैसे प्रतिबद्धता और नवाचार से खेती को एक नया रूप दिया जा सकता है। उनका प्रयास न केवल किसानों के लिए प्रेरणा है, बल्कि यह पूरी कृषि व्यवस्था के लिए एक उदाहरण भी है।