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बिहार (Bihar) के किशनगंज जिले के ठाकुरगंज प्रखंड के रहने वाले हंसराज नखत (Hansraj Nakhat) सिर्फ एक किसान नहीं, बल्कि एक क्रांतिकारी कृषि विचारक हैं। जहां आज भी ज़्यादातर किसान रासायनिक खाद और कीटनाशकों (chemical fertilizers and pesticides) पर निर्भर हैं, वहीं हंसराज नखत पूरी तरह से नेचुरल और ऑर्गेनिक खेती (Natural and organic farming) करके न सिर्फ अच्छी पैदावार ले रहे हैं, बल्कि मिट्टी की सेहत भी बना रहे हैं। उनकी ये कोशिश केवल उनके खेत तक सीमित नहीं है, बल्कि वे पूरे क्षेत्र के किसानों के लिए एक मिसाल बन चुके हैं।
कौन हैं हंसराज नखत?
हंसराज नखत के पास 12 एकड़ जमीन है। वे बैचलर ऑफ कॉमर्स (B.Com) ग्रेजुएट हैं, लेकिन उनका जुनून खेती-किसानी में है। उन्होंने अपने पिता और भाई के साथ मिलकर खेती को नया आयाम दिया है। आज वे ड्रैगन फ्रूट (Dragon Fruits) की खेती कर रहे हैं। इसके साथ ही केला और अनानास की उन्नत खेती भी करते हैं। हंसराज ऑर्गेनिक तरीकों (Organic Methods) से इनकी पैदावार बढ़ा रहे हैं।
ड्रैगन फ्रूट की खेती में बिहार के पायनियर
हंसराज नखत बिहार के उन चुनिंदा किसानों में से हैं, जिन्होंने 8 एकड़ में ड्रैगन फ्रूट की खेती शुरू की। ड्रैगन फ्रूट, जो आमतौर पर विदेशी फल माना जाता है, उसे बिहार की मिट्टी में सफलतापूर्वक उगाकर उन्होंने साबित कर दिया कि अगर सही तकनीक और जुनून हो, तो कुछ भी मुश्किल नहीं। उनकी इस पहल ने क्षेत्र के दूसरे किसानों को भी प्रेरित किया है।
ऑर्गेनिक खेती: जहां केमिकल्स का नहीं, प्रकृति का राज चलता है!
हंसराज नखत पूरी तरह से प्राकृतिक खेती पर विश्वास करते हैं। वे कहते हैं, ‘हमारी मिट्टी पहले से ही उपजाऊ है, लेकिन केमिकल खाद और कीटनाशकों ने इसे बर्बाद कर दिया है। अगर हम प्रकृति के तरीके से खेती करें, तो न सिर्फ फसल अच्छी होगी, बल्कि मिट्टी भी स्वस्थ रहेगी।’
उन्होंने वर्मीकम्पोस्ट का प्रयोग किया, लेकिन उन्हें इसमें सफलता नहीं मिली। उनका मानना है कि वर्मीकम्पोस्ट में इस्तेमाल होने वाले केंचुए विदेशी होते हैं, जो मिट्टी में आर्सेनिक छोड़ते हैं और उसे ख़राब कर देते हैं। इसके बजाय वे देसी गाय के गोबर, मूत्र और जैविक खाद का इस्तेमाल करते हैं, जिससे उनकी फसलों की गुणवत्ता बेहतर होती है।
टेक्नोलॉजी का सही इस्तेमाल
हंसराज नखत न सिर्फ ऑर्गेनिक खेती करते हैं, बल्कि वे आधुनिक तकनीकों का भी भरपूर उपयोग करते हैं। इसके अलावा, वे देसी गाय के गोबर और मूत्र से स्लरी (घोल) बनाकर फसलों पर छिड़काव करते हैं, जो एक प्राकृतिक कीटनाशक और उर्वरक का काम करता है।
सरकारी योजनाओं की चुनौतियां
हंसराज नखत का कहना है कि बिहार सरकार की कृषि योजनाओं का फायदा आम किसानों तक आसानी से नहीं पहुंच पाता। उनके अनुसार,
‘सरकारी अफसरशाही इतनी जटिल है कि सब्सिडी या अनुदान पाने के लिए किसानों को लंबा इंतज़ार करना पड़ता है। फाइलें देर से पास होती हैं, और नियम इतने कठिन होते हैं कि ज्यादातर किसान उन पर खरे नहीं उतर पाते।’
वे मानते हैं कि अगर सरकार किसानों की समस्याओं को वास्तव में समझे और प्रोसेस को आसान बनाए, तो ऑर्गेनिक और टेक्नोलॉजी आधारित खेती को बढ़ावा मिल सकता है।
एक सफल पिता: बेटी डॉक्टर, बेटा इंजीनियर
हंसराज नखत न सिर्फ एक प्रगतिशील किसान हैं, बल्कि एक सफल पिता भी हैं। उनकी बेटी एक डॉक्टर है और बेटा इंजीनियरिंग करने के बाद अपना बिजनेस संभाल रहा है। ये साबित करता है कि खेती-किसानी के साथ-साथ एजुकेशन और मॉर्डन प्रोफेशन में भी उनका परिवार आगे बढ़ रहा है।
हंसराज नखत की ऑर्गेनिक खेती और आधुनिक तकनीकों का मिश्रण न सिर्फ उनके लिए, बल्कि पूरे क्षेत्र के किसानों के लिए एक मॉडल है।
‘केमिकल खेती नहीं, प्राकृतिक खेती ही असली भविष्य है!’ – हंसराज नखत
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