Business Of Fake Medicines For Crops: भारत में किसानों को कैसे ठगा जा रहा है? फसलों के लिए नकली दवाओं के कारोबारियों पर सरकार सख़्त

भारत में आज कृषि के लिए नकली दवाओं का कारोबार हजारों करोड़ रुपये में (Business Of Fake Medicines For Crops) पहुंच चुका है, और ये बिजनेस सीधे किसानों की जेब और देश की खाद्य सुरक्षा पर चोट कर रहा है।

Business Of Fake Medicines For Crops: भारत में किसानों को कैसे ठगा जा रहा है? फसलों के लिए नकली दवाओं के कारोबारियों पर सरकार सख़्त

कल्पना कीजिए, एक किसान महीनों की मेहनत से अपनी फसल उगाता है, लेकिन जब कीटनाशक या उर्वरक (Pesticides and Fertilizers) डालता है, तो फसल नष्ट हो जाती है। क्यों? क्योंकि उसने नकली दवा खरीद ली। भारत में आज कृषि के लिए नकली दवाओं का कारोबार हजारों करोड़ रुपये में (Business Of Fake Medicines For Crops) पहुंच चुका है, और ये बिज़नेस सीधे किसानों की जेब और देश की खाद्य सुरक्षा पर चोट कर रहा है।

सरकारी आंकड़े बताते हैं कि भारत में 25-30 फीसदी कृषि रसायन नकली या घटिया क्वालिटी के हो सकते हैं। यानी, हर चौथा किसान ठगा जा रहा है। लेकिन सवाल ये है कि ये इतना बड़ा कैसे हो गया?

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कितना बड़ा है नकली कृषि दवाओं का कारोबार?

भारत में कृषि रसायनों (Pesticides, fertilizers, fungicides) का बाज़ार लगभग 50,000 करोड़ रुपये सालाना है। इसमें से 10,000-15,000 करोड़ रुपये का कारोबार नकली उत्पादों का होने का अनुमान है।

  • फिक्की (FICCI) की 2020 की रिपोर्ट के अनुसार, नकली कृषि रसायनों से किसानों को हर साल 10,000-12,000 करोड़ रुपये का नुकसान होता है।
  • नेशनल ब्यूरो ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च (NBARI) के अनुसार, भारत में 40 फीसदी से ज़्यादा नमूनों में मानकों से कम गुणवत्ता पाई गई।
  • गुजरात, महाराष्ट्र, पंजाब, उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश में सबसे ज्यादा नकली दवाएं पकड़ी गई हैं।

किसान नकली दवाएं कैसे पहचानें?  

नकली दवा बनाने वाले कंपनियां असली ब्रांड्स की नकल करके किसानों को ठगती हैं। कुछ आम तरीके:

छपाई में धोखा: असली कंपनी के लोगो और पैकिंग की नकल करना।

ख़राब क्वालिटी: सस्ते केमिकल मिलाकर घटिया दवा बेचना।

फ़र्जी रजिस्ट्रेशन नंबर: केंद्रीय कीटनाशक बोर्ड (CIB&RC) के फर्जी नंबर डालना।

ऑनलाइन धोखाधड़ी: सोशल मीडिया और ई-कॉमर्स साइट्स पर नकली दवाएं बेचना।

Business Of Fake Medicines For Crops: भारत में किसानों को कैसे ठगा जा रहा है? फसलों के लिए नकली दवाओं के कारोबारियों पर सरकार सख़्त

किसानों को क्या नुकसान होता है?

  • फसल नष्ट हो जाती है।
  • मिट्टी की उर्वरता खराब होती है।
  • कीटनाशक प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है।
  • आर्थिक नुकसान से किसान कर्ज में डूब जाते हैं।

 सरकार क्या कर रही है? क्या कदम उठाए जा रहे हैं?

 ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ से बड़ी संख्या में लोग जुड़ रहे है। इस अभियान के तहत केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उत्तर प्रदेश के मेरठ में किसानों से संवाद किया। इस दौरान केन्द्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि जो लोग खेती के लिये नकली दवाईयां बनाकर व्यापार कर रहे हैं उनके ख़िलाफ जल्द ही सख्त कानून बनाया जायेगा। इसके साथ ही ज़रूरत पड़ने पर उनके लाइसेंस भी रद्द कर दिये जायेंगे। उन्होंने कहा कि चर्चा से समस्या के निदान और आगे के शोध का रास्ता निकलना चाहिए। 

सरकार नकली दवाओं के खिलाफ कड़े कानूनी और तकनीकी कदम उठा रही है- 

1. कानूनी कार्रवाई और सख्त नियम

  • कीटनाशक अधिनियम, 1968 में संशोधन करके जुर्माना और जेल की सज़ा बढ़ाई गई है।
  • 2020 में कृषि रसायन (प्रबंधन) बिल लाया गया, जिसमें नकली दवा बेचने पर 10 साल की जेल और 50 लाख रुपये तक का जुर्माना प्रावधान है।

2. QR कोड और ट्रैकिंग सिस्टम

  • अब कृषि रसायनों पर QR कोड लगाना अनिवार्य किया गया है, जिससे किसान स्कैन करके असली-नकली की जांच कर सकें।
  • डिजिटल ट्रैकिंग सिस्टम से नकली दवाओं की सप्लाई चेन पकड़ी जा रही है।

3. राज्यों में विशेष अभियान

  • महाराष्ट्र, गुजरात और पंजाब में “ऑपरेशन नकली दवा अभियान” चलाया गया, जिसमें हजारों नकली दवाओं के ठिकाने ध्वस्त किए गए।
  • किसान हेल्पलाइन (1800-180-1551) पर शिकायत कर सकते हैं।

4. जागरूकता अभियान

  • कृषि मंत्रालय ने ‘सच्ची दवा, अच्छी फसल’ अभियान चलाया है, जिसमें किसानों को नकली दवाओं की पहचान सिखाई जाती है।
  • किसान मेलों और टीवी कार्यक्रमों के जरिए जागरूकता फैलाई जा रही है।

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 किसान खुद कैसे बचें? नकली दवाओं की पहचान के टिप्स

1. रजिस्ट्रेशन नंबर चेक करें: हर दवा पर CIB&RC रजिस्ट्रेशन नंबर होना चाहिए।

2. QR कोड स्कैन करें: सरकारी ऐप (जैसे “मेरी पौध”) से कोड वेरिफाई करें।

3. भरोसेमंद दुकान से खरीदें: अज्ञात ऑनलाइन विक्रेताओं से न खरीदें।

4. कीमत पर शक करें: बहुत सस्ती दवा संदेहास्पद हो सकती है।

5. रिपोर्ट करें: नकली दवा मिलने पर कृषि विभाग या पुलिस को सूचित करें।

 Source:

  1. कृषि मंत्रालय, भारत सरकार
  2. FICCI रिपोर्ट 2020: “काउंटरफिट एग्रोकेमिकल्स इन इंडिया”
  3. CIB&RC (केंद्रीय कीटनाशक बोर्ड) गाइडलाइंस
  4. NBRI (नेशनल ब्यूरो ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च) डेटा

 

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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