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छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले के निवासी मनजीत सिंह सलूजा भारतीय कृषि के क्षेत्र में नई तकनीकों के उपयोग और नवाचार के लिए जाने जाते हैं। 8 सितंबर 1965 को जन्मे मनजीत सिंह ने अपने पारंपरिक खेती के अनुभव को आधुनिक तकनीक से जोड़ते हुए कृषि के क्षेत्र में एक नई दिशा दी है। वे भारत के पहले किसान हैं जिन्होंने अपने शिकारितोला फार्म में कृषि के क्षेत्र में नई तकनीक के रूप में नेटाजेट ऑटोमेटेड ड्रिप इरीगेशन सिस्टम स्थापित किया। यह प्रणाली न केवल जल संरक्षण को बढ़ावा देती है बल्कि फसल उत्पादन को भी दोगुना करती है।
कृषि के क्षेत्र में नई तकनीक का उपयोग (Use of new technology in agriculture)
मनजीत सिंह ने कृषि के क्षेत्र में नई तकनीक को अपनाकर खेती को एक व्यवस्थित और आधुनिक स्वरूप दिया। उनके फार्म पर उपयोग की जाने वाली प्रमुख तकनीकें हैं:
- नेटाजेट ऑटोमेटेड ड्रिप इरीगेशन सिस्टम
- सटीक जल प्रबंधन:
यह प्रणाली पानी के वितरण को सटीक तरीके से नियंत्रित करती है, जिससे पानी की बर्बादी कम होती है। - स्वचालित उर्वरक वितरण:
इस तकनीक के माध्यम से पौधों को आवश्यक मात्रा में उर्वरक प्रदान किया जाता है। - कम लागत, अधिक उत्पादन:
कम श्रम के साथ उच्च गुणवत्ता और मात्रा में फसल प्राप्त होती है।
- सटीक जल प्रबंधन:
- बहु-फसली खेती:
मनजीत सिंह सब्जियों, अनाज और फलों की खेती में भी दक्ष हैं। वे कृषि के क्षेत्र में नई तकनीक के उपयोग से खेती की विविधता को बढ़ावा दे रहे हैं।
उपलब्धियां और सम्मान (Achievements and honors)
मनजीत सिंह के प्रयासों को विभिन्न राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। उनके प्रमुख सम्मान हैं:
- कृषि सम्राट सम्मान (2013): यह पुरस्कार महिंद्रा एग्री अवार्ड द्वारा दिया गया।
- छत्तीसगढ़ का सर्वश्रेष्ठ किसान (2014): कृषि मंत्रालय और महाराष्ट्र सरकार द्वारा सम्मानित।
- चिली की प्रगतिशील खेती के लिए सम्मान (2003): स्पाइसेज बोर्ड ऑफ इंडिया द्वारा दिया गया।
- इनोवेटिव फार्मर अवार्ड (2013): पंजाब कृषि विभाग द्वारा।
कृषि के क्षेत्र में नई तकनीक और इसकी विशेषताएं (New technology in agriculture and its features)
मनजीत सिंह ने कृषि के क्षेत्र में नई तकनीक को अपनाकर कई महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। उनकी खेती की कुछ विशिष्टताएं निम्नलिखित हैं:
- आधुनिक और पारंपरिक का संगम:
मनजीत सिंह ने पारंपरिक खेती के अनुभव और कृषि के क्षेत्र में नई तकनीक को मिलाकर खेती को एक नई दिशा दी है।
- खुदरा आउटलेट:
- उन्होंने अपने खुदरा स्टोर के लिए 15 लाख रुपये की सरकारी सब्सिडी का उपयोग किया।
- इन आउटलेट्स पर मिलेट्स (ज्वार, बाजरा, चना, गेहूं) और अन्य जैविक उत्पाद उपलब्ध हैं।
- जैविक और अर्ध-जैविक खेती:
वे अर्ध-जैविक खेती को बढ़ावा देकर पर्यावरण के अनुकूल और लागत प्रभावी खेती कर रहे हैं।
सरकारी योजनाओं का लाभ और कृषि के क्षेत्र में नई तकनीक का प्रचार
मनजीत सिंह ने अपने रिटेल आउटलेट के लिए सरकार से 15 लाख रुपये की सब्सिडी प्राप्त की। इसके अलावा, वे राज्य और केंद्रीय योजनाओं का लाभ लेकर कृषि के क्षेत्र में नई तकनीक को किसानों तक पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं।
भविष्य की योजनाएं: तकनीक और विस्तार (Future plans: technology and expansion)
मनजीत सिंह की भविष्य की योजनाएं कृषि के क्षेत्र में नई तकनीक के प्रचार और विकास पर केंद्रित हैं। उनके प्रमुख उद्देश्य हैं:
- तकनीकी जागरूकता: किसानों को नई तकनीकों के उपयोग के लिए प्रशिक्षित करना।
- जैविक उत्पादों का प्रचार: जैविक उत्पादों की मांग को बढ़ावा देकर किसानों की आय में वृद्धि।
- पारिवारिक परंपरा को आगे बढ़ाना: अपने बेटे को आधुनिक खेती और कृषि के क्षेत्र में नई तकनीक में प्रशिक्षित कर भविष्य के लिए तैयार करना।
मनजीत सिंह का योगदान: प्रेरणा का स्रोत (Contribution of Manjit Singh: A Source of Inspiration)
मनजीत सिंह सलूजा का जीवन और कार्य भारतीय किसानों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने यह साबित किया है कि पारंपरिक खेती में कृषि के क्षेत्र में नई तकनीक को शामिल कर उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है और पर्यावरण का संरक्षण भी किया जा सकता है।
- उनकी मेहनत और नवाचार ने छत्तीसगढ़ के किसानों को नई दिशा दिखाई है।
- उनकी उपलब्धियां यह दर्शाती हैं कि नवाचार और सतत विकास के माध्यम से कृषि के क्षेत्र में नई तकनीक को अपनाकर कृषि क्षेत्र को लाभकारी और टिकाऊ बनाया जा सकता है।
मनजीत सिंह सलूजा जैसे किसान यह साबित करते हैं कि अगर मेहनत और दृढ़ संकल्प हो तो कोई भी चुनौती बड़ी नहीं होती। उनकी सोच और उनका काम न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे भारत के किसानों के लिए एक मार्गदर्शक है।
निष्कर्ष (conclusion)
मनजीत सिंह सलूजा ने यह सिद्ध किया है कि कृषि के क्षेत्र में नई तकनीक और पारंपरिक विधियों का संगम किसान की सफलता का मंत्र हो सकता है। उनके कार्यों ने यह दिखाया कि आधुनिक तकनीकों के उपयोग से न केवल उत्पादन बढ़ाया जा सकता है, बल्कि पर्यावरण की भी रक्षा की जा सकती है।
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