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उत्तराखंड के नैनीताल जिले के मल्ला देवला गांव से आने वाले नरेंद्र सिंह मेहरा एक ऐसे प्रगतिशील किसान हैं जिन्होंने जैविक खेती में न केवल अपनी पहचान बनाई है, बल्कि इस शुद्ध और प्राकृतिक खेती के माध्यम से समाज को स्वस्थ जीवनशैली का मार्ग भी दिखाया है। जैविक खेती की ओर अन्य किसानों को प्रेरित करते हुए वे सामुदायिक स्तर पर भी जागरूकता का कार्य कर रहे हैं। जैविक खेती के प्रति उनका समर्पण और नवाचार उन्हें अन्य किसानों से अलग बनाते हैं।
जैविक खेती में नवाचार और प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग (Innovation in organic farming and use of natural resources)
नरेंद्र सिंह मेहरा की जैविक खेती का सबसे खास पहलू यह है कि वे रासायनिक खादों और कीटनाशकों का बिल्कुल भी उपयोग नहीं करते हैं। वे केवल गोबर जैसी प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करते हुए खाद और कीटनाशक तैयार करते हैं। इसके लिए वे गाय के गोबर, नीम, कपूर और हींग का इस्तेमाल कर एक विशेष प्रकार का घोल बनाते हैं, जो उनकी फ़सलों को प्राकृतिक रूप से स्वस्थ बनाता है। उनके अनुसार, यह घोल न केवल कीटों से सुरक्षा प्रदान करता है बल्कि मिट्टी की उर्वरता को भी बनाए रखता है।
ज़हरमुक्त खेती की आवश्यकता (The need for poison-free farming)
नरेंद्र सिंह मेहरा ने जैविक खेती को अपनाने के पीछे मुख्य कारण के रूप में यह बताया है कि रासायनिक खेती के कारण स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ रहे हैं, जैसे कैंसर और अन्य बीमारियां, और इससे मिट्टी भी जहरीली और बंजर होती जा रही है। इस समस्या पर चिंतन करने के बाद उन्होंने जैविक खेती को अपनाने का संकल्प लिया।
देशी बीजों का संरक्षण और प्रसार (Conservation and propagation of native seeds)
मेहरा जी का मानना है कि जैविक खेती में बीजों का चयन भी एक महत्वपूर्ण कारक होता है। वे केवल देशी बीजों का उपयोग करते हैं, जो पारंपरिक और प्राकृतिक होते हैं। उन्होंने अपने क्षेत्र में किसानों के बीच देशी बीजों के महत्व को प्रचारित किया और यह सुनिश्चित किया कि Organic Farming में ये बीज ही प्रयोग किए जाएं। इसके लिए उन्होंने सोशल मीडिया और वर्चुअल माध्यमों का भी उपयोग किया, जिससे हजारों किसान उनके इस अभियान में शामिल हुए।
जैविक खेती में योगदान और जन जागरूकता अभियान (Contribution to organic farming and public awareness campaign)
पिछले 8-10 वर्षों से श्री मेहरा Organic Farming कर रहे हैं और प्रदेश तथा देश में इसके प्रति जागरूकता फैलाने का कार्य कर रहे हैं। 2021 को उन्होंने “जैविक खेती संकल्प वर्ष” के रूप में मनाते हुए पर्वतीय जनपद पिथौरागढ़ को जैविक गन्ने की खेती के लिए तैयार किया।
सामुदायिक प्रशिक्षण और किसानों की मदद (Community training and support to farmers)
मेहरा जी ने न केवल अपने खेत में जैविक खेती के प्रयोग किए हैं बल्कि वे अन्य किसानों को भी प्रशिक्षित कर रहे हैं। उनके द्वारा आयोजित किए गए वेबिनार और वर्चुअल प्रशिक्षण सत्रों से हजारों किसान लाभान्वित हो रहे हैं। इन सत्रों के माध्यम से वे किसानों को जैविक खाद बनाने, कीटनाशक तैयार करने, और परंपरागत रसायनों से बचने के तरीके सिखाते हैं। इसके अलावा, उन्होंने अपने क्षेत्र में कई किसान समूह बनाए हैं, जिनके माध्यम से किसानों को तकनीकी सहायता और बुनियादी संसाधनों की मदद मिलती है।
सम्मान और पुरस्कार (Honours and Awards)
- विकासखंड स्तर पर “किसान श्री सम्मान 2016”
- जिला स्तर पर “कृषि कर्मण पुरस्कार 2021”
- राज्य स्तर पर “फॉर्मर्स लीडरशिप अवार्ड 2018” (भारतीय कृषि खाद्य परिषद द्वारा)
- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर “उत्तराखंड प्राइड अवार्ड 2019” (रे फाउंडेशन, मलेशिया द्वारा)
- यूके वर्ल्ड रिकॉर्ड द्वारा “उत्तराखंड आइकन 2021”
- राष्ट्रीय स्तर पर “नवोन्मेषी किसान अवार्ड 2019” (भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा)
- महिंद्रा ट्रैक्टर मिलेनियम फार्मर ऑफ़ इंडिया अवार्ड 2023 (कृषि जागरण द्वारा नई दिल्ली में)
- कृषि पत्रकारिता में योगदान के लिए “एग्रीकल्चर टुडे अवार्ड 2023” (नई दिल्ली में)
- जागरण एग्री पंचायत अवॉर्ड 2024 (दैनिक जागरण ग्रुप द्वारा, केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से)
सरकारी योजनाओं का लाभ और आत्मनिर्भरता (Benefits of government schemes and self-reliance)
नरेंद्र सिंह मेहरा ने न्यूनतम सरकारी सहायता का उपयोग कर आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ाया है। उन्होंने उद्यान विभाग की योजना के तहत एक मिनी ट्रैक्टर और पॉलीहाउस का निर्माण किया है, जिसका उपयोग वे सब्जी उत्पादन और पौध नर्सरी के लिए करते हैं। उद्यान विभाग द्वारा मिनी ट्रैक्टर और पॉलीहाउस 80% अनुदान पर मिला, जिसका उपयोग सब्जी उत्पादन और पौध नर्सरी के लिए किया जा रहा है।
प्रधानमंत्री सिंचाई योजना के तहत जल संग्रह टैंक मिला है, जिसमें सिंचाई और मछली पालन होता है। प्रधानमंत्री फ़सल बीमा योजना के तहत प्रतिवर्ष फ़सल बीमा का लाभ मिलता है। इसके साथ ही, प्रधानमंत्री सिंचाई योजना के तहत जल संग्रह टैंक का निर्माण किया है, जिसमें सिंचाई के साथ-साथ मछली पालन भी किया जाता है। इस प्रकार वे अपनी फ़सल उत्पादन लागत को नियंत्रित रखते हुए उच्च मुनाफा प्राप्त करते हैं।
आर्थिक स्थिति और समाज के प्रति योगदान (Economic status and contribution to society)
मेहरा जी के अनुसार, जैविक खेती में शुरुआत में लागत अधिक होती है, लेकिन इससे दीर्घकालिक लाभ होते हैं। वे मानते हैं कि Organic Farming से प्राप्त उत्पाद न केवल स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होते हैं बल्कि पर्यावरण को भी नुकसान नहीं पहुँचाते। उनके द्वारा उत्पादित फ़सलें स्थानीय बाजार में बेची जाती हैं, जिनकी उच्च मांग होती है। उनके प्रयास से समाज में स्वस्थ जीवनशैली और शुद्ध भोजन के प्रति जागरूकता बढ़ी है, जो Organic Farming का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य है।
निष्कर्ष (Conclusion)
नरेंद्र सिंह मेहरा का जैविक खेती में योगदान न केवल उनकी व्यक्तिगत उन्नति तक सीमित है बल्कि यह उनके समुदाय के लिए भी एक प्रेरणा स्रोत है। उनके नवाचार, प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग, और किसानों को प्रेरित करने की कोशिशों ने उन्हें Organic Farming में एक आदर्श व्यक्तित्व बना दिया है। उनका प्रयास एक सच्ची मिसाल है कि खेती केवल एक व्यवसाय नहीं, बल्कि एक सेवा है जो समाज को पोषित करती है और पर्यावरण की रक्षा करती है। उनकी इस यात्रा ने साबित किया है कि जैविक खेती में न केवल आर्थिक लाभ है बल्कि यह स्वास्थ्य, पर्यावरण और सामुदायिक उन्नति का सशक्त माध्यम भी है।
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