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उत्तराखंड के नैनीताल जिले के सुनकिया गांव के निवासी हर्ष सिंह डंगवाल अपने जैविक खेती के अनोखे तरीकों और नवाचार के कारण पहचाने जाते हैं। हर्ष सिंह का मानना है कि जैविक खेती मात्र रासायनिक खाद और कीटनाशकों से दूरी नहीं है, बल्कि ये मिट्टी के पोषक तत्वों को बढ़ावा देने, जल संरक्षण करने, और पर्यावरण संरक्षण का साधन है। अपनी मेहनत और प्रतिबद्धता के बलबूते उन्होंने जैविक खेती में जो नवाचार किए हैं, वे इस क्षेत्र में नई दिशा दिखाने वाले हैं।
जैविक खेती की अलग पहचान
हर्ष सिंह की जैविक खेती का एक प्रमुख पहलू ये है कि वे किसानों को केवल जैविक खाद के उपयोग पर जोर देने तक सीमित नहीं रखते हैं। वे सुनिश्चित करते हैं कि हर फ़सल जैविक पद्धति से उगाई जाए और रासायनिक तत्वों का बिलकुल भी उपयोग न हो। वे अपने खेतों में विभिन्न प्रकार के जैविक विधियों का उपयोग करते हैं, जैसे कि जैविक खाद, बायोफर्टिलाइजर, गोबर और गौमूत्र का मिश्रण, और खेतों में जड़ी-बूटी की खेती। ये सभी प्राकृतिक उत्पाद न केवल मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखते हैं बल्कि फ़सलों को अधिक पोषण भी प्रदान करते हैं।
हर्ष सिंह ने पहाड़ी क्षेत्र में जैविक खेती को लागू करने का एक खास तरीका विकसित किया है। इसके अंतर्गत वे पानी का संरक्षण करते हुए तालाब बनाते हैं, जो वर्षा के पानी को संरक्षित करते हैं। इस पानी का उपयोग वे गर्मियों में सिंचाई और मछली पालन के लिए करते हैं, जिससे जल स्रोत का भी अधिकतम उपयोग होता है।
खेतों में जल संचयन और मछली पालन का अनोखा प्रयोग
हर्ष सिंह ने खेती में पानी की जरूरत और जल संरक्षण के महत्व को ध्यान में रखते हुए अपने खेतों में तालाब बनाए हैं, जिनमें वे वर्षा के पानी को संचित करते हैं। इस पानी का उपयोग फ़सल की सिंचाई और मछली पालन में किया जाता है। सिल्वर कार्प, कॉमन कार्प और ग्रास कार्प जैसी मछलियों को वे अपने तालाबों में पालते हैं, जिससे उनकी आय में वृद्धि होती है। इस तरीके से वे अपने और अन्य किसानों को मछली पालन से अतिरिक्त आय प्राप्त करने का प्रेरणा देते हैं।
पथरीली और अनुपजाऊ जमीन का उपयोग जड़ी-बूटी खेती में
हर्ष सिंह की एक और अनोखी पहल है कि उन्होंने पथरीली और बंजर जमीन का इस्तेमाल जड़ी-बूटी जैसे लेमन ग्रास, रोजमेरी, और नेटियर घास की खेती के लिए किया है। जहां पारंपरिक खेती संभव नहीं होती, वहां जड़ी-बूटियों का उत्पादन कर वे न केवल उस भूमि का उपयोग करते हैं, बल्कि इन औषधीय पौधों से आर्थिक लाभ भी प्राप्त करते हैं। इन जड़ी-बूटियों का उपयोग जैविक कीटनाशकों के निर्माण में भी किया जाता है, जिससे फ़सलों को कीटों से बचाया जा सके और उत्पादों की गुणवत्ता बरकरार रहे।
पराली जलाने की समस्या का समाधान
पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए हर्ष सिंह ने एक नया तरीका अपनाया है। उन्होंने अपने खेतों में पराली जलाने की बजाय पूसा डीकंपोजर का उपयोग किया है, जो पराली को खाद में बदल देता है। इस खाद को वे अपने खेतों में डालते हैं, जिससे मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार होता है और पर्यावरण प्रदूषण से भी बचाव होता है।
समूह गठन और समुदाय में प्रशिक्षण
हर्ष सिंह डंगवाल ने DMT (डेयरी मैन्युफैक्चरिंग टैक्टिक्स) समूह का गठन किया है, जिसमें किसानों को जैविक खेती के विभिन्न पहलुओं की जानकारी दी जाती है। वे समय-समय पर क्षेत्र के किसानों को बुलाकर प्रशिक्षण भी देते हैं और उन्हें जैविक विधियों से खेती करने के लाभ बताते हैं। उन्होंने बताया कि अब तक एक हजार से अधिक किसानों को उन्होंने जैविक खेती और प्राकृतिक पद्धतियों के प्रति जागरूक किया है। उनका ये प्रयास किसानों को सशक्त बनाने और जैविक खेती के प्रति प्रोत्साहित करने की दिशा में मील का पत्थर है।
सरकार से प्राप्त लाभ और उनकी उपयोगिता
हर्ष सिंह डंगवाल को अपनी जैविक खेती में उत्कृष्टता के लिए विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ प्राप्त हुआ है, जो उनके कृषि कार्य को अधिक प्रभावी और टिकाऊ बनाने में सहायक सिद्ध हुए हैं। उन्होंने उद्यान विभाग के अंतर्गत एक मिनी ट्रैक्टर अनुदान में प्राप्त किया है, जिससे कृषि कार्यों को सुचारू रूप से संपन्न करना संभव हुआ है। ये ट्रैक्टर न केवल खेत जोतने में सहायता करता है, बल्कि अन्य कृषि कार्यों में भी उनकी सहायता करता है। इसके अतिरिक्त, उद्यान विभाग से ही प्राप्त 80% अनुदान पर पॉलीहाउस उन्हें सब्जी उत्पादन और पौध नर्सरी के क्षेत्र में एक नई दिशा प्रदान करता है।
इस पॉलीहाउस में फ़सलों की बेहतर गुणवत्ता सुनिश्चित होती है और वे बदलते मौसम के प्रभाव से भी सुरक्षित रहती हैं। इसके साथ ही, प्रधानमंत्री सिंचाई योजना के तहत मिले जल संग्रहण टैंक का उपयोग उन्होंने सिंचाई और मछली पालन में किया है। ये टैंक जल संरक्षण में सहायक है, जो जल संकट के समय खेती में आवश्यक पानी की पूर्ति करता है और मछली पालन के माध्यम से अतिरिक्त आय का स्रोत भी बनता है।
इनके अतिरिक्त, हर्ष सिंह ने प्रधानमंत्री फ़सल बीमा योजना का भी लाभ लिया है, जिसके माध्यम से फ़सलों को प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान का बीमा मिलता है। इस योजना से न केवल उनकी फ़सलें सुरक्षित होती हैं, बल्कि इस बीमा से मिलने वाले मुआवजे का उपयोग कृषि के अन्य आवश्यक कार्यों में भी किया जा सकता है। उनके अनुसार, ये सरकारी योजनाएं किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन हैं, जो खेती के आधुनिक तरीकों में उन्हें सुविधा और आर्थिक सुरक्षा प्रदान करती हैं। इस प्रकार, हर्ष सिंह जैसे किसानों को इस प्रकार की योजनाओं का लाभ उठाकर अपने कृषि व्यवसाय को सफल और आर्थिक रूप से सशक्त बनाने का अवसर मिलता है।
मिले हुए सम्मान और उनकी उपलब्धियां
हर्ष सिंह डंगवाल की मेहनत और समर्पण का परिणाम ये है कि उन्हें राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर कई प्रतिष्ठित सम्मान मिले हैं। वर्ष 2016 में उन्हें विकासखंड स्तर पर “किसान श्री सम्मान” प्राप्त हुआ, जो उनके कृषि में नवाचार और समर्पण को मान्यता देता है। इसी तरह, 2021 में उन्हें जिला स्तर पर “कृषि कर्मण पुरस्कार” से सम्मानित किया गया। ये पुरस्कार पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय द्वारा प्रदान किया गया, जो राज्य के उत्कृष्ट किसानों को दिया जाता है।
राज्य स्तर पर, उन्हें भारतीय कृषि खाद्य परिषद द्वारा “फॉर्मर्स लीडरशिप अवार्ड 2018” से सम्मानित किया गया और इसी वर्ष उत्तराखंड में रे फाउंडेशन मलेशिया द्वारा “उत्तराखंड प्राइड अवार्ड” से नवाजा गया। इस सम्मान ने उन्हें उत्तराखंड के किसानों में एक प्रेरणा और मार्गदर्शक के रूप में स्थापित कर दिया।
राष्ट्रीय स्तर पर भी, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (ICAR) ने उन्हें “नवोन्मेषी किसान अवार्ड 2019” से सम्मानित किया। इसके अलावा, 2022 में उन्हें “कृषक शिरोमणि सम्मान” और 2023 में जैव रक्षा अनुसंधान संस्थान DRDO द्वारा उत्कृष्टता के लिए सम्मानित किया गया। इन सम्मानों के माध्यम से हर्ष सिंह ने जैविक खेती और किसानों के हित में जो प्रयास किए हैं, उसकी सराहना की गई है।
उन्होंने महिंद्रा ट्रैक्टर मिलेनियम फार्मर ऑफ इंडिया अवार्ड और कृषि पत्रकारिता के लिए एग्रीकल्चर टुडे अवार्ड 2023 भी प्राप्त किए हैं, जिससे उनके ज्ञान और अनुभव को राष्ट्रव्यापी स्तर पर पहचाना गया। उनके ये सभी सम्मान न केवल उनकी मेहनत और योगदान को मान्यता देते हैं, बल्कि उन्हें कृषि क्षेत्र में और आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित भी करते हैं। हर्ष सिंह की ये उपलब्धियां उन्हें भविष्य के किसानों के लिए एक आदर्श बनाती हैं।
जैविक खेती में भविष्य की योजनाएं
हर्ष सिंह का सपना है कि जैविक खेती और प्राकृतिक पद्धतियों के उपयोग से अधिक से अधिक किसान लाभान्वित हों। वे इस बात पर जोर देते हैं कि केवल जैविक खेती के माध्यम से ही हम आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वच्छ और स्वस्थ पर्यावरण बना सकते हैं। उनका मानना है कि जैविक खेती न केवल मिट्टी और फ़सलों के लिए लाभदायक है, बल्कि इससे किसानों की आय में भी वृद्धि होती है।
निष्कर्ष
हर्ष सिंह डंगवाल की यात्रा से ये संदेश मिलता है कि अगर सही मार्गदर्शन और समर्पण के साथ काम किया जाए, तो खेती न केवल लाभदायक हो सकती है, बल्कि एक स्वस्थ और सुरक्षित भविष्य की नींव भी रख सकती है। हर्ष सिंह का हर काम उनके क्षेत्र के किसानों को प्रेरित कर रहा है और जैविक खेती के क्षेत्र में एक आदर्श प्रस्तुत कर रहा है।
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