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प्रीति भंडारी, उत्तराखंड के अल्मोड़ा ज़िले की एक महिला उद्यमी, ने मशरूम की खेती के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों को छुआ है। न केवल उन्होंने खुद को इस क्षेत्र में स्थापित किया है, बल्कि उन्होंने हजारों किसानों और युवाओं को भी प्रशिक्षित किया है। उनकी ये यात्रा ‘अल्मोड़ा मशरूम्स’ के सफल स्टार्टअप से लेकर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसा प्राप्त करने तक की है।
मशरूम की खेती में कदम
प्रीति ने 2016 में आईसीएआर-वीपीकेएएस (ICAR-VPKAS) के तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लेकर मशरूम की खेती की बारीकियां सीखीं। इस प्रशिक्षण ने उन्हें इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा दी।
प्रीति कहती हैं,
“मैंने मशरूम की खेती को इसलिए चुना क्योंकि यह कम लागत में अधिक आय देने वाला व्यवसाय है।”
प्रशिक्षण के बाद उन्होंने छोटे स्तर पर मशरूम उत्पादन शुरू किया और धीरे-धीरे प्रोसेसिंग और वैल्यू-एडेड उत्पाद बनाने की दिशा में कदम बढ़ाए। उनका पहला उत्पाद मशरूम अचार था, जिसे स्थानीय बाजार में बहुत सराहा गया। प्रीति का कहना है कि मशरूम की खेती ने उन्हें न केवल आत्मनिर्भर बनाया बल्कि अन्य किसानों को भी इस दिशा में प्रेरित किया।
खेती को नए आयाम
आज प्रीति अपनी खेती को नए आयाम पर ले जाते हुए नए प्रोडक्ट्स जैसे मशरूम बर्गर और मशरूम मोमो भी बना रही हैं, जो स्थानीय और शहरी बाजारों में लोकप्रिय हो रहे हैं। उनका मानना है कि मशरूम की खेती में कदम रखना ग्रामीण महिलाओं और युवाओं के लिए एक नई क्रांति ला सकता है।
प्रीति ने क्यों शुरु किया स्टार्टअप ?
प्रीति ने जिला प्रशासन, अल्मोड़ा के सहयोग से उत्तराखंड का पहला मशरूम स्टार्टअप ‘अल्मोड़ा मशरूम्स’ स्थापित किया। इसके अंतर्गत वे मशरूम से जुड़े कई उत्पाद तैयार करती हैं, जैसे:
1.मशरूम अचार
2.मशरूम मिलेट मोमो
3.मशरूम बिरयानी
4.मशरूम सूप
5.मशरूम बर्गर
6.मशरूम बड़ी
इन उत्पादों को स्थानीय बाजार और ज़ोमैटो जैसे ऑनलाइन प्लेटफार्म के माध्यम से बेचा जाता है।
किसानों और युवाओं को प्रशिक्षण
प्रीति ने अब तक उत्तराखंड के नैनीताल, अल्मोड़ा, बागेश्वर, पिथौरागढ़, चंपावत, और ऊधम सिंह नगर जिलों के 2000 से अधिक किसानों और युवाओं को मशरूम की खेती का प्रशिक्षण दिया है। उनके प्रशिक्षण सत्रों में न केवल तकनीकी पहलुओं पर ध्यान दिया जाता है, बल्कि किसानों को बाजार से जुड़ने और मशरूम की प्रोसेसिंग के लाभों के बारे में भी जागरूक किया जाता है।
उन्होंने बताया,
“मेरा सपना है कि हर किसान आत्मनिर्भर बने और मशरूम की खेती के जरिए अतिरिक्त आय अर्जित कर सके।”
उनके द्वारा सिखाई गई तकनीकों ने कई किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार किया है। आज, उनके प्रशिक्षित किसान न केवल अपनी फसल की गुणवत्ता में सुधार कर रहे हैं, बल्कि जैविक खेती की दिशा में भी कदम बढ़ा रहे हैं। प्रीति की यह पहल युवाओं को कृषि क्षेत्र में करियर बनाने के लिए प्रेरित कर रही है, जिससे कृषि के प्रति नई पीढ़ी का झुकाव बढ़ा है।
पुरस्कार और उपलब्धियां
प्रीति को उनके काम के लिए कई सम्मान प्राप्त हुए हैं:
1.राज्य स्त्री शक्ति तीलू रौतेली पुरस्कार (2019-20)
2.आईसीएआर-वीपीकेएएस द्वारा उत्कृष्ट कार्य के लिए सम्मान
3.बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान के तहत महिला सशक्तिकरण पुरस्कार
4.आईएआर आई इनोवेटिव फार्मर अवार्ड (2024)
5.SDG गोलकीपर अवार्ड 2022
महिला सशक्तिकरण और सामाजिक योगदान
प्रीति केवल एक किसान नहीं, बल्कि एक सामाजिक बदलाव की प्रतीक हैं। उन्होंने न केवल महिलाओं को प्रशिक्षित किया है, बल्कि उन्हें स्वरोजगार के अवसर भी प्रदान किए हैं।
“महिलाएं अगर आत्मनिर्भर बनेंगी, तो पूरा समाज सशक्त होगा,” प्रीति ने कहा।
उनकी कार्यशालाओं में महिलाओं की बड़ी भागीदारी रहती है, जहां वे मशरूम की खेती के साथ-साथ इसके विपणन की तकनीक भी सिखाती हैं।
प्रीति का स्टार्टअप ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन का माध्यम बना है। उनके अनुसार,
“मशरूम की खेती ने न केवल मेरी आर्थिक स्थिति को मजबूत किया है, बल्कि इसे अपनाने वाले कई परिवारों की आय भी बढ़ाई है।”
उनका स्टार्टअप हर साल लगभग 10 लाख रुपये का राजस्व उत्पन्न करता है, जिससे वे अपने समुदाय में रोजगार के नए अवसर प्रदान कर रही हैं। इसके अलावा, उनके प्रोडक्शन यूनिट में महिलाओं और युवाओं को प्रशिक्षण देकर स्वरोजगार के लिए प्रेरित किया जाता है। प्रीति का मानना है कि उनके प्रयासों से अब तक 200 से अधिक ग्रामीण महिलाएं आत्मनिर्भर हो चुकी हैं। वे मशरूम उत्पादों की प्रोसेसिंग और पैकेजिंग से जुड़े नए उद्यम शुरू करने पर भी काम कर रही हैं, जिससे और अधिक लोगों को लाभ पहुंचे।
सरकार से अपेक्षाएं और योजनाएं
हालांकि प्रीति ने अब तक किसी सरकारी योजना का लाभ नहीं लिया है, लेकिन उनका मानना है कि सरकार अगर मशरूम उत्पादकों को विशेष सब्सिडी और विपणन सहायता प्रदान करे, तो यह उद्योग और भी तेजी से बढ़ सकता है।
भविष्य की योजनाएं
प्रीति अपनी सफलता को और ऊंचाई पर ले जाना चाहती हैं। उनकी योजना मशरूम प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित करने और अंतरराष्ट्रीय बाजार तक अपने उत्पादों को पहुंचाने की है। वे मशरूम आधारित हेल्थ सप्लीमेंट्स और ऑर्गेनिक प्रोटीन उत्पादों पर भी काम करना चाहती हैं। इसके अलावा, वे उत्तराखंड में मशरूम टूरिज्म की अवधारणा को बढ़ावा देने के लिए कार्यशालाएं और कैंप आयोजित करने की योजना बना रही हैं।
उनका लक्ष्य है कि राज्य के अधिक से अधिक किसान इस तकनीक को अपनाएं और आत्मनिर्भर बनें। वे मशरूम उत्पादन से जुड़ी नई तकनीकों को गांव-गांव तक पहुंचाने के लिए एक मोबाइल ट्रेनिंग वैन शुरू करने पर भी विचार कर रही हैं।
प्रीति भंडारी की कहानी सिर्फ एक महिला उद्यमी की सफलता नहीं, बल्कि ग्रामीण भारत में आत्मनिर्भरता, नवाचार और सशक्तिकरण की मिसाल है। उनकी मेहनत और नवाचार ने यह साबित कर दिया है कि सीमित संसाधनों के बावजूद बड़ा बदलाव लाया जा सकता है।
प्रीति का संदेश है-
“अगर आप कुछ नया करना चाहते हैं, तो जोखिम उठाने से डरें नहीं।मेहनत और सही मार्ग दर्शन के साथ कुछ भी संभव है।”