प्रगतिशील किसान शिव प्रसाद साहनी जो लाए फिश फार्मिंग और इंटीग्रेटेड फार्मिंग में क्रांति

78 साल के शिव प्रसाद साहनी ने अपनी मेहनत और दूरदर्शिता से कृषि और मछली पालन को एक नए स्तर पर पहुंचाया है। उनके इस सफर में संघर्ष, नवाचार, और सरकार और कृषि वैज्ञानिकों का मार्गदर्शन शामिल है।

किसान सम्मान 2024

बिहार के सिवान ज़िले के महमदपुर गांव में रहने वाले 78 साल के शिव प्रसाद साहनी ने अपनी मेहनत और दूरदर्शिता से कृषि और मछली पालन को एक नए स्तर पर पहुंचाया है। उनके इस सफर में संघर्ष, नवाचार, और सरकार और कृषि वैज्ञानिकों का मार्गदर्शन शामिल है।

शिक्षा और शुरुआती जीवन

1963 में मैट्रिक की पढ़ाई पूरी करने के बाद, शिव प्रसाद ने आईटीआई सारण इंजीनियरिंग, मरौहरा से जनरल मैकेनिक में डिप्लोमा किया। तकनीकी ज्ञान होने के बावजूद, शुरुआती दिनों में उन्हें आय के लिए केवल 75,000 रुपये सालाना पर निर्भर रहना पड़ा। उनकी ज़मीन और तालाब का उचित उपयोग कर, उन्होंने खुद को एक सफल किसान और उद्यमी के रूप में स्थापित किया।

छोटे कदम से बड़े आयाम तक

शिव प्रसाद ने मछली पालन की शुरुआत पारंपरिक तरीके से की। बाद में उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र, सिवान के मार्गदर्शन में वैज्ञानिक तकनीकों को अपनाया। आज उनके तालाब में कॉमन कार्प, ग्रास कार्प, रोहु, कतला, और मृगल नैन जैसी मछलियों की 90 क्विंटल स्पॉन (मछली बीज) का उत्पादन होता है, जिससे उनकी वार्षिक आय 51 लाख रुपये तक पहुंच गई है।

वे बताते हैं:

“शुरुआत में, मैंने सिर्फ पारंपरिक तरीके से मछली पालन किया। लेकिन जब मैंने वैज्ञानिक तकनीकें अपनाईं, तो उत्पादन और आय में बड़ा बदलाव आया। अब मेरी मछलियां आसपास के जिलों जैसे गोपालगंज, छपरा, चंपारण और वैशाली में भी सप्लाई होती हैं।”

समेकित कृषि प्रणाली की सफलता

शिव प्रसाद ने अपने तालाब के किनारों का उपयोग कर सब्जियां और फल उगाना शुरू किया। वे बैंगन, गायफली, और मसालों की खेती करते हैं, जिससे वे हर साल 6.4 लाख रुपये की अतिरिक्त आय अर्जित करते हैं।

वे बताते हैं:

“तालाब के चारों ओर की जमीन को खाली छोड़ना सही नहीं था। मैंने इसे फसल उगाने के लिए उपयोग किया। इससे लागत भी कम हुई और आय भी बढ़ी।” 

समेकित कृषि प्रणाली (Integrated Farming System) क्या है?

समेकित कृषि प्रणाली (Integrated Farming System – IFS) खेती का एक उन्नत और टिकाऊ मॉडल है, जिसमें विभिन्न कृषि गतिविधियों और संसाधनों को इस तरह से जोड़ा जाता है कि वे एक-दूसरे का पूरक बनें। इसका उद्देश्य पर्यावरण को संतुलित रखते हुए किसानों की आय को बढ़ाना और लागत को कम करना है। इस प्रणाली में मुख्य रूप से फसल उत्पादन, पशुपालन, मछली पालन, वर्मी-कम्पोस्ट, बागवानी और अन्य कृषि आधारित गतिविधियों को एक साथ जोड़ा जाता है।

समेकित कृषि प्रणाली के प्रमुख घटक

1.फसल उत्पादन (Crop Production):

•फसल उगाने के साथ-साथ उनके अवशेषों का उपयोग पशुओं और मछलियों के लिए चारे के रूप में किया जाता है।

•जैसे धान की भूसी या गेहूं के डंठल पशुओं के चारे के रूप में उपयोग किए जाते हैं।

2.पशुपालन (Animal Husbandry):

•मवेशियों से प्राप्त गोबर और मूत्र को वर्मी-कम्पोस्ट बनाने में उपयोग किया जाता है।

•दूध, गोमूत्र, और गोबर जैसे उत्पाद किसानों के लिए अतिरिक्त आय का साधन बनते हैं।

3.मछली पालन (Fish Farming):

•तालाब में मछली पालन के साथ-साथ उसके पानी का उपयोग फसलों की सिंचाई के लिए किया जाता है।

•तालाब के किनारों पर सब्जियां या फल उगाए जातेहैं, जिससे अतिरिक्त आय होती है।

4.वर्मी-कम्पोस्ट (Vermicomposting):

•जैविक खाद बनाने के लिए वर्मी-कम्पोस्ट इकाई स्थापित की जाती है।यह मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने और रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता कम करने में सहायक है।

5.बागवानी (Horticulture):

•फलों, सब्जियों, मसालों और फूलों की खेती तालाब या खेत के किनारों पर की जाती है, जिससे भूमि का अधिकतम उपयोग होता है।

6.पोल्ट्रीऔरमधुमक्खीपालन (Poultry & Apiculture):

•पोल्ट्री से अंडे और मांस के माध्यम से आय होती है।

•मधुमक्खी पालन से शहद उत्पादन और परागण में मदद मिलती है, जिससे फसल उत्पादन बेहतर होता है।

समेकित कृषि प्रणाली के लाभ

1.आय में वृद्धि:

•फसल उत्पादन के साथ पशुपालन, मछली पालन और अन्य गतिविधियों को जोड़कर आय के स्रोतों को विविध बनाया जा सकता है।

•एक से अधिक आय स्रोत होने से किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।

2.लागत में कमी:

•फसल अवशेष, गोबर, और मछली पालन के अपशिष्टों का पुन: उपयोग करके उर्वरक और चारे की लागत को कम किया जा सकता है।

3.पर्यावरणीय लाभ:

•जैविक खाद और वर्मी-कम्पोस्ट के उपयोग से रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों की आवश्यकता कम होती है, जिससे मिट्टी और पानी प्रदूषित नहीं होते।

4.प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग:

•पानी, मिट्टी, और जैविक अपशिष्टों का बेहतर प्रबंधन किया जा सकता है।

•हरित ऊर्जा जैसे सोलर पंप और बायो गैस का उपयोग ऊर्जा की लागत को कम करता है।

5.रोजगार के अवसर:

•यह प्रणाली ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर प्रदान करती है।विशेष रूप से, महिलाओं और युवाओं के लिए स्वरोजगार के अवसर बढ़ते हैं।

6.सतत विकास:

•टिकाऊ खेती के सिद्धांतों को बढ़ावा देती है, जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना खेती को लाभकारी बनाया जा सकता है।

भारत में समेकित कृषि प्रणाली का महत्व

भारत में, जहां अधिकांश किसान छोटे और सीमांत जोत पर खेती करते हैं, समेकित कृषि प्रणाली एक प्रभावी और टिकाऊ मॉडल है। यह प्रणाली न केवल उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार करती है, बल्कि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने में भी मदद करती है।

भारत सरकार और विभिन्न कृषि विश्वविद्यालय इस प्रणाली को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएँ चला रहे हैं, जैसे:

• राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY): इसके तहत समेकित कृषि प्रणाली को अपनाने के लिए किसानों को आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है।

• कृषि विज्ञान केंद्र (KVK): किसानों को इस प्रणाली के लिए प्रशिक्षण और तकनीकी सहायता दी जाती है।

• प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (PM-Kisan): किसानों को आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है, जिससे वे समेकित कृषि प्रणाली में निवेश कर सकें।

तकनीकी प्रशिक्षण और नवाचार

शिव प्रसाद ने मछली पालन, मुर्गी पालन, मधुमक्खी पालन, वर्मी-कम्पोस्टिंग, और मशरूम उत्पादन जैसे क्षेत्रों में विभिन्न प्रशिक्षण लिए। उन्होंने जलगांव (महाराष्ट्र) और आरएयू, पूसा से भी उन्नत तकनीकों का प्रशिक्षण प्राप्त किया। इन तकनीकों को अपनाने से उनकी वार्षिक आय 1.02 करोड़ रुपये तक पहुंच गई।

उन्होंने कहा:

“वैज्ञानिकों के साथ चर्चा और प्रशिक्षण ने मेरी सोच को बदल दिया। मैंने केवल मछली पालन पर निर्भर रहने के बजाय, समेकित खेती की ओर कदम बढ़ाया।”

पुरस्कार और मान्यताएं

शिव प्रसाद के नवाचार और मेहनत को राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर मान्यता मिली है। उन्हें मिले कुछ प्रमुख पुरस्कार:

1.जगजीवन राम अभिनव किसान पुरस्कार 2020 (जोनल)

2.IARI इनोवेटिव फार्मरअवार्ड 2020

3.डॉ. हीरा लाल चौधरी बेस्ट फिश फार्मर अवार्ड

4.ग्रास रूट इनोवेशन अवार्ड

5.अभिनव किसान पुरस्कार

सरकार और संस्थागत सहयोग

शिव प्रसाद ने सरकार से कई योजनाओं का लाभ उठाया, जैसे:

•ड्रिप सिंचाई प्रणाली का इंस्टॉलेशन

•वर्मी-कम्पोस्ट उत्पादन के लिए सब्सिडी

•मछली बीज उत्पादन में अनुदान

इन योजनाओं की सहायता से वे अपनी आय को लगातार बढ़ाने और उत्पादकता में सुधार करने में सफल रहे।

भविष्य की योजनाएं और दृष्टिकोण

शिव प्रसाद का लक्ष्य है कि वे अपनी समेकित कृषि प्रणाली को और विकसित करें और अन्य किसानों को इसके लिए प्रेरित करें। वे कहते हैं:

“मेरा सपना है कि मेरे जैसे छोटे किसान भी आधुनिक तकनीकों को अपनाकर आत्मनिर्भर बनें। इससे न केवल उनकी आय बढ़ेगी, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।”

शिव प्रसाद साहनी की कहानी केवल व्यक्तिगत सफलता की नहीं, बल्कि ग्रामीण भारत में कृषि और उद्यमशीलता को बढ़ावा देने की है। उनके प्रयास यह दिखाते हैं कि कैसे सही तकनीक, प्रशिक्षण, और समर्पण के साथ खेती और पशुपालन को एक लाभदायक व्यवसाय बनाया जा सकता है। उनकी यात्रा अन्य किसानों के लिए प्रेरणा और मार्गदर्शन का कार्य करती है। 

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