साधना तिवारी हैं जैविक खेती और प्रगतिशील तकनीकों से प्रेरित महिला किसान

साधना तिवारी ने कृषि में नई तकनीक और जैविक खेती को अपनाकर सफलता हासिल की, जिससे वह अन्य किसानों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनीं।

जैविक खेती Organic Farming

साधना तिवारी, मध्य प्रदेश के सतना जिले के माधवगढ़ गांव की निवासी, एक प्रगतिशील महिला किसान हैं, जिन्होंने जैविक और प्राकृतिक खेती को अपनाकर न केवल खुद को सफल बनाया, बल्कि अन्य किसानों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनीं। 16 अक्टूबर 1986 को जन्मीं साधना ने पिछले 10 वर्षों में 11 से 15 एकड़ जमीन पर जैविक खेती को न केवल व्यावसायिक स्तर पर अपनाया, बल्कि इसे एक स्वस्थ और टिकाऊ कृषि पद्धति के रूप में स्थापित किया है।

जैविक खेती का सफर (The journey of organic farming)

साधना ने अपनी जैविक खेती की यात्रा 10 साल पहले शुरू की थी। शुरुआत में वे केवल 1-2 एकड़ जमीन पर अपने परिवार के लिए खेती करती थीं। धीरे-धीरे, उन्होंने जैविक खेती के महत्व को समझा और इसे बड़े पैमाने पर अपनाने का निर्णय लिया। आज, वे अपने खेत में चावल, सब्जियां, और फल जैसी कई फ़सलें जैविक विधियों से उगाती हैं।

उनके अनुसार, जैविक खेती में न केवल उत्पादन की गुणवत्ता बेहतर होती है, बल्कि यह फ़सल को अधिक पौष्टिक और सुरक्षित बनाती है। वे गोबर की खाद, वर्मी कम्पोस्ट, और नाडेप खाद जैसी जैविक खादों का उपयोग करती हैं।साधना ने बताया कि जैविक खेती का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इससे पर्यावरण को नुकसान नहीं होता और उत्पादित फ़सलें रसायन मुक्त होती हैं। उन्होंने कहा, “हमारे लिए जैविक खेती न केवल एक व्यवसाय है, बल्कि यह हमारे परिवार और समाज के लिए स्वस्थ भोजन प्रदान करने का एक जरिया है।”

खेती का तरीका और चुनौतियां (Farming method and challenges)

साधना अपने 11-15 एकड़ खेत में विभिन्न प्रकार की फ़सलों की खेती करती हैं। वे अपने खेत को दो हिस्सों में बांटती हैं, जिसमें एक हिस्सा पूरी तरह जैविक खेती के लिए समर्पित होता है। उनके खेत का संचालन निम्नलिखित प्रक्रियाओं पर आधारित है:

1.जैविक खाद का उपयोग: वे गोबर की खाद, वर्मीकम्पोस्ट, और फ़सल अवशेषों से बनी खाद का उपयोग करती हैं।

2.प्राकृतिक कीटनाशकों का प्रयोग: साधना नीम के तेल और पंचगव्य जैसे प्राकृतिक कीटनाशकों का इस्तेमाल करती हैं, जिससे फ़सलों को हानिकारक कीड़ों से बचाया जा सके।

3.जलसंरक्षण: अपने खेत में नहरों और तालाबों का उपयोग कर वे पानी का संरक्षण करती हैं।

4.फ़सल विविधता: वे चावल, गेहूं, सब्जियां और फल उगाती हैं, ताकि जैव विविधता बनी रहे और भूमिकी उर्वरता भी संरक्षित हो।

हालांकि, साधना ने स्वीकार किया कि पूरे खेत को जैविक खेती में बदलने में कई चुनौतियां हैं। रासायनिक खेती से जैविक खेती में बदलाव करते समय उत्पादन में कमी हो सकती है, लेकिन वे इसे अपने परिवार और पर्यावरण के लिए आवश्यक मानती हैं।

नमो ड्रोन दीदी योजना और तकनीकी नवाचार (Namo Drone Didi Scheme and Technological Innovation)

साधना ने नमो ड्रोन दीदी योजना का लाभ उठाकर अपने काम में तकनीकी नवाचार किया है। इस योजना के तहत उन्होंने ड्रोन के माध्यम से खेती के लिए प्राकृतिक खाद और कीटनाशकों का छिड़काव शुरू किया।

साधना का कहना है कि ड्रोन का उपयोग खेती में समय और श्रम दोनों की बचत करता है। हालांकि, उन्होंने यह भी बताया कि ड्रोन की बैटरी की क्षमता और लागत उनकी मुख्य चिंताएं हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार और ड्रोन निर्माता कंपनियों को बैटरी की दक्षता बढ़ाने और किसानों को उचित प्रशिक्षण प्रदान करने पर ध्यान देना चाहिए।

ड्रोन तकनीक के उपयोग के बारे में उनका कहना है, “ड्रोन के माध्यम से छिड़काव से समय और संसाधनों की बचत होती है। यह तकनीक भविष्य में किसानों के लिए बहुत उपयोगी साबित हो सकती है।”

सम्मान और उपलब्धियां (Honours and achievements)

साधना तिवारी को उनके योगदान के लिए कई पुरस्कार और सम्मान मिल चुके हैं, जो उनके कार्य की मान्यता है। इनमें प्रमुख हैं:

1.ICAR Fellow 2024

2.ICAR Innovative 2022

3.JNKVV Fellow 2021

4.RVSKVV Fellow 2023

5.INSEE Women Farmer 2024

इन सम्मानों ने न केवल उनके कार्यों को सराहा, बल्कि उन्हें अन्य किसानों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बनाया।

आर्थिक और सामाजिक योगदान (Economic and social contributions)

साधना की खेती से सालाना आय 11 से 20 लाख रुपये तक है, जो उनके मेहनत और नवाचार का परिणाम है। उन्होंने बताया कि जैविक खेती में उत्पादन लागत कम होती है और मुनाफा अधिक होता है। वे अन्य किसानों को भी जैविक खेती के फायदे बताते हुए प्रेरित करती हैं। उन्होंने अपने खेत को एक प्रैक्टिकल लर्निंग सेंटर के रूप में विकसित किया है, जहां वे किसानों को जैविक खेती की तकनीक सिखाती हैं। साधना कहती हैं, “जैविक खेती से न केवल हमारा पर्यावरण सुरक्षित रहता है, बल्कि किसानों की आय भी बढ़ती है। यह हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए एक उपहार है।”

भविष्य की योजनाएं (future plans)

साधना तिवारी की योजना है कि वे अपने जैविक उत्पादों को देशभर में पहुंचाने के लिए एक संगठन की स्थापना करें। इसके अलावा, वे महिलाओं को सशक्त बनाने और खेती के क्षेत्र में उनकी भागीदारी बढ़ाने के लिए एक प्रशिक्षण केंद्र शुरू करना चाहती हैं। उनका मानना है कि जैविक खेती और तकनीकी नवाचारों को अपनाने से भारतीय कृषि को एक नई दिशा दी जा सकती है। 

निष्कर्ष (conclusion)

साधना तिवारी का कार्य न केवल सतना जिले के किसानों के लिए, बल्कि पूरे देश के किसानों के लिए प्रेरणादायक है। उनकी मेहनत, समर्पण, और नवाचार ने यह साबित किया है कि जैविक खेती के माध्यम से न केवल हम अपने पर्यावरण को बचा सकते हैं, बल्कि एक स्थायी और लाभकारी कृषि प्रणाली भी स्थापित कर सकते हैं।

उनकी कहानी यह संदेश देती है कि यदि किसान अपनी परंपराओं और आधुनिक तकनीकों को साथ लेकर चलें, तो वे न केवल आत्मनिर्भर बन सकते हैं, बल्कि समाज में एक सकारात्मक बदलाव भी ला सकते हैं। साधना तिवारी का जीवन और कार्य एक मिसाल है, जो बताता है कि एक महिला किसान भी अपने दृढ़ संकल्प और मेहनत से कृषि के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धियां हासिल कर सकती है।

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सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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