सुमित डागर ने क़ायम की जैविक खेती में नवाचार और “फार्म टू टेबल” में सफलता की मिसाल

सुमित डागर ने जैविक खेती को अपनाकर न केवल गांव, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई और 'फार्म टू टेबल' मॉडल से 1500 से अधिक उपभोक्ताओं को जैविक उत्पाद प्रदान किए।

जैविक खेती Organic Farming

सुमित डागर, दिल्ली के दक्षिण पश्चिम जिले के मलिकपुर गांव के निवासी, एक ऐसे किसान हैं, जिन्होंने पारंपरिक खेती को छोड़कर जैविक खेती और प्राकृतिक कृषि को अपनाया और इसे न केवल अपने गांव बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक नई पहचान दिलाई। 13 जुलाई 1989 को जन्मे सुमित ने एक शिक्षक की नौकरी को छोड़कर 2020 में जैविक खेती का प्रशिक्षण लिया और “जहर मुक्त किसान-देश की शान” के उद्देश्य से इस क्षेत्र में कदम रखा।

सुमित ने न केवल जैविक खेती को अपनाया, बल्कि किसानों और उपभोक्ताओं के बीच सीधा संपर्क स्थापित करने के लिए “फार्म टू टेबल” का एक सफल मॉडल तैयार किया। उनकी वेबसाइट dhaamorganic.com के माध्यम से वे 1500 से अधिक उपभोक्ताओं को जैविक उत्पाद उपलब्ध करवा रहे हैं।

जैविक खेती का सफर (Organic farming journey)

सुमित डागर ने जैविक खेती की शुरुआत 14 एकड़ भूमि पर की, जहां वे प्राकृतिक उत्पादों जैसे जीवामृत, बीजामृत, धनजीवामृत, और प्राकृतिक कीटनाशकों का उपयोग करते हैं। उनकी खेती में कोई रसायनिक खाद या कीटनाशक नहीं उपयोग किया जाता।

उनका मानना है कि जैविक खेती न केवल पर्यावरण के लिए लाभकारी है, बल्कि यह मानव स्वास्थ्य और भूमि की उर्वरता को भी बनाए रखती है। वे हर साल “जहर मुक्त किसान” कार्यक्रम का आयोजन करते हैं, जिसमें देशभर से किसान आते हैं और जैविक खेती की तकनीकों को सीखते हैं। सुमित ने अपनी खेती को स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैलाया है। उनकी उपज, जैसे बाजरा, जौ, सब्जियां और मोटे अनाज, केवल भारत में ही नहीं, बल्कि जापान, यूएस, और सिंगापुर जैसे देशों में भी लोकप्रिय हैं।

“फार्म टू टेबल” मॉडल की सफलता (Success of the “Farm to Table” model)

सुमित डागर का सबसे बड़ा नवाचार उनकी “फार्म टू टेबल” पहल है। इस मॉडल के तहत वे अपने खेतों से उपज सीधे उपभोक्ताओं तक पहुंचाते हैं। उनकी वेबसाइट के माध्यम से उपभोक्ता सीधे जैविक उत्पादों की खरीद कर सकते हैं।

इस मॉडल की खास बात यह है कि यह उपभोक्ताओं को यह जानने का मौका देता है कि उनकी थाली में जो भोजन है, वह कहां से आया है और कैसे उगाया गया है।

मुख्य विशेषताएं:

  • 1500+ नियमित उपभोक्ता
  • रोजाना ताजे फल, सब्जियां और अनाज की आपूर्ति
  • अंतरराष्ट्रीय उपभोक्ताओं तक पहुंच
  • जैविक उत्पादों की गुणवत्ता और ताजगी की गारंटी

प्रधानमंत्री से उनकी चर्चा (His discussion with the Prime Minister)

11 अगस्त 2024 को श्री सुमित डागर को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी से चर्चा का अवसर मिला। उन्होंने “प्राकृतिक खेती और मोटे अनाज” पर अपने अनुभव साझा किए।

प्रधानमंत्री ने उनकी “फार्म टू टेबल” पहल और जैविक खेती के प्रयासों की सराहना की। सुमित ने बताया कि कैसे उनके खेत में जापान, यूएस और अन्य देशों के लोग आते हैं, जैविक खेती सीखते हैं और यहां के अनाज को निर्यात करते हैं।

सम्मान और उपलब्धियां (Honours and achievements)

श्री सुमित डागर को उनके उल्लेखनीय कार्य के लिए कई पुरस्कारों और सम्मानों से नवाजा गया है:

  1. लखपति किसान पुरस्कार (2023): दैनिक जागरण और कृषि विज्ञान केंद्र, दिल्ली द्वारा।
  2. प्रगतिशील कृषक पुरस्कार (2022): कृषि विज्ञान केंद्र, दिल्ली द्वारा।
  3. बागवानी में उत्कृष्टता पुरस्कार (2022): हरियाणा सरकार द्वारा।
  4. प्रधानमंत्री के साथ विशेष वार्तालाप (2024): प्राकृतिक खेती और मोटे अनाज पर चर्चा।

इन उपलब्धियों ने न केवल उनकी पहचान बनाई, बल्कि अन्य किसानों को जैविक खेती अपनाने के लिए प्रेरित किया।

जैविक खेती में नवाचार (Innovation in organic farming)

सुमित डागर का जैविक खेती का मॉडल कई नवाचारों पर आधारित है। उन्होंने अपने खेत में निम्नलिखित तकनीकों और प्रक्रियाओं को अपनाया:

  1. प्राकृतिक खाद और कीटनाशक: जीवामृत, बीजामृत और धनजीवामृत का उपयोग।
  2. फ़सल विविधता: बाजरा, जौ, सब्जियां और फल सहित कई प्रकार की फ़सलों की खेती।
  3. मोटे अनाज का प्रचार: बाजरा, जौ, और अन्य मोटे अनाज को बढ़ावा देना।
  4. अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षण: उनके खेत पर जापान, यूएस और अन्य देशों के लोग आकर जैविक खेती की तकनीकें सीखते हैं।

विदेशों तक उनकी पहुंच (Marketing to foreign countries)

सुमित डागर ने अपने जैविक उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहुंचाया है। उनकी उपज, जैसे बाजरा और मोटे अनाज, सिंगापुर, जापान और यूएस तक निर्यात किए जाते हैं। उन्होंने यह साबित किया है कि जैविक खेती केवल एक स्थानीय प्रयास नहीं है, बल्कि यह वैश्विक स्तर पर भी पहचान बना सकती है।

आर्थिक सफलता (Economic success)

सुमित डागर की वार्षिक आय 21-30 लाख रुपये है, जो उनकी मेहनत और नवाचार का परिणाम है।

उनकी आय का मुख्य स्रोत:

  • जैविक खेती
  • “फार्म टू टेबल” मॉडल
  • अंतरराष्ट्रीय निर्यात

भविष्य की योजनाएं (future plans)

सुमित डागर की योजना है कि वे अपने “जहर मुक्त किसान” अभियान को देशभर में फैलाएं। वे और अधिक किसानों को जैविक खेती की ओर आकर्षित करना चाहते हैं और उन्हें इसके आर्थिक और पर्यावरणीय लाभों से अवगत कराना चाहते हैं।

इसके अलावा, उनकी योजना है कि वे अपने जैविक उत्पादों को और अधिक देशों तक पहुंचाएं और भारत को जैविक खेती में अग्रणी बनाएं।

निष्कर्ष (conclusion)

श्री सुमित डागर की कहानी यह दिखाती है कि यदि किसान समर्पण, मेहनत और नवाचार के साथ काम करें, तो वे न केवल अपने क्षेत्र में, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी पहचान बना सकते हैं। उनका “फार्म टू टेबल” मॉडल, जैविक खेती के लिए समर्पण, और मोटे अनाज को बढ़ावा देने का प्रयास अन्य किसानों के लिए प्रेरणा है।

उनका संदेश है, “जहर मुक्त किसान ही देश की शान है। जैविक खेती न केवल हमारी मिट्टी और स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है, बल्कि यह हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए भी एक उपहार है।” श्री सुमित डागर का जीवन और कार्य यह साबित करते हैं कि सही दृष्टिकोण और मेहनत से किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त की जा सकती है। 

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सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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