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जैविक खेती (Organic Farming) में नई ऊंचाइयों को छूने वाले रवि शर्मा हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले के बंजनी गांव में रहते हैं। जहां उन्होंने अपने भाई अक्षय शर्मा के साथ मिलकर जैविक खेती को नये मुकाम पर पहुंचाया है। एक समय इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और शिक्षण के क्षेत्र में कार्यरत यह जोड़ी अब प्राकृतिक खेती के क्षेत्र में मिसाल बन गई है। पहाड़ी इलाकों की विषम परिस्थितियों और पारंपरिक खेती के मुकाबले अलग तरीके से खेती करते हुए इन्होंने न केवल अपनी पहचान बनाई है, बल्कि अन्य किसानों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बने हैं।
कृषि में कदम रखने का सफ़र
रवि शर्मा और उनके भाई अक्षय शर्मा ने 2018 में प्राकृतिक खेती की शुरुआत की। इससे पहले, रवि नोएडा में डॉक्यूमेंट्री फिल्म मेकिंग करते थे और अक्षय शिमला के एक प्राइवेट कॉलेज में लेक्चरर थे। दोनों ने अपने पेशेवर करियर को छोड़कर खेती में कदम रखने का निर्णय लिया। इस निर्णय के पीछे उनकी यह सोच थी कि वे अपने पारिवारिक खेतों का सही उपयोग करें और जैविक खेती (Organic Farming) के माध्यम से समाज और पर्यावरण दोनों को लाभ पहुंचाएं।
उनकी खेती मुख्य रूप से बागवानी फसलों (फूल और फल) पर केंद्रित है। 5800 फीट की ऊंचाई पर स्थित उनके खेतों में वे एप्पल, प्लम, खुबानी, और आड़ू जैसी फसलें उगाते हैं। इसके साथ ही, उनके पास 6000 वर्ग मीटर में संरक्षित खेती के लिए पॉलीहाउस भी है, जहां वे उच्च गुणवत्ता वाले फूल और फसलें उगाते हैं।
संरक्षित खेती: एक अनोखा प्रयास
संरक्षित खेती (Protected Cultivation) का मतलब है कि खेती को बाहरी मौसमी प्रभावों से बचाने के लिए आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया जाए।
1. पॉलीहाउस:
उनके खेत में बने पॉलीहाउस का उपयोग फसलों को बारिश, ओलावृष्टि और अधिक ठंड से बचाने के लिए किया जाता है। इससे फसलों की गुणवत्ता और उत्पादन में वृद्धि होती है।
2. सटीक तापमान नियंत्रण:
पॉलीहाउस में तापमान नियंत्रित रहता है, जिससे फूल और बागवानी फसलों का उत्पादन बेहतर होता है।
3. जल और संसाधनों की बचत:
संरक्षित खेती में ड्रिप सिंचाई और मल्चिंग जैसी तकनीकों का उपयोग किया जाता है, जिससे जल की खपत कम होती है और फसलें स्वस्थ रहती हैं।
चुनौतियां और उनका समाधान
पहाड़ी इलाकों में खेती करना आसान नहीं है। वहां की विषम परिस्थितियों और सीमित संसाधनों के बावजूद, रवि शर्मा ने इन चुनौतियों का सामना किया।
1. मिट्टी और जलवायु का विश्लेषण:
उन्होंने अपने क्षेत्र की मिट्टी और जलवायु को समझकर उन फसलों का चयन किया, जो वहां बेहतर उत्पादन दे सकें।
2. स्वस्थ खेती का प्रशिक्षण:
खेती शुरू करने से पहले उन्होंने विशेषज्ञों से परामर्श लिया और विभिन्न फार्मों का दौरा किया।
3. प्राकृतिक तरीकों का इस्तेमाल:
उन्होंने रसायनिक खादों के बजाय जैविक खादों और प्राकृतिक कीटनाशकों का उपयोग किया।
सफलता और सम्मान
रवि शर्मा की मेहनत और नवाचार को कई स्तरों पर सराहा गया है। उन्होंने निम्नलिखित पुरस्कार और सम्मान प्राप्त किए हैं:
1. मिलियनेयर फार्मर ऑफ इंडिया अवार्ड (2023):
कृषि जागरण द्वारा दिया गया यह पुरस्कार उनकी आय और प्रगतिशील खेती के लिए दिया गया।
2. बेस्ट प्रोग्रेसिव फार्मर अवार्ड (2020):
डॉ. वाई.एस. परमार यूनिवर्सिटी ऑफ हॉर्टिकल्चर एंड फॉरेस्ट्री, नौनी, सोलन द्वारा प्रदान किया गया।
3. प्रोग्रेसिव फार्मर अवार्ड (2019):
रेड क्रॉस सोसाइटी द्वारा दिया गया।
सरकारी योजनाओं का लाभ
रवि शर्मा ने सरकारी योजनाओं का सही उपयोग किया।
1. पॉलीहाउस निर्माण पर सब्सिडी:
उन्होंने संरक्षित खेती के लिए पॉलीहाउस निर्माण में सब्सिडी प्राप्त की।
2. कृषि उपकरणों पर सहायता:
जल और संसाधन बचाने के लिए उन्होंने आधुनिक कृषि उपकरणों पर सरकार की सहायता ली।
खेती से मुनाफा और आय
उनकी खेती की सालाना आय 31-40 लाख रुपए के बीच है।
1. फूलों की खेती:
पॉलीहाउस में उगाए गए फूलों को बड़े बाजारों और होटलों में बेचकर अच्छा मुनाफा होता है।
2. फल बागवानी:
उनके बागानों में उगने वाले फल जैसे सेब, प्लम, और आड़ू की स्थानीय और बाहरी बाजारों में भारी मांग है।
3. स्थानीय रोजगार:
उनकी खेती ने स्थानीय लोगों को रोजगार भी प्रदान किया है।
भविष्य की योजनाएं
1. खेती का विस्तार:
वे अपनी खेती को और बड़े स्तर पर ले जाना चाहते हैं और अधिक जमीन पर प्राकृतिक खेती करना चाहते हैं।
2. प्रशिक्षण केंद्र:
वे किसानों के लिए एक प्रशिक्षण केंद्र स्थापित करने की योजना बना रहे हैं, जहां उन्हें संरक्षित खेती और जैविक खेती की तकनीकें सिखाई जाएंगी।
3. नई फसलों का प्रयोग:
वे अपने खेत में नई किस्मों की फसलों और फूलों को उगाने की योजना बना रहे हैं।
किसानों के लिए संदेश
रवि शर्मा का मानना है कि जैविक खेती न केवल पर्यावरण के लिए फायदेमंद है, बल्कि यह किसानों के लिए भी एक लाभकारी व्यवसाय हो सकता है। उनका संदेश है:
“खेती केवल आजीविका का साधन नहीं, बल्कि इसे जीवनशैली और पर्यावरण संरक्षण के रूप में अपनाएं। नई तकनीकों का उपयोग करें और जैविक खेती से अपनी आय बढ़ाएं।”
रवि शर्मा और उनके भाई अक्षय शर्मा ने यह साबित कर दिया है कि यदि सही दृष्टिकोण, मेहनत और तकनीक का उपयोग किया जाए, तो खेती एक सफल व्यवसाय बन सकती है। उनकी कहानी उन किसानों के लिए प्रेरणा है, जो अपनी पारंपरिक खेती को छोड़कर जैविक और प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ने का सपना देख रहे हैं। हिमाचल की वादियों से निकलकर उनकी यह कहानी कृषि क्षेत्र में नए आयाम स्थापित कर रही है।