दिनेश जोशी: संरक्षित खेती में नवाचार का प्रतीक

दिनेश जोशी ने संरक्षित खेती से अपनी किसानी को उन्नत किया और इसे लाभकारी उद्यम बना कर आसपास के किसानों के लिए प्रेरणा स्रोत बने।

संरक्षित खेती Protected cultivation

राजस्थान के राजसमंद जिले के दडवल गांव के निवासी दिनेश जोशी ने संरक्षित खेती (Protected Cultivation) के माध्यम से न केवल अपनी किसानी को उन्नत किया है, बल्कि आसपास के किसानों के लिए एक प्रेरणास्त्रोत भी बन गए हैं। एक समय मुंबई महानगर में नौकरी कर रहे दिनेश ने अपनी जड़ों की ओर लौटकर कृषि को न केवल अपनी आजीविका का साधन बनाया, बल्कि इसे एक लाभकारी उद्यम के रूप में स्थापित किया।

संरक्षित खेती की शुरुआत (Introduction of protected agriculture)

दिनेश जोशी ने संरक्षित खेती के लिए पॉली हाउस का निर्माण किया। जब उन्होंने इसे शुरू किया, तो गांव में इसे लेकर काफी उत्सुकता और सवाल उठे। गांव वालों के लिए यह देखना अनोखा था कि खेती के लिए टेंट जैसा ढांचा क्यों लगाया जा रहा है। पॉली हाउस के तहत दिनेश ने पारंपरिक फ़सलों से हटकर खीरे, ब्रोकली, रेड कैबेज, लेट्यूस, और कलर शिमला मिर्च जैसी विदेशी सब्जियों की खेती शुरू की।

उन्होंने इन उत्पादों को शहरों के बड़े होटलों और बाज़ारों में पहुंचाया और अपनी फ़सलों से अच्छा लाभ अर्जित किया। उनका यह कदम न केवल उनकी आय बढ़ाने में सहायक साबित हुआ, बल्कि गांव के अन्य किसानों को भी प्रेरित किया कि वे भी संरक्षित खेती अपनाएं।

संरक्षित खेती की विशेषताएं (Features of protected cultivation)

  1. पोली हाउस का उपयोग : पोली हाउस एक संरक्षित ढांचा है, जो फ़सलों को मौसम की विपरीत परिस्थितियों, कीट और बीमारियों से बचाता है। इसमें तापमान और नमी को नियंत्रित किया जा सकता है। 
  2. फर्टिगेशन और ड्रिप तकनीक : दिनेश ने फर्टिगेशन (खाद को पानी के साथ देने की प्रक्रिया) और ड्रिप सिंचाई का उपयोग करके पानी और उर्वरकों की खपत को कम किया। 
  3. मल्चिंग तकनीक : उन्होंने पॉली हाउस में बेड पर मल्चिंग का उपयोग किया, जिससे न केवल खरपतवार की समस्या कम हुई, बल्कि मिट्टी की नमी भी बनी रही। 
  4. मौसम के प्रभाव से सुरक्षा : दिनेश की संरक्षित खेती पाले, अत्यधिक गर्मी या भारी बारिश जैसे प्रतिकूल मौसम के प्रभाव से फ़सलों की रक्षा करती है। 
  5. विदेशी सब्जियों की खेती : पारंपरिक फ़सलों के बजाय उन्होंने ब्रोकली, रेड कैबेज, लेट्यूस और चाइनीज खीरे जैसी विदेशी सब्जियां उगाईं, जिनकी बाज़ार में उच्च मांग और बेहतर मूल्य है।

 संरक्षित खेती के फ़ायदे (Advantages of protected cultivation)

  1. उच्च गुणवत्ता वाले उत्पाद : संरक्षित खेती के कारण दिनेश की फ़सलों की गुणवत्ता उच्चतम स्तर की है। उनकी सब्जियां न केवल स्वादिष्ट हैं, बल्कि देखने में भी आकर्षक हैं। 
  2. उत्पादन की निरंतरता : दिनेश की पॉली हाउस खेती में फ़सलों का उत्पादन पूरे साल निरंतर होता है। 
  3. पानी और संसाधनों की बचत : ड्रिप सिंचाई और मल्चिंग तकनीक के कारण पानी और उर्वरकों की खपत में भारी कमी आई। 
  4. आर्थिक लाभ : दिनेश ने संरक्षित खेती के माध्यम से अपनी आय में उल्लेखनीय वृद्धि की है। विदेशी सब्जियों की उच्च मांग के कारण उन्हें बाज़ार में बेहतर मूल्य मिलता है। 
  5. रोजगार सृजन : दिनेश ने गांव के कई लोगों को रोजगार प्रदान किया। उनकी खेती के कारण गांव के कई लोग अपने ही गांव में काम करने में सक्षम हो गए।

सरकारी योजनाओं का लाभ (Benefits of government schemes)

दिनेश ने अपनी संरक्षित खेती को स्थापित करने और इसे सफल बनाने के लिए विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ उठाया:  

  1. वर्मी कम्पोस्ट इकाई : राजस्थान सरकार के उद्यान विभाग की सहायता से उन्होंने वर्मी कम्पोस्ट इकाई की स्थापना की।  
  2. पोली हाउस सब्सिडी : राजस्थान सरकार और प्रधानमंत्री किसान अनुदान योजना के तहत उन्हें पॉली हाउस स्थापित करने के लिए सब्सिडी प्रदान की गई।  
  3. अंतरराज्य कृषक भ्रमण योजना : इस योजना के तहत दिनेश को अन्य राज्यों के किसानों के मॉडल देखने और उनसे सीखने का अवसर मिला।  

सम्मान और उपलब्धियां (Honours and achievements)

दिनेश की मेहनत और नवाचार को कई मंचों पर सराहा गया है। उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है:  

  1. नवोनमेषी कृषक पुरस्कार, 2020 : पूसा कृषि विज्ञान मेले में उन्हें यह प्रतिष्ठित पुरस्कार प्रदान किया गया।  
  2. जिला कलेक्टर द्वारा प्रशस्ति पत्र, 2020 : गणतंत्र दिवस समारोह में उन्हें उन्नत सब्जी उत्पादन और मॉडल किसान के रूप में सम्मानित किया गया।  
  3. इनोवेटिव फार्मर अवार्ड, 2020 : महाराणा प्रताप यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी, उदयपुर ने उन्हें यह पुरस्कार प्रदान किया।  
  4. आत्मा अवार्ड, 2022 : उन्नत कृषि तकनीकों के लिए उन्हें यह पुरस्कार मिला।  
  5. राज्य स्तरीय कृषि विज्ञान मेला, 2023 : शिमला मिर्च और देशी गुलाब की खेती में उत्कृष्टता के लिए उन्हें पहला और दूसरा स्थान प्राप्त हुआ।  

भविष्य की योजनाएं (future plans)

दिनेश जोशी का लक्ष्य है कि संरक्षित खेती के उनके मॉडल को अधिक से अधिक किसान अपनाएं। वे चाहते हैं कि किसानों को आधुनिक कृषि तकनीकों के साथ जोड़ा जाए, ताकि उनकी आय में वृद्धि हो सके। 

  1. किसानों को प्रशिक्षण देना : दिनेश ने पहले ही कई किसानों को प्रशिक्षित किया है और आगे भी वे इस काम को जारी रखना चाहते हैं।  
  2. संरक्षित खेती का विस्तार : उनका सपना है कि राजस्थान में संरक्षित खेती का दायरा बढ़े और इसे राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिले।  
  3. वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देना : वे किसानों को खेती में वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।  

किसानों के लिए संदेश (Message for farmers)

दिनेश का मानना है कि खेती को केवल परंपरा के आधार पर नहीं किया जाना चाहिए। उनका संदेश है:  

– नवाचार को अपनाएं: खेती में नए तकनीकी तरीकों को अपनाकर अपनी आय बढ़ाएं।  

– पर्यावरण का ध्यान रखें: संरक्षित खेती से न केवल उत्पादन बढ़ता है, बल्कि पर्यावरण भी संरक्षित रहता है।  

– समय के साथ बदलाव करें: आधुनिक खेती को अपनाकर नई संभावनाओं की खोज करें।  

निष्कर्ष (conclusion)

दिनेश जोशी ने संरक्षित खेती को अपनाकर न केवल अपनी आजीविका को मजबूत किया है, बल्कि किसानों के लिए एक प्रेरणा भी बने हैं। उनकी मेहनत, नवाचार और वैज्ञानिक दृष्टिकोण ने उनकी खेती को एक मॉडल बना दिया है। उनकी सफलता की कहानी यह साबित करती है कि अगर सही दृष्टिकोण और प्रयास हो, तो खेती भी एक लाभकारी और सम्मानजनक व्यवसाय बन सकती है।  

ये भी पढ़ें: बाजरे के प्रोडक्टस से शुरू की अनूप सोनी ने सफल बेकरी 

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top