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महाराष्ट्र के अमरावती जिले के शिरजगांव कोर्डे गांव की निवासी और उपसरपंच संगीता राजू बद्रे ने जैविक खेती और सामाजिक नेतृत्व में एक मिसाल कायम की है। 1981 में जन्मी संगीता ने अपनी 20+ एकड़ भूमि पर जैविक खेती के माध्यम से न केवल अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत की, बल्कि अन्य किसानों और ग्रामीणों को भी नई दिशा दिखाई। उनके प्रयासों और सफलता ने उन्हें 2023 में राज्यस्तरीय राजीव गांधी कृषि रत्न पुरस्कार और जिला स्तरीय कै. वसंतराव नाईक पुरस्कार जैसे प्रतिष्ठित सम्मान दिलाए।
शुरुआत और प्रेरणा: खेती के साथ सामुदायिक सेवा
संगीता बताती हैं,
“मैं एक किसान परिवार से हूं, और खेती हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा है। मैंने महसूस किया कि खेती केवल रोज़गार का साधन नहीं है, बल्कि इसे जैविक पद्धतियों और तकनीकों से उन्नत करके अधिक प्रभावशाली बनाया जा सकता है।”
खेती के साथ-साथ, उनकी उपसरपंच के रूप में भूमिका ने उन्हें सामाजिक कार्यों में भी सक्रिय रखा। गांव की समस्याओं को हल करना और महिलाओं को सशक्त बनाना उनके मुख्य उद्देश्य रहे हैं।
जैविक खेती की तकनीकें
संगीता का मुख्य जोर जैविक खेती (Organic Farming) पर है। उन्होंने संतरा, गेहूं, सोयाबीन, और अन्य फ़सलों की जैविक खेती शुरू की।
उनकी खेती की विशेषताएं:
1.संतरा की खेती:
- एक वर्ष में दो बहार (आंबिया बहार और मृग बहार) लेकर उत्पादन बढ़ाया।
- संतरा के साथ अंतर फ़सल के रूप में सोयाबीन, गेहूं, तूर और चना उगाया।
2.जैविक खाद का उपयोग:
- घर पर गाय के गोबर से बनी खाद का उपयोग।
- जीवामृत और दशपर्णी अर्क का प्रयोग।
3.फ़सल कटाई उपकरण:
- अपने घर पर बने कस्टमाइज्ड दस्ताने और उपकरणों का उपयोग, जिससे सोयाबीन की कटाई आसान हुई।
4.सब्जी और मसाले की खेती:
- हल्दी, अपराजिता, और हरी सब्जियों की जैविक खेती।
संगीता के प्रयासों से न केवल भूमि की उर्वरता बढ़ी है, बल्कि उत्पादन लागत भी कम हुई है।
अतिरिक्त गतिविधियां: कृषि आधारित व्यवसाय
खेती के अलावा, संगीता ने कृषि आधारित व्यवसायों में भी हाथ आजमाया।
उनकी प्रमुख व्यावसायिक गतिविधियां:
1.अनाज और मसाले प्रसंस्करण:
- सोयाबीन से आटा और बेसन तैयार करना।
- हल्दी से हल्दी पाउडर और मसाले तैयार करना।
2.ऑर्गेनिक गार्डन:
- घर में एक जैविक उद्यान विकसित किया, जहां विभिन्न फल और सब्जियां उगाई जाती हैं।
3.ग्रामीण महिलाओं को रोजगार:
- महिलाओं को दस्ताने बनाने और प्रसंस्करण इकाइयों में काम देकर रोजगार दिया।
चुनौतियां और उनका समाधान
जैविक खेती (Organic Farming) और ग्रामीण विकास के क्षेत्र में संगीता को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
मुख्य चुनौतियां:
1.तकनीकी ज्ञान की कमी:
- आधुनिक खेती और प्रसंस्करण की तकनीक को सीखने के लिए कई प्रशिक्षण कार्यक्रमों में भाग लिया।
2.महिलाओं की भागीदारी:
- ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए उन्हें प्रशिक्षण दिया।
3.बाज़ार की समस्या:
- सीधे बाज़ार से जुड़कर अपने उत्पादों को बेचने का नेटवर्क तैयार किया।
आर्थिक और सामुदायिक प्रभाव
संगीता का खेती और व्यवसाय का मॉडल न केवल उनकी आय को बढ़ाने में सहायक रहा है, बल्कि उनके गांव और आसपास के क्षेत्रों में भी इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
प्रमुख प्रभाव:
आर्थिक उन्नति: उनकी वार्षिक आय 11-20 लाख रुपये के बीच है।
रोजगार सृजन: 50 से अधिक ग्रामीण महिलाओं और पुरुषों को उनके व्यवसाय से रोजगार मिला है।
समुदाय में प्रेरणा: उनके प्रयासों से कई किसान जैविक खेती (Organic Farming) और प्रसंस्करण की ओर आकर्षित हुए हैं।
सरकारी योजनाओं और पुरस्कारों का लाभ
हालांकि संगीता ने अभी तक किसी सरकारी योजना का प्रत्यक्ष लाभ नहीं लिया है, लेकिन उनके कार्यों को सरकार और कृषि संगठनों से सराहना मिली है।
प्राप्त पुरस्कार:
1.राज्यस्तरीय राजीव गांधी कृषि रत्न पुरस्कार (2023)
2.जिला स्तरीय कै. वसंतराव नाईक पुरस्कार।
3.दैनिक भास्कर द्वारा ऑर्गेनिक खेती के लिए सम्मान।
सरकार की पहल:
संगीता जैसी किसानों को तकनीकी प्रशिक्षण और मार्केटिंग प्लेटफॉर्म प्रदान करने के लिए सरकारी योजनाएं जैसे पीएम-किसान योजना और जैविक खेती (Organic Farming) मिशन उपयोगी हो सकती हैं।
भविष्य की योजनाएं
संगीता अपनी सफलता को और ऊंचाई पर ले जाना चाहती हैं।
उनकी प्रमुख योजनाएं:
1.फ़सल प्रसंस्करण इकाई की स्थापना।
2.अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में उत्पादों को ले जाना।
3.ग्रामीण महिलाओं के लिए एक प्रशिक्षण केंद्र स्थापित करना।
संगीता कहती हैं,
“मेरी कोशिश है कि ग्रामीण महिलाएं आत्मनिर्भर बनें और खेती को केवल पुरुषों का क्षेत्र न समझा जाए।”
संगीता बद्रे: एक प्रेरणा
संगीता बद्रे का जीवन और कार्य केवल एक सफल किसान की कहानी नहीं है, बल्कि यह एक उदाहरण है कि कैसे महिलाएं ग्रामीण क्षेत्रों में सामाजिक और आर्थिक बदलाव ला सकती हैं।
उनकी सफलता के सूत्र:
1.मेहनत और धैर्य।
2.तकनीक और परंपरा का संतुलन।
3.सामुदायिक विकास में योगदान।
निष्कर्ष
संगीता बद्रे की कहानी इस बात का प्रमाण है कि जैविक खेती (Organic Farming) और सामुदायिक भागीदारी से न केवल व्यक्तिगत सफलता हासिल की जा सकती है, बल्कि समाज में व्यापक बदलाव भी लाया जा सकता है। उनकी मेहनत और समर्पण आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा है।
जैसा कि संगीता कहती हैं,
“खेती केवल लाभ के लिए नहीं, बल्कि समाज और पर्यावरण के लिए भी है।”
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