सीमांत किसान इंदर पाल सिंह की प्रेरणादायक कहानी, शुरू किया पराली का अनोखा स्टार्टअप

इंदर पाल सिंह ने अपनी खेती को पूरी तरह जैविक रखा। यह न केवल पर्यावरण के लिए फायदेमंद है, बल्कि उत्पादों की गुणवत्ता भी शानदार है। यही नहीं, उन्होंने साथी किसानों को भी जैविक खेती अपनाने और औषधीय पौधों की खेती से मुनाफा कमाने का रास्ता दिखाया। इंदर अपने खेत में धान उगाते हैं और मंडी में बेचते हैं। 

सीमांत किसान इंदर पाल सिंह की प्रेरणादायक कहानी, शुरू किया पराली का अनोखा स्टार्टअप

 क्या आप जानते हैं कि एक सीमांत किसान कैसे अपनी छोटी-सी ज़मीन से एक बड़ा बदलाव ला सकता है? मिलिए इंदर पाल सिंह से, जिनकी कहानी मेहनत, दूरदर्शिता, और सफलता का बेहतरीन उदाहरण है।

इंदर पाल सिंह ने कैसे की शुरुआत

इंदर पाल सिंह, जो चंडीगढ़ के पास ज़ीरकपुर के रहने वाले हैं, ने पारंपरिक खेती के बजाय कुछ नया और अनोखा करने का सोचा। 14 दिसंबर 1969 को जन्मे इंदर पाल के पास केवल 1 एकड़ से भी कम ज़मीन थी। इतने छोटे खेत में गुज़ारा मुश्किल था, लेकिन इंदर पाल ने इसे अपनी ताकत बना लिया। उन्होंने पारंपरिक फसलों के बजाय हर्बल और औषधीय पौधों की खेती शुरू की।

स्टीविया और मीठी तुलसी का जादू

इंदर पाल ने स्टीविया और मीठी तुलसी के पौधों की नर्सरी विकसित की। ये पौधे न केवल सेहत के लिए फायदेमंद हैं, बल्कि बाज़ार में इनकी भारी मांग है। अपनी इस नर्सरी से उन्होंने दिल्ली स्थित पूसा एग्री कृषि हाट में पौधे बेचकर अपनी आय में भारी इज़ाफा किया।

पहले उनकी सालाना आय 1 लाख रुपये से भी कम थी। लेकिन अब, इस नई पहल के कारण, उनकी सालाना कमाई 5 से 7 लाख रुपये के बीच हो गई है। इन पौधों को वे विभिन्न कृषि मेलों और हाटों में बेचते हैं, जिससे उन्हें नियमित नकद आय होती है।

पूरी तरह जैविक खेती

इंदर पाल सिंह ने अपनी खेती को पूरी तरह जैविक रखा। यह न केवल पर्यावरण के लिए फायदेमंद है, बल्कि उत्पादों की गुणवत्ता भी शानदार है। यही नहीं, उन्होंने साथी किसानों को भी जैविक खेती अपनाने और औषधीय पौधों की खेती से मुनाफा कमाने का रास्ता दिखाया। इंदर अपने खेत में धान उगाते हैं और मंडी में बेचते हैं। 

किसान से साझा किया ज्ञान

इंदर पाल ने न केवल अपनी खेती में क्रांति लाई, बल्कि वे साथी किसानों के लिए प्रेरणा बन गए। उन्होंने कई किसानों को गेहूं और धान जैसी घाटे वाली फसलों को छोड़कर जड़ी-बूटियों और औषधीय पौधों की खेती शुरू करने में मदद की। उनका मानना है कि जैविक खेती ही भविष्य का रास्ता है। उन्होंने किसानों को खेतों की मेढ़ पर पपीते के पेड़ को उगाने की सलाह दी, जिससे उनको आमदनी हो सके। इसके साथ ही उन्होंने मौसमी फ़लों की भी खेती करने की सलाह देते हैं। इससे उन किसानों का ज़्यादा से ज़्यादा मुनाफा हो सके, जिनके पास ज़्यादा खेत नहीं है।   

पराली का अनोखा स्टार्टअप

इंदर पाल पराली को जलाने के बजाय उससे उत्पाद बनाते हैं। किसान अपने खेत की पराली उनके खेत में रख जाते हैं। इस काम में उनके साथ 5-7 महिलाएं भी जुड़ी हैं। ये महिलाएं पराली से उत्पाद बनाकर बाज़ार में बेचती हैं। इस पहल ने न केवल पर्यावरण को बचाने में मदद की, बल्कि महिलाओं को भी रोज़गार का अवसर दिया।

किसानों की मदद

इंदर पाल सिर्फ अपनी खेती तक सीमित नहीं हैं। वे राजस्थान, हरियाणा, और दूसरे राज्यों के किसानों की भी मदद करते हैं। उदाहरण के तौर पर, राजस्थान के सीकर के एक किसान की कहानी बेहद प्रेरणादायक है।

राजस्थान के एक किसान ने गन्ने की खेती की थी, लेकिन बाकी फसलें बर्बाद हो गईं। इंदर पाल ने उसे जैविक खाद का सुझाव दिया, जिससे उसकी फसल अच्छी हुई। साथ ही, उन्होंने गन्ने के जूस की मशीन खरीदने का आइडिया दिया। अब वह किसान अपने खेत के बाहर ताज़ा गन्ने का जूस बेचता है और अच्छी आय कमा रहा है।

जब वो गांव से अपने ट्रांसपोर्ट के साथ बाहर जाते हैं तब किसानों के दूध, छाछ भी लेकर जाते हैं। किसान भी उनके साथ जाते हैं। इससे उनके साथ जाकर उन किसानों की भी अतिरिक्त आमदनी हो जाती है। क्योंकि महंगे ट्रांसपोटेशन के कारण किसान अपना माल बेच नहीं पाते थे। 

आम लोगों से जुड़ाव

इंदर पाल सिंह सिर्फ किसानों के ही नहीं, आम लोगों के भी मददगार हैं। वे किचन गार्डन, टैरिस गार्डन और घर के बगीचों में सब्ज़ियां और फल उगाने के लिए लोगों को सलाह देते हैं। उनकी ये पहल शहरों में रहने वालों को आत्मनिर्भर बना रही है।

सरकार से सहयोग

इंदर पाल को सरकार की ओर से दिल्ली स्थित पूसा में दुकान आवंटित की गई है। हालांकि, उन्हें अन्य किसी प्रकार की मदद नहीं मिली। इसके बावजूद, उनकी मेहनत और लगन ने उन्हें सफलता के शिखर तक पहुंचाया।

इंदर पाल सिंह की दूरदर्शिता

इंदर पाल सिंह की कहानी हमें यह सिखाती है कि छोटे संसाधन कभी भी आपकी तरक्की में रुकावट नहीं बन सकते। सही योजना, मेहनत, और दूरदृष्टि से सीमित संसाधनों को भी बड़े मुनाफे में बदला जा सकता है।

इंदर पाल का स्टार्टअप केवल एक उदाहरण है कि कैसे परंपराओं को तोड़कर नया सोचने से आप न केवल अपनी बल्कि दूसरों की भी ज़िंदगी बदल सकते हैं। उनके इस सफर की एक ही बात बार-बार याद आती है: “जो किसान नवाचार को अपनाते हैं, वही भविष्य के निर्माता हैं।”

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