हाइड्रोपोनिक तकनीक: बिना मिट्टी के कैसे होती है खेती जानिए डॉ. धीरज कुमार से

हाइड्रोपोनिक तकनीक पर डॉ. धीरज कुमार से जानें, जो बिना मिट्टी के पौधों की सफल खेती की जानकारी देते हैं। यह तकनीक शहरी क्षेत्रों में भी आसानी से अपनाई जा सकती है।

हाइड्रोपोनिक तकनीक Hydroponic Techniques

सिर्फ मिट्टी में ही पौधे नहीं उगाए जाते, बल्कि आप अपने घर की छत, बालकनी या कमरे के किसी कोने में बिना मिट्टी के भी खेती कर सकते हैं, ऐसा आप हाइड्रोपोनिक तकनीक की मदद से कर सकते हैं। बढ़ती जनसंख्य़ा और घटती कृषि योग्य भूमि ने वैज्ञानिकों को एक ऐसी तकनीक के लिए प्रेरित किया जिसमें बिना खेत और मिट्टी के ही खेती की जा सके। बिना खेत और मिट्टी के खेती करने की इस नई तकनीक को हाइड्रोपोनिक तकनीक कहा जाता है जिसमें पौधों की जड़ें बस पानी में डूबी रहती हैं और विकसित होती रहती हैं।

इस हाइड्रोपोनिक तकनीक की खासियत है कि इसमें खरपतवार प्रबंधन की भी ज़रूरत नहीं पड़ती और इसे महानगरों में भी आसानी से अपनाया जा सकता है। तो कैसे की जाती है हाइड्रोपोनिक तकनीक और इसमें आप कौन-कौन सी सब्ज़ियां उगा सकते हैं इस बारे में किसान ऑफ इंडिया के संवाददाता सर्वेश बुंदेली ने विस्तार से चर्चा की गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय पंतनगर के सहायक प्राध्यापक डॉ. धीरज कुमार से।

समय की ज़रूरत है हाइड्रोपोनिक तकनीक

हमारे देश में जिस तेज़ रफ्तार से जनसंख्या बढ़ रही है, उसी तेज़ रफ्तार से खेती योग्य ज़मीन कम होती जा रही है। ऐसे में बढ़ती जनसंख्या की मांग को सिर्फ पारंपरिक खेती से पूरा करना संभव नहीं है, इसलिए वैज्ञानिक लगातार नई तकनीक की खोज में लगे हुए हैं। ऐसी ही एक आधुनिक तकनीक है हाइड्रोपोनिक तकनीक जिसमें बिना मिट्टी के फसल उगाई जा सकती है।

इस तकनीक के बारे में डॉ. धीरज कुमार बताते हैं कि छोटे पौधे जैसे हरी मिर्च, शिमला मिर्च, स्ट्रॉबेरी आदि उगाने के लिए हाइड्रोपोनिक तकनीक बहुत अच्छी है। देश की बढ़ती आबादी की मांग को पूरा करने में हाइड्रोपोनिक तकनीक बहुत कारगर है। वो बताते हैं कि Hydroponic Techniques को घर की छत, बालकनी या घर के किसी भी कोने में लगाया जा सकता है।

कैसे काम करती है ये हाइड्रोपोनिक तकनीक

डॉ. धीरज कुमार कहते हैं कि इस हाइड्रोपोनिक तकनीक में सॉइललेस यानी बिना मिट्टी वाली मीडिया में पौधों को उगाया जाता है। एक छोटे से पॉट जिसे नेट पॉट कहा जाता है उसमें कोकोपीट डालकर प्लांट लगाया गया है, जो पौधे को सपोर्ट करता है। कोकोपीट के अलावा दूसरे मीडिया का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। Hydroponic Techniques में एक चैनल बना होता है जिसमें बने होल में नेटपॉट को लगाया जाता है और इस चैनल में नीचे पानी बहता रहता है। चैनल में पानी को पाइप के जरिए फ्लो किया जाता है। 

पानी में ही ज़रूरी पोषक तत्व मिला दिए जाते हैं। जब ये पानी चैनल से गुज़रता है तो नेट पॉट में लगे पौधों को जड़ों के ज़रिए पानी और पोषक तत्व मिलते रहते हैं, जिससे उनका विकास अच्छी तरह होता है। पानी फ्लो होकर चैनल से ड्रेन हो जाता है और फिर वापस स्टोरेज टैंक में चला जाता है। इस तरह ये साइकल चलता रहता है, पानी का नुकसान नहीं होता है।

वो कहते हैं कि पारंपरिक सिंचाई, स्प्रिंकल तकनीक या ड्रिप इरिगेशन की तुलना में इस Hydroponic Techniques में पानी का बहुत कम नुकसान होता है। साथ ही इसमें मिट्टी की बिल्कुल ज़रूरत नहीं पड़ती है, वहीं अगर आपको छत पर ड्रिप लगाना है तो मिट्टी का बेड लगाना पड़ता है।

ज़रूरत की सब्ज़ियां उगा सकते हैं शहरी लोग

मेट्रो सिटीज़ में रहने वाले बहुत से लोग बागवानी और खेती का अपना शौक जगह की कमी के चलते पूरा नहीं कर पाते हैं, ऐसे लोगों के लिए हाइड्रोपोनिक तकनीक किसी वरदान से कम नहीं है। डॉ. धीरज कहते हैं कि ऐसे लोग जो खुद की उगाई हुई सब्ज़ियां खाना चाहते हैं, वो इस हाइड्रोपोनिक तकनीक को लगवा सकते हैं। इसे लगाने में ज़्यादा खर्च भी नहीं होता है। 100 मीटर पर 40/50 हजार रुपए का खर्च होता है और ये इनवेस्टमेंट एक बार का ही होता है, जबकि सब्ज़ियां आप लाइफटाइम तक उगा सकते हैं। 

इस Hydroponic Techniques से शहरी लोग अपनी रोज़मर्रा की ज़रूरत की कुछ सब्ज़ियां जैसे शिमला मिर्च, हरी मिर्च, टमाटर आदि उगाकर बाज़ार में मिलने वाली केमिकल वाली सब्ज़ियां खाने से बच सकते हैं। डॉ. धीरज सभी शहरी लोगों को इस Hydroponic Techniques से घर में सब्ज़ियां उगाने की सलाह देते हैं। क्योंकि इससे आप केमिकल फ्री अच्छी गुणवत्ता वाली सब्ज़ियां उगा सकते हैं।

खेत की फसल और हाइड्रोपोनिक फसल में अंतर

डॉ. धीरज बताते हैं कि ये पूरा सिस्टम नियंत्रित तरीके से चलता है, इसलिए फसल में रोग व बीमारी का डर नहीं रहता है। जब खेत में शिमला मिर्च लगाते हैं तो रोग लगने की संभावना अधिक रहती है और रोग लग जाने पर पौधों का विकास प्रभावित होता है जिससे फसल का उत्पादन कम होता है। मगर हाइड्रोपोनिक तकनीक में रोग मुक्त फसल मिलती है यानी उत्पादन भी अधिक होता है। बस इस तकनीक की जानकारी होने पर खुले खेत से अच्छा और अधिक उत्पादन मिलता है।

कौन सी फसल उगा सकते हैं हाइड्रोपोनिक तकनीक से?

डॉ. धीरज का कहना है कि इसमें सब्ज़ी वाली फसलें आसानी से उगा सकते हैं, क्योंकि इसमें पौधे छोटे होते हैं, लेकिन गेहूं जैसी फसल नहीं उगाई जा सकती है। इसमें टमाटर, शिमला मिर्च, धनिया, हरी मिर्च, लेट्यूस आदि उगाया जा सकता है। वो किसानों को सलाह देते हैं कि ऐसी फसल उगाए जो मार्केट में महंगी मिलती है, तभी ज़्यादा फायदा होगा। जैसे बरसात में धनिया महंगा हो जाता है तो उस समय उगाएं तो ज़्यादा फायदा होगा। मान लीजिए टमाटर की कोई वैरायटी 20 रूपए किलो बाजार में मिल रही है, तो वो उगाने से कोई फायदा नहीं है, किसान 200 रुपए किलो बिकने वाला टमाटर उगाएगा तो उसे फायदा होगा।

किन बातों का ध्यान रखने की ज़रूरत है

डॉ. धीरज का कहना है कि इस Hydroponic Techniques में ज़्यादा कुछ ध्यान रखने की ज़रूरत नहीं पड़ती है, बस इस बात का ध्यान रखन चाहिए कि पानी का फ्लो चैनल में लगातार बना रहे, और एक बार जब पानी बहकर वापस स्टोरेज टैंक में आ जाता है, तो दोबारा पानी में सभी पोषक तत्व डाले जाएं जैसे NPK और माइक्रोन्यट्रिएंट्स आदि। वैसे तो इसमें वैसे पानी बदलने की ज़रूरत नहीं पड़ती है, लेकिन अगर किसी ने इसे छत पर लगाया हुआ है, तो वहां इसमें गंदगी आने की संभावना रहती है, ऐसे में अगर लगता है कि पानी गंदा हो गया है, तो पानी बदल देना चाहिए।

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सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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