उन्नीकृष्णन वडक्कुमचेरी: कृषि में नई तकनीक और प्रिसिजन फार्मिंग से बदलाव

उन्नीकृष्णन वडक्कुमचेरी ने प्रिसिजन फार्मिंग और ईको-फ्रेंडली तकनीकों से केरल में कृषि को नया दिशा दी और कई पुरस्कार जीते।

प्रिसिजन फार्मिंग Precision Farming

केरल के त्रिशूर जिले के कैपराम्बु गांव में रहने वाले उन्नीकृष्णन वडक्कुमचेरी ने कृषि में नई तकनीक और ईको-फ्रेंडली प्रथाओं के साथ एक नई पहचान बनाई है। 1965 में जन्मे उन्नीकृष्णन ने 2011 में प्रिसिजन फार्मिंग की शुरुआत की और अपनी मेहनत और नवाचार से न केवल खुद को सफल किसान बनाया, बल्कि वे आज कई पुरस्कारों और सम्मानों से भी सम्मानित हैं।

खेती में नवाचार: प्रिसिजन फार्मिंग और उसकी विधि

उन्नीकृष्णन की खेती का मुख्य आधार है प्रिसिजन फार्मिंग और कृषि में नई तकनीक। उनकी खेती की प्रक्रिया में निम्नलिखित महत्वपूर्ण कदम शामिल हैं:

  1. मिट्टी परीक्षण और pH मान संतुलन
    खेती की शुरुआत से पहले, उन्नीकृष्णन मिट्टी का परीक्षण करते हैं और pH मान को संतुलित करने के लिए जैविक खाद का उपयोग करते हैं।
  2. रोग प्रतिरोधक उपाय
    जड़ जनित बीमारियों से बचाव के लिए ट्राइकोडर्मा नामक जैविक फंगस का उपयोग करते हैं। यह उपाय उनकी खेती में कृषि में नई तकनीक का अहम हिस्सा है।
  3. मल्चिंग शीट का उपयोग
    30 माइक्रॉन की मल्चिंग शीट का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे मिट्टी की नमी बरकरार रहती है और खरपतवार को उगने से रोका जा सकता है। यह प्रिसिजन फार्मिंग का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो जल प्रबंधन में मदद करता है।
  4. उन्नत बीज और पौधे
    उन्नीकृष्णन ने कृषि में नई तकनीक को अपनाते हुए उन्नत बीज और पौधों का इस्तेमाल किया है, जैसे टमाटर, बैंगन और मिर्च की फसलें।
  5. संतुलित पोषण
    पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए उन्नीकृष्णन NPK, सूक्ष्म पोषक तत्व और आयनिक फॉर्म में आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करते हैं।
  6. तीन सीज़न, छह फसल
    उन्नीकृष्णन ने अपनी 2.5 एकड़ जमीन को दो हिस्सों में बांटा है। इस तरीके से हर साल छह फसलें उगाई जाती हैं, जो कृषि में नई तकनीक के इस्तेमाल से उनकी उत्पादकता को बढ़ाती हैं।

उत्पादन और लाभ

उन्नीकृष्णन के खेतों में हर साल 60-65 टन प्रीमियम गुणवत्ता वाली फल और सब्जियां उगती हैं। इन फसलों का रंग, आकार, स्वाद और शेल्फ लाइफ आकर्षक होते हैं, जिससे उन्हें बाजार में अच्छी कीमत मिलती है। वे कहते हैं,
“सही समय पर सही पोषक तत्व देने से पौधे स्वस्थ रहते हैं और कीटों का प्रकोप कम होता है।”

किसानों के लिए प्रेरणा

उन्नीकृष्णन ने अपनी प्रिसिजन फार्मिंग विधियों और अनुभवों को अपने गांव और आसपास के किसानों के साथ साझा किया है। उनकी कृषि में नई तकनीक और विचारों ने उन्हें प्रेरणा का स्रोत बना दिया है। वे कहते हैं,
“हमारा उद्देश्य केवल उत्पादन बढ़ाना नहीं है, बल्कि पर्यावरण को संरक्षित रखना भी है।”

सम्मान और उपलब्धियां

उन्नीकृष्णन के नवाचार और मेहनत को विभिन्न मंचों पर सराहा गया है। उन्हें निम्नलिखित प्रमुख सम्मान प्राप्त हुए हैं:

  1. 2022: कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन एजेंसी, त्रिशूर द्वारा आउटस्टैंडिंग फार्मर पुरस्कार
  2. 2021: नेशनल फूड हीरो अवार्ड, दिल्ली
  3. 2020: आईएआरआई, दिल्ली द्वारा इनोवेटिव फार्मर अवार्ड
  4. 2016-17: केरल राज्य कृषि विभाग द्वारा त्रिशूर जिले के सर्वश्रेष्ठ किसान का पुरस्कार
  5. 2016: कैपराम्बु ग्राम पंचायत द्वारा सर्वश्रेष्ठ जैविक किसान का पुरस्कार

सरकारी योजनाओं का लाभ

उन्नीकृष्णन ने सरकार द्वारा दी गई योजनाओं का पूरा लाभ उठाया है। उन्होंने धान, सब्जियों और अन्य फसलों के लिए राज्य सरकार की वित्तीय सहायता प्राप्त की। वे कहते हैं,
“सरकारी योजनाओं से हमें न केवल वित्तीय सहायता मिली, बल्कि हमारी तकनीकी दक्षता भी बढ़ी है।”

संभावनाएं और भविष्य की योजनाएं

उन्नीकृष्णन का लक्ष्य है कि वे अपनी प्रिसिजन फार्मिंग विधियों को पूरे केरल और देशभर में फैलाएं। वे चाहते हैं कि अधिक से अधिक किसान कृषि में नई तकनीक को अपनाएं और अपनी आय बढ़ाएं। वे कहते हैं,
“मेरा सपना है कि हर किसान अपनी खेती को आधुनिक तकनीकों और ईको-फ्रेंडली तरीकों से करे। इससे न केवल उनकी आय बढ़ेगी, बल्कि पर्यावरण भी संरक्षित रहेगा।”

खेती के अनुभव से जुड़ी बातचीत

प्रश्न: आपने प्रिसिजन फार्मिंग की शुरुआत क्यों की?
उन्नीकृष्णन: “रासायनिक खेती से मिट्टी की उर्वरता कम हो रही थी। मैं चाहता था कि मेरी खेती पर्यावरण के लिए फायदेमंद हो और बेहतर उत्पादन दे।”

प्रश्न: आपकी सबसे बड़ी चुनौती क्या रही?
उन्नीकृष्णन: “शुरुआत में किसानों को समझाना मुश्किल था। लेकिन जैसे-जैसे परिणाम दिखने लगे, लोग खुद ही इस विधि को अपनाने लगे।”

प्रश्न: क्या प्रिसिजन फार्मिंग से आपकी आय में सुधार हुआ?
उन्नीकृष्णन: “जी हां, इससे मेरी आय में काफी सुधार हुआ है। साथ ही, यह विधि लंबे समय तक टिकाऊ है।”

प्रेरणा का स्रोत

उन्नीकृष्णन वडक्कुमचेरी की कहानी यह साबित करती है कि सही तकनीक और सोच के साथ कोई भी किसान न केवल अपनी आय बढ़ा सकता है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान दे सकता है। उनकी यह यात्रा अन्य किसानों के लिए प्रेरणा है और यह दर्शाती है कि कैसे प्रिसिजन फार्मिंग जैसे नवाचार भारतीय कृषि को एक नई ऊंचाई पर ले जा सकते हैं।

उनकी इस यात्रा से यह सीख मिलती है कि यदि सही दिशा में मेहनत की जाए, तो कृषि में नई तकनीक और प्रिसिजन फार्मिंग न केवल आजीविका का साधन हो सकती है, बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव का माध्यम भी बन सकती है।

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