Avocado Cultivation: लंदन रिटर्न हर्षित गोधा इज़राइली तकनीक की मदद से भोपाल में कर रहे हैं एवोकाडो की खेती

हर्षित गोधा ने भोपाल में एवोकाडो की खेती अपनाकर इज़राइली तकनीक से किफायती कीमत पर पौष्टिक फल उगाना शुरू किया, जिससे भारत में इसकी उपलब्धता बढ़ी।

एवोकाडो की खेती Avocado cultivation

विदेश से पढ़ाई के बाद अधिकांश युवा या तो वहीं सेटल हो जाते हैं या फिर देश में किसी बड़ी कंपनी में मोटे पैकेज की नौकरी करने लग जाते हैं, मगर भोपाल के हर्षित गोधा ने कुछ ऐसा किया कि वो सबके लिए मिसाल बन गए हैं। यूके से बीबीए की पढ़ाई करने वाले हर्षित किसी मल्टीनेशनल कंपनी के सीईओ नहीं, बल्कि एक सफल किसान हैं, जो भोपाल में एवोकाडो की खेती कर रहे हैं। एवोकाडो एक विदेश फल है, जो बहुत पौष्टिक माना जाता है, मगर इसकी खेती भारत में बहुत कम होती है।

इसे विदेशों से आयात किया जाता है, जिसकी वजह से ये बहुत महंगे मिलते हैं। हर्षित ने अपने देश के लोगों को किफायती कीमत पर ये पौष्टिक फल उपलब्ध कराने के लिए इज़राइली तकनीक से एवोकाडो की खेती शुरू की। अपने इस सफर के बारे में उन्होंने विस्तार से बात की किसान ऑफ इंडिया के संवाददाता सर्वेश बुंदेली से। 

कैसे आया आइडिया? (How did the idea come?)

यूके में बीबीए की पढ़ाई करते हुए आखिर ऐसा क्या हुआ कि भोपाल के हर्षित गोधा ने किसान बनने का फैसला कर लिया। इस बारे में वो बताते हैं कि यूके में पढ़ाई के दौरान वो अपनी सेहत को लेकर बहुत सतर्क रहते थे और एवोकाडो का सेवन करते थें। भारत आने पर उन्हें अच्छी क्वालिटी के एवोकाडो नहीं मिलते थे। एक बार लंदन में ही एवोकाडो खाते समय उन्होंने पैकेट पर देखा कि उस पर लिखा है इज़राइल से मंगाया गया। बस तभी उन्हें लगा कि जब इज़राइल जैसे रेगिस्तानी इलाके में इसकी खेती हो सकती है, तो हम इंडिया में भोपाल में इसकी खेती क्यों नहीं कर सकते हैं?

फिर क्या था उन्होंने इज़राइल की एवोकाडो इंडस्ट्री के बारे में रिसर्च किया तो उन्हें पता चला कि वहां 60 साल पहले ये तकनीक आई थी और अब एवोकाडो की गिनती वहां की सफल फ़सलों में होती है। यही नहीं वहां से ये यूरोप में एक्सपोर्ट भी किया जाता है। ये सब जानने के बाद हर्षित ने भारत के लोगों को किफायती कीमत पर ये विदेशी फल उपलब्ध कराने के लिए एवोकाडो की खेती का फैसला किया और 2021 में उन्होंने इंडो इज़राइल एवाकाडो नाम से कंपनी शुरू की जो इज़रायली तकनीक से एवोकाडो का उत्पादन करती है और इसके पौधे भी देश भर में बेचती है।

एवोकाडो की खेती में उन्नत किस्में (Varieties in Avocado Cultivation)

हर्षित गोधा के पास एवोकाडो की 7 किस्में हैं। हास, लैम्ब हास, पिंकर्टन, एटिंगर, रीड, हास ही, हास एन। इन किस्मों के बारे में वो कहते हैं कि हास, लैम्ब हास, हास ही, हास एन ब्लैक स्किन एवोकाडो है, जबकि पिंकर्टन, एटिंगर, रीड ग्रीन स्किन एवोकाडो है। इन किस्मों का उत्पादन तापमान के अनुसार किया जाता है। हर्षित कहते हैं कि गर्मी वाले इलाके में हास नहीं चलेगी। ये किस्म नॉर्थ ईस्ट इंडिया, साउथ में कूर्ग, ऊंटी जैसी जगहें जहां तापमान 35 से ज़्यादा नहीं है, वहां के लिए ही ठीक है। लेकिन इज़राइल में जिन दूसरी किस्मों पर काम किया गया, वो 45 डिग्री तापमान पर भी विकसित हो जाती हैं।

हर्षित के मुताबिक, भारत में एवोकाडो की खेती (Avocado farming) के लिए बेस्ट किस्में हैं पिंकर्टन, एटिंगर, रीड, हास ही और हास एन। हालांकि उनका कहना है कि ब्लैक स्किन एवोकाडो की बाज़ार कीमत ग्रीन स्किन से ज़्यादा मिलती है। मगर वो किसानों को दोनों ही किस्में उगाने की सलाह देते हैं, ताकि बाज़ार में निरंतरता बनी रहे। लगातार सप्लाई होती रहेगी तो किसानों को फ़सल की उचित कीमत मिलती रहेगी। क्योंकि एक साथ ज़्यादा फल भेज देने पर मंडी वाले रेट कम कर देते हैं। 

कैसे तैयार करते हैं एवोकाडो की खेती में पौधे? (How to prepare plants for avocado cultivation)

हर्षित इज़राइल से सैंपलिंग मंगवाकर नर्सरी में पौधों को बड़ा करते हैं और फिर इसे खेत में लगाते हैं या दूसरों को देते हैं। इस काम की शुरुआत के बारे में वो बताते हैं कि उन्होंने इज़राइल में ये काम सीखा है। इज़राइल में एवोकाडो इंडस्ट्री से जुड़े कई लोगों से उन्होंने कॉन्टेक्ट किया खेती से जुड़ी जानकारी के लिए, तो कुछ ने पैसे लेने की बात कही, जबकि कुछ ने काम सिखाने से ही मना कर दिया।

फिर हर्षित को एक मेन्टॉर मिला जिन्होंने न सिर्फ उन्हें काम सिखाया, बल्कि इंडस्ट्री के एक्सपर्ट्स से भी मिलवाया। वहां काम सीखने के बाद उन्होंने 2018 में कंस्लटेंट को अपनी ज़मीन दिखाई, मिट्टी-पानी की जांच करवाई और आसपास की खेती को दिखाया।

तो उन्होंने कहा कि यहां एवोकाडो की खेती कर सकते हैं, उन्होंने कुछ किस्में बताई जिसके साथ शुरू किया जा सकता है। हर्षित में 2019 में काम शुरू करने की कोशिश की, मगर इम्पोर्ट परमिट समय पर न मिलने की वजह से पौधे नहीं आ पाए। फिर 2020 में कोविड आ गया, तो काम और देरी हो गई। आखिरकार जुलाई 2021 में उन्हें पौधे मिले जिसके बाद उन्होंने अपने सफर और काम के बारे में सोशल मीडिया के ज़रिए लोगों को जानकारी देनी शुरू की। इसके बाद जिन लोगों को अच्छी गुणवत्ता वाले पौधे चाहिए होते हैं वो उनके पास आने लगे।

कैसे कर रहे हैं एवोकाडो की खेती? (How are you farming avocado?)

हर्षित बताते हैं कि वो इज़राइल तकनीक से एवोकाडो की खेती कर रहे हैं। जिसमें ड्रिप इरिगेशन का उपयोग होता है और उनकी नर्सरी हाइड्रोपनिक है। नर्सरी में 100 फीसदी कोकोपीट, सॉइललेस मीडिया का इस्तेमाल होता है। कंट्रोल रिलीज फर्टिलाइज़र डाला जाता है जो पौधों का पीएच बिगाड़े बिना उन्हें फर्टिलाइज़ करता है। यही नहीं इस तकनीक से खेती करने पर 18 महीने में ही फल आ जाते हैं। उनका कहना है कि उनके पास अनुभव था और इज़राइल में तकनीक सीखी थी, इसलिए सब ठीक से हो गया।

कब करें एवोकाडो की खेती में रोपाई? (When to plant avocado?)

हर्षित कहते हैं कि नसर्री में पौधा लगाने के बाद वो 6 से 9 महीने में रोपाई के लिए तैयार हो जाते हैं। यही नहीं उन्होंने ये भी बताया कि विदेश से पौध आने के बाद पहले उन्हें क्वारंटाइन में रखा जाता है। जहां क्वारंटाइन डिपार्टमेंट इस बात की जांच करता है कि पौध में कोई रोग या बीमारी तो नहीं है।

इसके बाद ही पौध दिए जाते हैं, जिन्हें वो नर्सरी में लगाकर विकसित करते हैं और बड़ा होने पर खेत में लगाते हैं  या दूसरी जगह सप्लाई करते हैं। रोपाई के बारे में उनका कहना है कि पंक्ति से पंक्ति के बीच 21 फीट की दूरी रखनी चाहिए जबकि पौधों से पौधों के बीच की दूरी 9 फीट होनी चाहिए। इससे उनका विकास सही तरीके से होता है।

एक एकड़ में 170 पौधे लगते हैं और 170 पौधे में बीच की दो पंक्तियों में एटिंगर किस्म लगाना बहुत ज़रूरी है, क्योंकि ये टाइप बी वैरायटी है, तो टाइप बी का जब फीमेल फ्लावर खिलेगा तब टाइप ए का मेल फ्लावर खिलेगा और तब मधुमक्खियां दोनों को पॉलीनेट करेगी। जिससे फल ज़्यादा मज़बूत होता है और ज़्यादा समय तक पेड़ पर लटके रहेंगे। इसके अलावा हर्षित किसानों को सलाह देते हैं कि एवोकाडो की खेती में हमेशा ड्रिप सिंचाई का ही इस्तेमाल करें क्योंकि तभी सभी पौधों को वैज्ञानिक तरीके से सही मात्रा में फर्टिलाइज़र दिया जा सकता है। अगर पौधों की ज़ड़ों में ज़्यादा पानी रह जाए तो ये मर जाते हैं।

एवोकाडो की खेती में कितनी आती है लागत? (How much does it cost to grow avocado?)

एवोकाडो की खेती में आने वाली लागत और इससे होने वाली आमदनी के बारे में बताते हुए हर्षित कहते हैं कि आमतौर पर रोपाई के बाद तीसरे साल से फल बेचने के लिए तैयार हो जाते हैं। जहां तक लागत की बात है तो एक पौधे की कीमत 2500 रुपए होते है ऐसे में जब एक एकड़ में 170 पौधे लगते हैं तो 4 लाख 25 हजार का खर्च आता है। इसके अलावा ड्रिप का खर्च 50-60 हजार और 20 हजार के करीब बेड का खर्च होता है यानी कि 5.50 लाख का फिक्स्ड खर्च।

जबकि ऑपरेशनल कॉस्ट जिसमें फर्टिलाइज़र, कीटनाशक, खरपतवार निकालने का खर्च शामिल है, ये करीब 60-70 हजार तक आ सकता है, लेकिन तीसरे साल तक ये बढ़ता जाता है, क्योंकि पौधा बड़ा होता है तो उसकी खाद की ज़रूरत भी बढ़ती जाती है।

तीसरे साल में किसानों को 6 टन प्रति एकड़ के हिसाब से फ़सल मिलेगी जिसे वो 200 रुपए के हिसाब से बेच सकता है, बाज़ार कीमत इससे ज़्याद ही होगी ये तो बस एक अनुमान है, तो इसके हिसाब से 12 लाख प्रति एकड़ के हिसाब से इनकम होगी यानी तीसरे साल से ही मुनाफ़ा होने लगेगा। यदि किसी कारण से नहीं भी हुआ तो चौथे साल से तो पक्का किसानों को अच्छा रिटर्न मिलेगा। उनका कहना है कि एवोकाडो का एक पेड़ 40 सालों तक फल देता है। यही नहीं मैक्सिको में तो इसके 100 साल पुराने पेड़ भी हैं।

किसान कैसे करें संपर्क (How to contact?)

हर्षित का कहना है कि अगर कोई किसान एवोकाडो की खेती को ट्रायल बेसिस पर करना चाहता है तो उनकी टीम से संपर्क कर सकते हैं। इसके अलावा उनके यूट्यूब चैनल और वेबसाइट से भी जानकारी ले सकते हैं। हर्षित एक बार में 100 पौधे डिलिवर करवाते हैं ऐसे में कुछ किसान इकट्ठा होकर मंगवा सकते हैं और पहले 2-5 एकड़ में ट्रायल करके देखें कि उत्पादन कैसा है, फिर बड़े पैमाने पर लगाएं। हर्षित एवोकाडो और पौध की सप्लाई पैन इंडिया लेवल पर करते हैं।

हर्षित को इस काम में उनके परिवार का पूरा सपोर्ट मिला और उसी की बदौलत आज वो युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बन गए हैं। आगे उनकी प्लानिंग 100 एकड़ में एवोकाडो उगाने की है और साथ ही 2-3 सालों में वो सैंपलिंग भी तैयार करने लगेंगे।

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सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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