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कृषि क्षेत्र में सुधार और नवाचारों की आवश्यकता को महसूस करते हुए कई किसान आधुनिक तकनीकों की ओर रुख कर रहे हैं। ऐसी ही एक प्रेरक कहानी हरियाणा के नूंह जिले के हसनपुर सोना गांव के निवासी जय देव शर्मा की है। जय देव ने संरक्षित खेती (Protected Cultivation) को अपनाकर अपनी खेती को न केवल आधुनिक बनाया है, बल्कि अपनी आय में भी शानदार वृद्धि की है। उनके द्वारा अपनाई गई खेती की नई पद्धतियों ने उन्हें सफलता दिलाई, और वे अब अन्य किसानों के लिए एक प्रेरणा बन चुके हैं।
संरक्षित खेती की शुरुआत (Starting of protected cultivation)
जय देव शर्मा ने हमेशा यह महसूस किया कि परंपरागत खेती में जलवायु की अनिश्चितताओं और मौसम के प्रभाव से बहुत नुकसान हो सकता है। यही कारण था कि उन्होंने संरक्षित खेती (Protected Cultivation) की ओर कदम बढ़ाया। उनके खेतों में 8000 स्क्वायर मीटर में सुरक्षित नेट हाउस और 9 एकड़ भूमि में सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली की स्थापना की गई है।
जय देव शर्मा बताते हैं, “संरक्षित खेती ने हमें मौसम और पर्यावरणीय परिस्थितियों से बचने का अवसर दिया। इससे फ़सलों की गुणवत्ता भी बनी रहती है और उत्पादन में भी वृद्धि हुई है।” इस आधुनिक तकनीक के जरिए वह अपनी कृषि को एक नया दिशा दे पाए हैं।
संरक्षित खेती के फायदे (Advantages of protected cultivation)
संरक्षित खेती (Protected Cultivation) ने जय देव शर्मा को कई महत्वपूर्ण फायदे दिए हैं। इस पद्धति के तहत, वह अपनी फ़सलों को नियंत्रित तापमान और नमी में उगाते हैं, जिससे उनका विकास और गुणवत्ता बेहतर होती है।
- उत्पादन में वृद्धि: संरक्षित खेती की वजह से फ़सलों का उत्पादन परंपरागत खेती की तुलना में अधिक हुआ है।
- फ़सलों की गुणवत्ता में सुधार: नियंत्रित वातावरण में फ़सलें बेहतर उगती हैं, जिससे उनकी गुणवत्ता अधिक बनी रहती है।
- मौसम से बचाव: मौसम की अप्रत्याशितता से बचने के लिए नेट हाउस का प्रयोग किया जाता है, जिससे फ़सलें सुरक्षित रहती हैं।
- जल का कुशल उपयोग: सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली के जरिए पानी की बचत होती है, और फ़सलों को जरूरत के मुताबिक पानी मिल पाता है।
खेती के विविध रूप (Various forms of farming)
जय देव शर्मा अपनी खेती में विभिन्न प्रकार की तकनीकों का उपयोग करते हैं। उन्होंने 4 एकड़ भूमि में बंबूस ट्रैकिंग लगाई है, जिससे फ़सलों के विकास में मदद मिलती है। इसके अलावा, मल्चिंग और लोटन ललित अधिकारी जैसी विधियों का प्रयोग करके वह फ़सलों की उर्वरता और पानी की खपत को नियंत्रित करते हैं।
उनके खेतों में नींबू, किन्नू, मौसमी संतरा, अमरुद, लीची, और आम जैसी विभिन्न किस्में भी लगाई गई हैं। इन फ़सलों के अलावा, जय देव ने बागवानी में भी कई नई विधियों का प्रयोग किया है, जिससे उनका कृषि क्षेत्र और भी समृद्ध हुआ है।
सरकारी योजनाओं का लाभ (Benefits of government schemes)
जय देव शर्मा ने अपने संरक्षित नेट हाउस और सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली की स्थापना में सरकारी योजनाओं का भी लाभ लिया। उन्हें सरकार से अनुदान राशि मिली, जिससे इन आधुनिक उपकरणों की खरीद और स्थापना में आसानी हुई। जय देव बताते हैं, “सरकार द्वारा प्रदान की गई सहायता ने हमारी खेती को एक नया दिशा दी और हमें इन तकनीकों को अपनाने में मदद की।”
आय में वृद्धि और आर्थिक सफलता (Benefits of government schemes)
जय देव की वार्षिक आय लगभग 11 से 20 लाख रुपये है, जो उनकी सफलता की कहानी को और भी प्रेरणादायक बनाती है। संरक्षित खेती (Protected Cultivation) ने उन्हें एक स्थिर और लाभकारी व्यवसाय के रूप में स्थापित किया है। जय देव की कहानी यह सिद्ध करती है कि आधुनिक कृषि तकनीकों को अपनाने से किसान अपनी आय को कई गुना बढ़ा सकते हैं।
उनका मानना है, “संरक्षित खेती ने मुझे अपनी खेती को एक नया आकार देने में मदद की है। मैंने देखा है कि यदि हम सही तरीके से काम करें, तो न केवल हमारी खेती का उत्पादन बढ़ सकता है, बल्कि हमारी आर्थिक स्थिति भी सुदृढ़ हो सकती है।”
किसानों के लिए प्रेरणा (Inspiration for farmers)
जय देव शर्मा का अनुभव यह दिखाता है कि संरक्षित खेती (Protected Cultivation) भारतीय किसानों के लिए एक बड़ी संभावना है। उन्होंने अपने गांव और आसपास के किसानों को यह तरीका अपनाने के लिए प्रेरित किया है। वह कहते हैं, “अगर हम नई तकनीकों का सही तरीके से उपयोग करें, तो हमारी खेती में बहुत सुधार हो सकता है।”
उनका मानना है कि अगर अधिक किसान संरक्षित खेती को अपनाएं, तो देश के कृषि क्षेत्र में बड़ा बदलाव आ सकता है। वह चाहते हैं कि हर किसान इस पद्धति को अपनाए और अपनी आय में वृद्धि करे।
भविष्य की योजनाएं (future plans)
जय देव का सपना है कि वह अपने खेतों को और भी उन्नत और आधुनिक बनाएं। वह अपने संरक्षित नेट हाउस की संख्या बढ़ाकर इसे एक मॉडल फार्म में बदलना चाहते हैं, जहां अन्य किसान आकर आधुनिक खेती की तकनीकें सीख सकें। “हमारा लक्ष्य है कि अधिक से अधिक किसान संरक्षित खेती को अपनाएं और अपनी खेती से अधिक लाभ कमाएं। अगर सरकार इस दिशा में और मदद करे, तो हम कृषि में एक नया बदलाव ला सकते हैं।”
निष्कर्ष (conclusion)
जय देव शर्मा की सफलता की कहानी यह साबित करती है कि संरक्षित खेती (Protected Cultivation) के माध्यम से भारतीय किसानों को अपनी जीवनशैली और आय में सुधार करने का एक सुनहरा मौका मिलता है। उन्होंने यह दिखा दिया है कि यदि किसान सही तकनीकों का उपयोग करें, तो वे न केवल अपनी खेती को समृद्ध कर सकते हैं, बल्कि अपने परिवार और समुदाय के लिए भी एक बेहतर भविष्य बना सकते हैं। जय देव शर्मा की तरह, हर किसान अगर संरक्षित खेती को अपनाए, तो भारतीय कृषि क्षेत्र एक नई दिशा की ओर बढ़ सकता है।
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