संरक्षित खेती से कृषि में क्रांति लाने वाले प्रगतिशील किसान की कहानी

गुरमीत सिंह ने पंजाब के कट्टियांवाली गांव में संरक्षित खेती अपनाकर कृषि में नवाचार किया। उनकी आधुनिक तकनीकों से भूमि उत्पादक और पर्यावरण अनुकूल बनी है।

संरक्षित खेती Protected cultivation

गुरमीत सिंह, पंजाब के मुक्तसर जिले के कट्टियांवाली गांव से, एक प्रगतिशील किसान हैं, जिन्होंने संरक्षित खेती (Protected cultivation) के माध्यम से अपने क्षेत्र में क्रांति लाई है। 16-20 एकड़ में फैली उनकी कृषि भूमि न केवल पारंपरिक खेती के लिए उपयोगी है, बल्कि आधुनिक तकनीकों और उपकरणों के साथ इसे उत्पादक और पर्यावरण अनुकूल बनाया गया है।

संरक्षित खेती का मॉडल अपनाना

गुरमीत सिंह ने कृषि में संरक्षित खेती (Protected cultivation) के उन्नत मॉडल को अपनाया है। उनकी कृषि गतिविधियों में शामिल हैं:

1. सोलर पंप का उपयोग

गुरमीत ने 7.5 एचपी का सोलर पंप और 5.0 एचपी का सबमर्सिबल पंप स्थापित किया है। यह न केवल पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करता है, बल्कि बिजली की लागत भी कम करता है। वे कहते हैं:

“सोलर पंप ने हमारी सिंचाई प्रक्रिया को पूरी तरह से बदल दिया है। अब हम दिन-रात के किसी भी समय खेतों में पानी दे सकते हैं, और बिजली बिल की चिंता खत्म हो गई है।”

2. फिश फार्मिंग (मछली पालन)

गुरमीत ने अपने खेत में 2 एकड़ का तालाब बनाया है, जिसमें मल्लि, रोहू, और कतला मछलियों की खेती की जाती है।

“मछली पालन से हमें साल भर नियमित आय होती है। यह खेती का एक शानदार पूरक है,” वे कहते हैं। मछली पालन ने उनकी आय में लगभग 20% की वृद्धि की है।

3. पशुपालन

गुरमीत के पास देसी मुर्रा भैंस, रावी भैंस, और साहीवाल गाय हैं। ये पशुधन न केवल दूध उत्पादन में मदद करते हैं, बल्कि खेतों में जैविक खाद के लिए भी उपयोगी हैं।

“पशुपालन और खेती का संयोजन जैविक खेती को बढ़ावा देता है। यह हमारी मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने में मदद करता है,” गुरमीत बताते हैं।

4. फसलों की खेती

गुरमीत गेहूं, चावल, मूंग, और किन्नू की खेती करते हैं। पारंपरिक खेती के साथ उन्होंने बेड कल्टीवेशन जैसी आधुनिक तकनीक भी अपनाई है, जिससे उत्पादकता में सुधार हुआ है।

5. आधुनिक उपकरणों का उपयोग

गुरमीत के पास आधुनिक कृषि उपकरणों का एक संग्रह है, जिसमें शामिल हैं:

  • सवाराज ट्रैक्टर 855
  • जगतजीत रोटावेटर
  • रिवर्सिबल हल
  • डिस्क हल और हर्रो

ये उपकरण खेत की मिट्टी तैयार करने, फसल की बुआई, और कटाई में समय और लागत की बचत करते हैं। गुरमीत बताते हैं:

“सही उपकरण खेती को आसान और कुशल बनाते हैं। इससे हमारे श्रम की आवश्यकता कम हो गई है और उत्पादन बढ़ा है।”

संरक्षित खेती का आर्थिक लाभ

गुरमीत सिंह ने संरक्षित खेती (Protected cultivation) से अपनी वार्षिक आय 11-20 लाख रुपये तक पहुंचाई है। उनका कहना है:

“संरक्षित खेती (Protected cultivation) ने हमें नियमित और स्थिर आय का माध्यम प्रदान किया है। यह न केवल हमारे परिवार के लिए फायदेमंद है, बल्कि अन्य किसानों के लिए भी प्रेरणा है।”

मछली पालन से आय

मछली पालन के माध्यम से गुरमीत सालाना 2-3 लाख रुपये की अतिरिक्त आय अर्जित करते हैं।

पशुधन से लाभ

दूध और जैविक खाद के उत्पादन से उनकी आय में 10% का योगदान होता है।

सरकार से कोई सहायता नहीं ली, पर आत्मनिर्भरता का उदाहरण

गुरमीत ने सरकारी योजनाओं से कोई वित्तीय सहायता नहीं ली है। वे कहते हैं:

“हमने अपनी मेहनत और संसाधनों से सब कुछ स्थापित किया है। हालांकि, मैं अन्य किसानों को सरकारी योजनाओं के बारे में जानकारी देता हूं और उन्हें लाभ उठाने के लिए प्रेरित करता हूं।”

पुरस्कार और सम्मान

गुरमीत सिंह को उनके योगदान और नवाचारों के लिए कई पुरस्कार मिले हैं, जैसे:

  • IARI फेलो फार्मर अवार्ड
  • IARI इनोवेटिव फार्मर अवार्ड

इन पुरस्कारों ने न केवल उनके काम को पहचान दिलाई है, बल्कि उनके समुदाय के किसानों के लिए प्रेरणा का काम भी किया है।

भविष्य की योजनाएं

गुरमीत की योजना है:

  1. प्रोसेसिंग यूनिट की स्थापना: किन्नू और गेहूं जैसे उत्पादों के लिए प्रोसेसिंग यूनिट लगाना।
  2. जैविक खेती का विस्तार: जैविक उत्पादों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार में पहुंचाना।
  3. किसानों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम: आधुनिक तकनीकों और उपकरणों का उपयोग सिखाने के लिए कार्यशालाएं आयोजित करना।

गुरमीत सिंह का संरक्षित खेती (Protected cultivation) का मॉडल न केवल आर्थिक रूप से लाभकारी है, बल्कि यह टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल भी है। उनके प्रयास यह साबित करते हैं कि आधुनिक तकनीक और पारंपरिक ज्ञान का सही समन्वय कृषि में क्रांति ला सकता है। उनकी कहानी हर किसान के लिए प्रेरणा है, जो अपने क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और प्रगति लाने का सपना देखता है।

संरक्षित खेती (Protected cultivation) न केवल आर्थिक समृद्धि का मार्ग है, बल्कि यह पर्यावरण को भी बचाने का एक स्थिर उपाय है। गुरमीत सिंह का यह मॉडल हर उस किसान के लिए एक उदाहरण है, जो तकनीकी उन्नति और सतत विकास को अपनी खेती में लागू करना चाहता है।

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