Income from Solar Energy: सौर ऊर्जा को भी अपना ‘कमाऊ पूत’ बनाने के लिए आगे बढ़ें किसान

सरकार किसानों को सिंचाई, फसल सुखाने और उपकरणों के संचालन जैसे कृषि कार्यों में सौर ऊर्जा अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है।

सौर ऊर्जा Solar Energy

सौर ऊर्जा, अब दुनिया की ऐसी उभरती आर्थिक गतिविधि है जिसमें बड़े से बड़े कॉरपोरेट से लेकर साधारण किसान के लिए भी बढ़िया कमाई पाने की असीम सम्भावनाएँ मौजूद हैं। उपजाऊ खेत, पशुधन, बाग़वानी, व्यावसायिक वृक्षारोपण और बायो ईंधन जैसी तमाम गतिविधियों की तरह ही सौर ऊर्जा में भी किसानों का ‘कमाऊ पूत’ बनने की असीम क्षमता मौजूद है। किसानों के लिए सौर ऊर्जा भी सतत आमदनी का स्रोत बन सकता है। खेतीहर मज़दूरों के लिए भी रोज़गार के नये विकल्प के रूप में सौर ऊर्जा क्षेत्र की अहम भूमिका हो सकती है। इन मज़दूरों की ज़रूरत सौर ऊर्जा उत्पादन क्षमता की स्थापना से लेकर इसके नियमित संचालन और देखरेख तक लगातार बनी रहती है।

सौर ऊर्जा की विभिन्न प्रौद्योगिकी ने इसे ग्रामीण विद्युतीकरण के लिए भी बेहद व्यावहारिक बना दिया है। तभी तो ग्रामीण इलाकों के आर्थिक विकास और ढाँचागत सेवाओं के लिहाज़ से सौर ग्राम योजना की अहमियत और बढ़ जाती है। कृषि लागत को घटाकर किसानों की आमदनी बढ़ाने में सौर ऊर्जा का बड़ा योगदान हो सकता है। इसीलिए सरकार की ओर से किसानों को खेती-बाड़ी से जुड़ी अनेक गतिविधियों में सौर ऊर्जा का उपयोग अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। जैसे: सिंचाई, फ़सल को सुखाना, ग्रीन हाउस हीटिंग, प्रकाश व्यवस्था, कृषि उपकरणों का संचालन, जल शुद्धिकरण, स्वचालन, पशुपालन प्रबन्धन, मिट्टी में नमी की निगरानी आदि।

ऊर्जा आत्मनिर्भरता में अहम

सौर ऊर्जा उत्पादन के ज़रिये ग्रामीण परिवारों को भी सस्ती और भरोसेमन्द बिजली आपूर्ति होती है। इससे विद्युत वितरण कम्पनियों यानी डिस्कॉम को भी बिजली ख़रीद लागत को घटाने में मदद मिलती है। सौर ऊर्जा के ज़रिये ग्रामीण भारत भी देश को ऊर्जा आत्मनिर्भरता प्रदान करने में अहम योगदान दे सकता है। इसीलिए कई राज्यों ने अपने गाँवों को सौर ऊर्जा से सुसज्जित करने का संकल्प लिया है। सौर ऊर्जा से ग्रामीण क्षेत्रों में ग़रीब किसानों के परिवारों, वहाँ के स्कूलों, स्वास्थ्य केन्द्रों और अन्य ग्रामीण सहकारी संस्थाओं को भी निर्बाध बिजली पहुँचाकर सभी समुदायों की मदद की जा सकती है।

सौर ऊर्जा दूरदराज के इलाकों में बेहतर गुणवत्ता के साथ बिजली आपूर्ति करती है। यहाँ पर अपने विकेन्द्रीकृत और मॉड्यूलर डिजाइन के साथ नवीकरणीय ऊर्जा तकनीक, जीवन और आजीविका के विभिन्न पहलुओं को बेहतर बनाने में मदद करती है। वैश्विक जलवायु परिवर्तन और सीमित जीवाश्म ईंधन की चुनौतियों की वजह से दुनिया भर में नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत का उपयोग तेज़ी से बढ़ रहा है क्योंकि सिर्फ़ इसी से सामाजिक-आर्थिक विकास, सुरक्षित ऊर्जा आपूर्ति और पर्यावरण संरक्षण सम्भव है।

कुसुम योजना

नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय की ओर से 2018 में, राष्ट्रीय सौर मिशन के तहत प्रमुख सौर कार्यक्रमों की योजनाबद्ध शृंखला की शुरुआत हुई। इसमें सबसे प्रमुख नयी योजना है – प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा और उत्थान महाभियान (Pradhan Mantri Kisan Urja Suraksha evam Utthan Mahabhiyan) यानी ‘PM-KUSUM’ योजना। पीएम कुसुम के लिए तीन लक्ष्य तय किये गये:

  1. भारत के ग्रामीण इलाकों में 10 हज़ार मैगावॉट विकेन्द्रीकृत ग्राउंड माउंटेड ग्रिड से जुड़े नवीकरणीय ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना करना। इसमें किसान, सहकारी समितियाँ, पंचायतें और किसान उत्पादक संगठन (Farmer Producer Organization) जैसे अन्य स्वयं सहायता समूह भी अपनी ज़मीन पर 500 किलोवॉट से 2 मैगावॉट क्षमता वाले सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करके उसे ग्रिड से जोड़  सकते हैं।
  2. ग्रामीण क्षेत्रों में सिंचाई के लिए डीजल से संचालित 7.5 हॉर्स पावर तक क्षमता वाले 17.5 लाख पम्पिंग सेट को सौर ऊर्जा से संचालन योग्य बनाना।
  3. ग्रामीण क्षेत्रों बिजली से चलने वाले कृषि पम्पिंग सेट का सौरीकरण। ताकि उससे उत्पादित सौर ऊर्जा से एक ओर डिस्कॉम को ज़्यादा बिजली सुलभ हो और दूसरी ओर किसानों को सौर ऊर्जा के बेचने से अतिरिक्त आय प्राप्त हो।

कुसुम योजना का विस्तार

वर्ष 2020 के बजट में, केन्द्र सरकार ने 20 लाख स्टैंड-अलोन सोलर पम्पिंग सेट स्थापित करने में किसानों की मदद करने के लिए कुसुम योजना के विस्तार की घोषणा की। इसके अलावा, ऐसे किसानों को भी सौर ऊर्जा उत्पादन से जोड़ने की नीति बनी जिनके पास अनुपयोगी या बंजर ज़मीन है। ताकि वो अपने ज़मीन पर सौर ऊर्जा उत्पादन इकाइयाँ स्थापित करें और सौर ग्रिड को बिजली बेचकर अपनी आमदनी को बढ़ा सकें।

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कुसुम योजना, न सिर्फ़ देश में बिजली की माँग पूरी करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। बल्कि ग्रामीण इलाकों को ग़रीबी मुक्त करने में भी बहुत मददगार साबित हो सकती है। हालाँकि, गुज़रते वक़्त के साथ कुसुम योजना की कई कमियाँ भी उजागर हुई हैं। जैसे, सोलर प्लांच की उच्च स्थापना लागत और डिस्कॉम की ओर से सोलर बिजली के लिए दिये जाने वाला कम दाम। यदि सरकार इन बाधाओं को दुरुस्त कर दे तो कुमुस योजना देश के ग्रामीण इलाकों के लिए क्रान्तिकारी साबित हो सकती है।

सोलर फ़ोटो वोल्टाइक प्रणाली

नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने कृषि मंत्रालय और राज्यों नोडल एजेंसियों के समन्वय से 2014-15 में सिंचाई के लिए सोलर फ़ोटो वोल्टाइक कार्यक्रम शुरू किया। इसमें केन्द्र सरकार सोलर पम्पिंग सेट की लागत पर 30 प्रतिशत पूँजीगत सब्सिडी देती है। जबकि राज्यों की ओर से मिलने वाली सब्सिडी का स्तर अलग-अलग है। सोलर फ़ोटो वोल्टाइक कार्यक्रम के तहत अब तक देश में क़रीब 2 लाख 37 हज़ार सौर पम्प स्थापित हो चुके हैं।

सोलर फ़ोटो वोल्टाइक पम्पों की स्थापना में राजस्थान सबसे आगे हैं। वहाँ राज्य सरकार, किसानों को 56 प्रतिशत सब्सिडी देती है। जबकि आन्ध्र प्रदेश, बिहार, उत्तर प्रदेश आदि में 45-60 प्रतिशत लागत की भरपाई सब्सिडी से कवर हो जाती है। राजस्थान के बाद चंडीगढ़ और आन्ध्र प्रदेश – इस कार्यक्रम के अग्रणी राज्य हैं। इनके बाद उत्तर प्रदेश, गुजरात, तमिलनाडु और कर्नाटक का स्थान आता है।

देश में अब सौर ऊर्जा को ग्रिड के अलावा ऑफ़-ग्रिड सौर प्रणालियों जैसे छत पर सोलर पैनल लगाकर, स्ट्रीट लाइट के रूप में सोलर ऊर्जा का इस्तेमाल और सोलर फ़ोटो वोल्टाइक (SPV) सिंचाई पम्प को भी ख़ूब प्रोत्साहित किया जा रहा है। इस प्रौद्योगिकी ने दुर्गम इलाकों में सिंचाई के अलावा पेयजल आपूर्ति को भी बेहद आसान और किफ़ायती बना दिया है। सोलर फ़ोटो वोल्टाइक प्रणाली उन जगहों के लिए किसी वरदान से कम नहीं, जहाँ बिजली की किल्लत हो या फिर वो उपलब्ध ही नहीं हो।

Income from Solar Energy: सौर ऊर्जा को भी अपना ‘कमाऊ पूत’ बनाने के लिए आगे बढ़ें किसान

हरित बॉण्ड

भारत सरकार ने ऊर्जा दक्षता, विद्युत गतिशीलता, भवन निर्माण दक्षता, ग्रिड से जुड़े ऊर्जा भंडारण और हरित बॉण्ड के लिए कई घोषणाएँ की हैं जो नवीकरणीय ऊर्जा को प्रोत्साहन देने में अहम भूमिका निभाएँगी। भारत सरकार ने वर्ष 2070 तक नेट-ज़ीरो कार्बन उत्सर्जन तथा वर्ष 2030 तक भारत की नवीकरणीय ऊर्जा की स्थापित क्षमता को भी 500 गीगावॉट तक विस्तारित करने का लक्ष्य रखा है।

उपरोक्त लक्ष्य को प्राप्त करने तथा नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए सरकार कई प्रयास कर रही है। जैसे: राष्ट्रीय बायोगैस और खाद्य प्रबन्धन कार्यक्रम, सूर्य-मित्र कार्यक्रम, सौर ऋण कार्यक्रम, प्रधानमंत्री कुसुम योजना, उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना, सौर पार्क योजना, केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम योजना, हाइड्रोजन मिशन और अन्तर्राष्ट्रीय सौर गठबन्धन। ऐसे सभी उपाय और नीतियाँ, नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने और आर्थिक तथा राष्ट्रीय सुरक्षा में भी अहम योगदान दे रही हैं।

भारत की सौर ऊर्जा क्षमता

दुनिया के कई देशों, ख़ासकर चीन, यूरोप और अमेरिका में बीते वर्षों में सौर ऊर्जा उद्योग बहुत तेज़ी से बढ़ रहा है। भारत में कुदरती तौर पर सौर ऊर्जा उत्पादन की अपार सम्भावना है। क्योंकि देश के ज़्यादातर इलाकों में रोज़ाना 4 से 7 किलोवॉट प्रति वर्ग मीटर का औसत सौर विकिरण प्राप्त होता है। ये सालाना 1500 से 2000 धूप घंटे की प्रचुर मात्रा है। इसके दोहन के लिए ही भारत सरकार ने साल 2010 में राष्ट्रीय सौर मिशन की शुरुआत की थी। इस मिशन से देश ने साल 2022 तक 100 गीगावॉट सौर ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य हासिल भी कर लिया है।

भारत का ऊर्जा परिदृश्य

भारत में अब 310 गीगावॉट बिजली की स्थापित क्षमता है। इसमें नवीकरणीय ऊर्जा की हिस्सेदारी  14.8 प्रतिशत है। जबकि ताप बिजली घरों से देश की क़रीब 69.4 प्रतिशत माँग पूरी होती है। देश में 1,096 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन क्षमता के मौजूद होने का अनुमान लगाया गया है। इसमें सौर ऊर्जा का हिस्सा सबसे ज़्यादा यानी 68.33 प्रतिशत है। दूसरा स्थान, पवन ऊर्जा का है जिसकी हिस्सेदारी 27.58 प्रतिशत तक हो सकती है। इसके बाद, 1.8 प्रतिशत लघु जल-विद्युत ऊर्जा और 1.6 प्रतिशत बायोमास ऊर्जा का स्थान है। 

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सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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