Soil Health Card है मिट्टी की सेहत का कार्ड, जानिए कैसे तमिलनाडु के किसान बना रहे हैं खेतों को और उपजाऊ!

साल 2015 से शुरू हुई 'सॉइल हेल्थ कार्ड' (Soil Health Card) योजना ने किसानों को अपनी मिट्टी की सेहत समझने और उसके अनुसार खेती करने का एक आसान तरीका दिया है। अब तक तमिलनाडु (Tamil Nadu) में 1.52 करोड़ से ज्यादा मिट्टी स्वास्थ्य कार्ड (Soil Health Card) जारी किए जा चुके हैं (30 जून 2025 तक)।

Soil Health Card है मिट्टी की सेहत का कार्ड, जानिए कैसे तमिलनाडु के किसान बना रहे हैं खेतों को और उपजाऊ!

‘जैसे हम अपनी सेहत का ध्यान रखते हैं, वैसे ही मिट्टी की सेहत का ख्याल रखना भी जरूरी है’ ये स्लोगन अब तमिलनाडु (Tamil Nadu) के लाखों किसानों की जु़बान पर चढ़ गया है। साल 2015 से शुरू हुई ‘सॉइल हेल्थ कार्ड’ (Soil Health Card) योजना ने किसानों को अपनी मिट्टी की सेहत समझने और उसके अनुसार खेती करने का एक आसान तरीका दिया है।

अब तक तमिलनाडु (Tamil Nadu) में 1.52 करोड़ से ज्यादा मिट्टी स्वास्थ्य कार्ड (Soil Health Card) जारी किए जा चुके हैं (30 जून 2025 तक)। लेकिन ये सिर्फ एक कार्ड नहीं, बल्कि किसानों के लिए एक ‘मिट्टी का रिपोर्ट कार्ड’ है, जो बताता है कि उनकी ज़मीन कितनी स्वस्थ है और उसे और उपजाऊ बनाने के लिए क्या करना चाहिए।

मिट्टी की जांच अब गांव-गांव तक 

सरकार ने इस स्कीम को इतना आसान बना दिया है कि अब किसानों को दूर-दराज के लैब्स में जाकर मिट्टी की जांच कराने की ज़रूरत नहीं। मोबाइल सॉइल टेस्टिंग लैब (MSTL) वैन गांव-गांव जाकर मिट्टी के नमूने लेती हैं, उनकी जांच करती हैं और तुरंत किसानों को सॉइल हेल्थ कार्ड और सलाह देती हैं। इसके अलावा, कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन एजेंसी (ATMA) और कृषि सखियां किसानों को ट्रेनिंग देकर मिट्टी की सेहत के बारे में जागरूक कर रही हैं।

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‘डिजिटल सॉइल हेल्थ कार्ड’-अब मिट्टी की रिपोर्ट ऑनलाइन 

सरकार ने मिट्टी की जांच को और भरोसेमंद बनाने के लिए NABL (National Accreditation Board for Testing and Calibration Laboratories) मान्यता दी है। तमिलनाडु के 36 सॉइल टेस्टिंग लैब्स को ये सर्टीफिकेट मिल चुका है। साथ ही, Atomic Absorption Spectrometer  (AAS) और Inductively Coupled Plasma Spectrophotometer (ICP) जैसी मॉर्डन मशीनों से लैब्स को अपग्रेड किया गया है। अब किसान ऑनलाइन SHC पोर्टल पर अपनी मिट्टी की रिपोर्ट चेक कर सकते हैं और डिजिटल कार्ड डाउनलोड कर सकते हैं।

क्या फायदा हो रहा है किसानों को?

कम लागत, ज्यादा पैदावार: मिट्टी की सही जानकारी मिलने से किसान सही मात्रा में उर्वरक और जैविक खाद का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे खर्च कम हो रहा है और उत्पादन बढ़ रहा है।

समस्याग्रस्त मिट्टी का समाधान: कुछ इलाकों में खारी या अम्लीय मिट्टी की समस्या थी, लेकिन अब किसानों को सलाह देकर इन मिट्टियों को सुधारने में मदद की जा रही है।

समय पर सलाह: हर ब्लॉक में विलेज लेवल एग्रीकल्चरल डेवलपमेंट ग्रुप (Village Level Agricultural Development Group) खरीफ और रबी सीजन से पहले किसानों को मिट्टी की सेहत के बारे में सलाह देता है।

 ये जानकारी केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने लोकसभा में एक लिखित जवाब में दी थी।

 

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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