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भारत सरकार किसानों को रासायनिक उर्वरकों (Right Quantity, Right Time, Right Fertilizer) के संतुलित इस्तेमाल के लिए प्रोत्साहित कर रही है। 2014 में शुरू की गई ‘मृदा स्वास्थ्य एवं उर्वरता योजना’ (‘Soil Health and Fertility Scheme’) का उद्देश्य किसानों को एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन (Integrated Nutrient Management) के ज़रीये से मिट्टी की क्वालिटी बढ़ाने में मदद करना है। इसके तहत अब तक 25.13 करोड़ मृदा स्वास्थ्य कार्ड (Soil Health Card) जारी किए जा चुके हैं, जो किसानों को उनकी मिट्टी की सेहत और ज़रूरी उर्वरकों की सही मात्रा के बारे में जानकारी देते हैं।
लेकिन सवाल ये है- क्या हमारी मिट्टी वाकई स्वस्थ है? क्या रासायनिक उर्वरकों (Chemical Fertilizers) का अंधाधुंध इस्तेमाल हमारी ज़मीन को बंजर (barren) बना रहा है? आइए, जानते हैं कि सरकार कैसे ‘प्राकृतिक खेती’ और ‘जैविक उर्वरकों’ (‘Natural Farming’ and ‘Organic Fertilizers’) को बढ़ावा देकर भारत की कृषि को नई दिशा दे रही है।
मृदा स्वास्थ्य कार्ड: किसानों का ‘मिट्टी का रिपोर्ट कार्ड’
मिट्टी की सेहत जांचने के लिए देशभर से मिट्टी के नमूने लिए जाते हैं और उनका pH, ऑर्गेनिक कार्बन, नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटैशियम, सल्फर और सूक्ष्म पोषक तत्वों (जिंक, आयरन, मैंगनीज आदि) की जांच की जाती है। इसके आधार पर किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड दिया जाता है, जो बताता है कि उनकी ज़मीन में किस चीज की कमी है और कितनी मात्रा में उर्वरक (Fertilizer) डालना चाहिए।
क्या आप जानते हैं?
- अब तक 6.80 लाख डेमो फार्म और 93,781 किसान प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जा चुके हैं।
- 7,425 किसान मेलों के जरिए मिट्टी की सेहत के बारे में जागरूकता फैलाई गई है।
केमिकल फर्टिलाजेशन का ऑप्शन: जैविक खेती और नैनो फ़र्टिलाइज़र
रासायनिक उर्वरकों के अत्यधिक इस्तेमाल से मिट्टी की उर्वरता घट रही है। इसलिए, सरकार ने ‘उर्वरक नियंत्रण आदेश, 1985’ में नए ऑप्शन को शामिल किया है, जैसे:
1.जैविक उर्वरक (बायो-फर्टिलाइजर्स)
2.डी-ऑयल्ड केक
3.ऑर्गेनिक कार्बन एन्हांसर
4.नैनो उर्वरक
इनके इस्तेमाल से मिट्टी की सेहत सुधरती है और फसलों की पैदावार भी बढ़ती है।
जैविक खेती को बढ़ावा: PKVY और MOVCDNER स्कीम
सरकार ने जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए दो बड़ी योजनाएं शुरू की हैं:
1. परंपरागत कृषि विकास योजना (PKVY)
- 31,500 रुपये प्रति हेक्टेयर (3 साल में) की मदद।
- इसमें से 15,000 रुपये किसानों को डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के जरिए दिए जाते हैं।
- नॉर्थ-ईस्ट राज्यों को छोड़कर पूरे भारत में लागू।
2. मिशन ऑर्गेनिक वैल्यू चेन डेवलपमेंट (MOVCDNER)
- ख़ासतौर से उत्तर-पूर्वी राज्यों के लिए।
- 46,500 रुपये प्रति हेक्टेयर (3 साल में) की मदद।
- 32,500 रुपये जैविक खाद और अन्य सामग्री पर खर्च किए जाते हैं।
PM-PRANAM: मिट्टी को बचाने की महाअभियान
28 जून 2023 को कैबिनेट ने “PM प्राणम्” (PM PRANAM) योजना को मंजूरी दी। इसका उद्देश्य है:
रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को कम करना
जैविक खेती को बढ़ावा देना
संसाधन संरक्षण तकनीकों को अपनाना
PM-PRANAM के तहत राज्यों को मिलेगा इनाम!
- अगर कोई राज्य पिछले 3 साल के औसत की तुलना में रासायनिक उर्वरकों (यूरिया, DAP, NPK, MOP) का कम इस्तेमाल करता है, तो उसे बचाई गई सब्सिडी का 50% इनाम मिलेगा।
ये जानकारी केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित जवाब में दी।
सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।
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