Market Intervention Scheme: MIS के ज़रिए किसानों को उपज का मिलेगा बाज़ार में उचित मुनाफ़ा

किसानों की मुसीबतों को दूर करने के लिए केंद्र सरकार ने एक नई दिशा तय की है। जो मार्केट इंटरवेंशन स्कीम (Market Intervention Scheme) या MIS है। ये स्कीम पीएम-आशा योजना (Scheme PM-Asha Yojana) का पार्ट है, और इसका उद्देश्य उन  कृषि और बागवानी उत्पादों की खरीद को सुनिश्चित करना है जिन पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) लागू नहीं होता। इसके साथ ही जो बाजार में पिछले आम सीज़न की तुलना में कम से कम 10 फ़ीसदी की गिरावट का सामना कर रहे होते हैं। इससे किसानों को मजबूर होकर फसल को ख़राब परिस्थितियों में नहीं बेचना पड़ता।

Market Intervention Scheme: MIS के ज़रिए किसानों को उपज का मिलेगा बाज़ार में उचित मुनाफ़ा

किसानों की मुसीबतों को दूर करने के लिए केंद्र सरकार ने एक नई दिशा तय की है। जो मार्केट इंटरवेंशन स्कीम (Market Intervention Scheme) या MIS है। ये स्कीम पीएम-आशा योजना (Scheme PM-Asha Yojana) का पार्ट है, और इसका उद्देश्य उन  कृषि और बागवानी उत्पादों की खरीद को सुनिश्चित करना है जिन पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) लागू नहीं होता।

इसके साथ ही जो बाजार में पिछले आम सीज़न की तुलना में कम से कम 10 फ़ीसदी की गिरावट का सामना कर रहे होते हैं। इससे किसानों को मजबूर होकर फसल को ख़राब परिस्थितियों में नहीं बेचना पड़ता।

MIS पीएम-आशा योजना

सरकारी दिशा-निर्देशों में हाल ही में सुधार किए गए हैं, जिनके तहत  MIS को पीएम-आशा योजना के एक एकीकृत हिस्से के रूप में शामिल किया गया है। अब MIS केवल तब लागू होगा जब बाजार की मौजूदा कीमत में पिछली सामान्य बारिश की तुलना में कम से कम 10 फ़ीसदी गिरावट देखी जाए।

साथ ही, फसल का प्रोडक्शन कवरेज को 20 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत कर दिया गया है, जिससे किसानों को अधिक मात्रा में फसल खरीदने का अवसर मिलेगा।

फसलों की फ़िजिकल खरीदारी 

एक और महत्वपूर्ण बदलाव हुआ है वो ये है कि राज्य सरकारों को ये ऑप्शन दिया गया है कि वे बाजार हस्तक्षेप मूल्य (MIP) और विक्रय मूल्य के बीच के अंतर को सीधे किसानों के बैंक खाते में जमा कर सकें।

बजाय इसके कि फसल की फ़िजिकल खरीदारी की जाए। इससे किसानों को अपनी उपज का उचित मूल्य मिलने में आसानी होगी और उन्हें फसल बेचने में किसी भी तरह का तनाव नहीं झेलना पड़ेगा।

 अब बात करते हैं टॉप फसलों की, जैसे कि टमाटर, प्याज और आलू की। जब इन फसलों की कीमत में उत्पादन वाले राज्यों और उपभोक्ता राज्यों के बीच अंतर होता है, तो केंद्रीय नोडल एजेंसियां जैसे NAFED और NCCF संचालित होती हैं।

किसानों को उनके उत्पादन के लिए उचित मुनाफा मिले

उदाहरण के तौर पर, NCCF ने मध्य प्रदेश से दिल्ली तक खरिफ टमाटर के परिवहन लागत के लिए 1,000 MT तक की रियिम्बर्समेंट की मंजूरी दी है।  जो ये सुनिश्चित करता है कि किसानों को उनके उत्पादन के लिए उचित मुनाफा मिले और अतिरिक्त लागत का बोझ न बढ़े।

सरकार ने अब न केवल NAFED और NCCF, बल्कि किसान उत्पादक संगठन (FPOs), किसान उत्पादक कंपनियां (FPCs), राज्य सरकार की ओर से नामांकित एजेंसियां और दूसरी केंद्रीय नोडल एजेंसियों को भी शामिल करने का प्रस्ताव रखा है।   

देश की खाद्य सुरक्षा को मजबूत करना

इस पूरी पहल का उद्देश्य केवल किसानों को फसल बेचने में मदद करना ही नहीं है, बल्कि देश की खाद्य सुरक्षा को भी मजबूत करना है। जब किसान अपनी उपज को उचित कीमत पर बेच पाएंगे, तो उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा और वे आत्मनिर्भर बनेंगे।  

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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