वैज्ञानिक खेती और खेती में नई तकनीक अपनाकर हरिकांत सिंह ने पाई सफलता

हरिकांत सिंह ने वैज्ञानिक खेती और नई तकनीक अपनाकर खेती में बदलाव लाया। उनकी मेहनत और संघर्ष से जानिए कैसे उन्होंने सफलता पाई।

वैज्ञानिक खेती और खेती में नई तकनीक scientific farming and new technology in farming

कभी आपने सोचा है कि एक छोटे से किसान की मेहनत और सही दिशा में किया गया प्रयास उसे बड़ी सफलता दिला सकता है? हरिकांत सिंह की कहानी इस सवाल का जवाब देती है। एक समय था जब उनके पास सिर्फ़ 4 हेक्टेयर ज़मीन थी, और कोई खास साधन भी नहीं था। फिर भी, उन्होंने वैज्ञानिक खेती और नई तकनीक का सहारा लेकर खेती को अपनी पहचान बनाई। 1976 में नौकरी छोड़कर उन्होंने खेती को अपना करियर बना लिया, और मुश्किल हालात में भी आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ाया। उनकी मेहनत और लगन ने यह साबित कर दिया कि सही दिशा में किए गए प्रयासों से कोई भी चुनौती छोटी पड़ सकती है। आइए जानते हैं उनकी पूरी कहानी। 

वैज्ञानिक खेती की शुरुआत (The beginning of Scientific Farming) 

2006 में हरिकांत सिंह ने जब KVK शेखपुरा के वैज्ञानिकों से संपर्क किया, तो उन्हें महसूस हुआ कि किसानों के पास नई तकनीकों का ज्ञान नहीं होने के कारण उत्पादन कम हो रहा था। इसके बाद उन्होंने कृषि क्षेत्र में वैज्ञानिक तरीके अपनाने का निर्णय लिया। KVK शेखपुरा के द्वारा आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रमों में भाग लिया और सरकारी योजनाओं का लाभ उठाया। इसके साथ ही, किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से उन्होंने अपनी खेती की बुनियाद मज़बूत की।

इसके बाद उन्होंने 2 हेक्टेयर में डीप बोरवेल और डीजल पंप से सिंचाई की सुविधा विकसित की, जिससे उनकी खेती में सुधार हुआ। इस सिंचाई सुविधा से वे बेहतर फ़सलें उगाने में सक्षम हुए और उन्हें अपनी आय में वृद्धि दिखाई दी।

खेती में नई तकनीक का किया प्रयोग (Use of new technology in Farming) 

हरिकांत सिंह ने खेती में नई तकनीकों का इस्तेमाल करना शुरू किया, जो न केवल उनकी उपज को बढ़ाने में मददगार साबित हुआ, बल्कि इससे उन्हें अपने खेतों में बेहतर उत्पादन की उम्मीद भी मिली। उन्होंने सबसे पहले जीरो टिलेज सीड ड्रिल का उपयोग किया, जिससे बीजों की बुवाई बिना मिट्टी को पलटने के हो पाती थी।

इसके अलावा, उन्होंने धान की SRI पद्धति, गेहूं की SWI पद्धति और एकीकृत कीट प्रबंधन (IPM) जैसी वैज्ञानिक तकनीकों को अपनाया। इन सभी आधुनिक तकनीकों का उद्देश्य भूमि की उर्वरता बढ़ाना, फ़सल की पैदावार बढ़ाना और कीटों से बचाव करना था। हरिकांत सिंह ने वर्मी-कम्पोस्टिंग और हरी खाद का भी इस्तेमाल किया, जिससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ी और फ़सल में कीटों का असर कम हुआ। इसके साथ ही, उन्होंने प्याज की वैज्ञानिक खेती और प्याज बीज उत्पादन जैसी योजनाओं को भी अपनाया।

उल्लेखनीय उपलब्धियां (Notable Achievements) 

हरिकांत सिंह ने 2013 तक अपनी खेती में कई उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की। उन्होंने धान की सहभागी किस्म से 136 क्विंटल/हेक्टेयर और हाइब्रिड धान से 150 क्विंटल/हेक्टेयर का उत्पादन किया। इसके अलावा, उन्होंने 0.6 हेक्टेयर में टिशू कल्चर केला बागान स्थापित किया, जो इस तकनीक का सफल उदाहरण है।

वहीं, गेहूं की PBW-343 किस्म से 68 क्विंटल/हेक्टेयर उपज प्राप्त की और एग्री-फाउंड लाइट रेड प्याज से 630 क्विंटल/हेक्टेयर का उत्पादन किया। इन उपलब्धियों से यह साबित होता है कि वैज्ञानिक खेती और खेती में नई तकनीक (new technology in farming) का प्रयोग करके बड़े स्तर पर उत्पादन बढ़ाया जा सकता है।

विविध कृषि गतिविधियां (Diversified Agricultural Activities)

हरिकांत सिंह ने केवल अनाज और सब्जियों की खेती तक सीमित नहीं रखा। उन्होंने आम और अमरूद के बाग लगाए, सागौन और महोगनी जैसे पेड़ भी लगाएं और 20 लीटर प्रति दिन दूध देने वाली क्रॉसब्रेड गायों का पालन शुरू किया। इसके साथ ही, उन्होंने वर्मी-कम्पोस्टिंग और दलहन उत्पादन जैसे महत्वपूर्ण कार्यों को भी किया।

उनकी यह विविध कृषि गतिविधियां यह दर्शाती हैं कि एक सफल किसान वह होता है, जो सिर्फ़ एक फ़सल पर निर्भर नहीं रहता, बल्कि विभिन्न कृषि गतिविधियों के माध्यम से आय के स्रोत बढ़ाता है।

सफलता का प्रभाव (The Impact of Success)

हरिकांत सिंह ने न केवल अपनी खेती से आत्मनिर्भरता प्राप्त की, बल्कि अपने परिवार को भी बेहतर जीवनस्तर प्रदान किया। उनके परिवार में 7 सदस्य हैं और उन्होंने 3 परिवार के सदस्यों को रोज़गार दिया है। इसके साथ ही, उन्होंने 1 हेक्टेयर अतिरिक्त भूमि खरीदी और पक्का मकान भी बनाया।

हरिकांत सिंह अब अपने खेतों से होने वाली आय से खुश हैं और उन्होंने सैकड़ों किसानों के लिए एक प्रेरणास्त्रोत का काम किया है। उनके इस सफर से यह साबित होता है कि वैज्ञानिक तरीकों और खेती में नई तकनीक (new technology in farming) को अपनाकर किसी भी किसान की स्थिति सुधारी जा सकती है।

भविष्य की दिशा और शिक्षा (Future Direction and Education) 

हरिकांत सिंह की सफलता की सबसे बड़ी सीख यह है कि कृषि क्षेत्र में नई तकनीकों का उपयोग न केवल फ़सल उत्पादन को बढ़ाता है, बल्कि किसान की आर्थिक स्थिति को भी सशक्त बनाता है। अब वे अपने अनुभवों को साझा करने के लिए KVK जैसी संस्थाओं का महत्व बताते हैं और किसानों को प्रेरित करते हैं।

उनका मानना है कि खेती में नई तकनीक (new technology in farming) और वैज्ञानिक खेती को अपनाने से किसान अपनी कृषि पद्धतियों में बदलाव ला सकते हैं, जिससे उनकी आय में वृद्धि हो सकती है। वे चाहते हैं कि अधिक से अधिक किसान अपनी खेती को वैज्ञानिक तरीके से करें और खेती में आधुनिक तकनीकों का सही उपयोग करें।

निष्कर्ष (Conclusion)

हरिकांत सिंह की सफलता यह सिद्ध करती है कि अगर किसी किसान के पास सही ज्ञान और तकनीकी जानकारी हो, तो वह किसी भी परिस्थिति में सफलता प्राप्त कर सकता है। उनका सफर कृषि उद्यमिता और वैज्ञानिक खेती के एक बेहतरीन उदाहरण के रूप में उभर कर सामने आया है। उनके जैसे किसानों से हम यह सीख सकते हैं कि खेती में नई तकनीक (new technology in farming) का इस्तेमाल न केवल हमारी खेती को बेहतर बना सकता है, बल्कि इससे हम एक मज़बूत और आत्मनिर्भर कृषि व्यवस्था की ओर भी बढ़ सकते हैं।

ये भी पढ़ें: Integrated Farming System से कैसे होगी किसानों को पूरे साल आमदनी

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top