ये तो हम सभी ने सुना है कि बारिश का पानी उपयोगी होता है। लेकिन शायद ही हम में से किसी ने उसका इस्तेमाल किया होगा। बारिश में लोगों को नहाते और ज्यादा बारिश से फसल बर्बाद होते तो हमने देखा है लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि जिस बारिश के पानी को हम वेस्ट समझते हैं उसका इस्तेमाल कर हम 100 किलो चावल भी उगा सकते हैं।
लेकिन कहते हैं ना हाथ की पांचों उंगलियां एक समान नहीं होती वैसे ही हर एक व्यक्ति एक जैसा नहीं होता है। कुछ जागरुक भी होते हैं जो हर एक चीज का सही इस्तेमाल करना जानते हैं। और उन्ही जागरुक लोगों में से एक हैं विश्वनाथ एस.। बारिश का पानी की इकट्ठा नहीं करते बल्कि ग्रे वॉटर बनाकर अपने घर की छत पर चावल और सब्जी भी उगाते हैं।
कौन हैं विश्वनाथ एस.
विश्वनाथ एस. बेंगलुरु के एक इंजीनियर हैं जो जल संरक्षण के क्षेत्र में काम करते हैं। जिन्होंने इस क्षेत्र में काम करते हुए सैंकड़ों पानी के स्रोतों को सहेजने का काम किया है। विश्वनाथ एस. 100 स्कवायर फीट की छत से एक लाख लीटर पानी हर साल इकट्ठा करते हैं। दरअसल बेंगलुरु में विश्वनाथ का एक छोटा-सा घर है। घर की छत लगभग 100 स्क्वायर फीट है। जिस पर वो चावल और सब्जियां उगाते हैं। फसल से घर को नुकसान न पहुंचे इसके लिए विश्वनाथ ग्रो-बैग्स, ड्रम और गमलों का उपयोग करते हैं।
कैसे उगाते हैं चावल
फल और सब्जियां तो गमलों में उग सकती हैं लेकिन चावल गमलों में नहीं उगाए जाते। इसके लिए विश्वनाथ प्लास्टिक शीट का इस्तेमाल करते हैं। प्लास्टिक शीट से ग्रो-बैग बनाने हैं। सिर्फ इतना ही नहीं विश्वनाथ प्लांटर्स में भी चावल उगाते हैं। ऐसा करने के लिए उन्हें ग्रो-बैग और प्लांटर्स में मिट्टी भरनी पड़ती है। सूखे पत्तों से मल्चिंग करते हैं। इस तरह चावल के लिए जमीन तैयार की जाती है। फिर इसमें चावल रोपे जाते हैं। महीने में एक बार इसमें खर-पतवार निकालते हैं।
फसल के लिए ऐसे तैयार करते हैं खाद
जिस तरह भूखे पेट को भरने के लिए भोजन की आवश्यकता होती है वैसे ही फसल के लिए भी खाद की जरुरत होती है। अब खाद बनाने के लिए भी विश्वनाथ घरेलू नुस्खा की अपनाते हैं। विश्वनाथ खुद ही घर पर खाद बनाते हैं। जैविक खाद बनाने के लिए उन्होंने छत पर कंपोस्टि यूनिट भी लगाई है। घर के शौचालय में फ्लश के लिए पानी का उपयोग नहीं किया जाता। बल्कि मल की ही खाद बन जाती है।
खाद बनाने के लिए वो इकोसन शौचालय का इस्तेमाल करते हैं। जो कि एक तरह का ऐसा शौचालय होता है, जिसमें मल त्यागने के बाद फ्लश की जरूरत नहीं होती है। कुछ समय बाद मल ही खाद बन जाता है। वहीं दूसरी खाद गीले कचरे से बनाते हैं जो कि उनके किचन से आती है। इन दो तरीकों से खाद बनती है।
अब ग्रे वॉटर के बारे में जानिए
फसल के लिए खाद बनाने का तरीका तो जान लिया। अब पानी का इस्तेमाल कैसे होता है वो भी जान लीजिए। पानी के लिए वो बारिश के पानी को इकट्ठा करते हैं। जिसके लिए घर में रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगवाया है। विश्वनाथ 100 स्क्वायर फीट की छोटी सी छत पर हर साल 1 लाख लीटर तक पानी इकट्ठा करते हैं। इसी बारिश के पानी को वो पीने से लेकर घर के काम में लाते हैं।
विश्वनाथ के काम की खासियत ये है कि वो बड़े शहरों में जल संरक्षण करने का सबसे सफल उदाहरण हैं, वो छत पर फसल में साफ पानी नहीं, बल्कि ग्रे-वाटर का इस्तेमाल करते हैं। यानी ऐसा पानी जो बाथरूम, बर्तन धोने या कपड़े धोने के बाद निकलता है।
बारिश का पानी घरेलू काम में इस्तेमाल के बाद उसे साफ करते हैं जिसके लिए उन्होंने घर पर ही रीड बेस्ड सिस्टम लगाया है। इस्तेमाल पानी को साफ करने के लिए उन्होंने पांच ड्रम रखे हैं। जिन्हे आपस में पाइप से जोड़ा हुआ है। पहले ड्रम में रीड बेस्ट सिस्टम है। मोटर की मदद से पहले ड्रम में ग्रे-वाटर जाता हैं। फिर यहां दूसरे, तीसरे, चौथे और पांचवे ड्रम में पानी जाता है। पांचवे ड्रम तक पानी पहुंचते-पहुंचते साफ हो जाता है। जिसका इस्तेमाल वो चावल और सब्जियां उगाने में करते हैं। इस तरह विश्वनाथ न केवल हर साल 120 किलो चावल उगाते हैं बल्कि हरी सब्जियां भी उगाते हैं।