खेती में मुनाफेे को कई गुना बढ़ाना है तो बन जाएं स्मार्ट किसान
खेती में होने वाले विभिन्न खर्चों में कटौती करके खेती को लाभदायक बनाया जा सकता है। किसानों को सिंचाई के लिए ड्रिप इरिगेशन पद्धति अपनानी चाहिए।
अपने खेतों में स्वाद से भरपूर फल, फूल और सब्जियों की खेती करने के लिए विशेषज्ञ सुझाव और तकनीकें।
खेती में होने वाले विभिन्न खर्चों में कटौती करके खेती को लाभदायक बनाया जा सकता है। किसानों को सिंचाई के लिए ड्रिप इरिगेशन पद्धति अपनानी चाहिए।
अखरोट की खेती करना किसानों के लिए बहुत ही फायदेमंद हो सकता है। अखरोट की खेती के लिए कुछ जरूरी
भारत में कृषि और पशुपालन का काफी बड़ा महत्व है। किसानों की जिंदगी ज्यादातर पशुपालन पर ही आधारित है क्योंकि
Lehsun ki Kheti लहसुन की खेती में कई कृषि यंत्र बेहद मददगार साबित हो सकते हैं। मसलन लहसुन के लिए 20 से 25 सेंटीमीटर गहरी जुताई की जाती है। इसके बाद कल्टीवेटर को 2-3 बार चलाकर मिट्टी को भुरभुरा किया जाता है। इसके लिए रोटावेटर का उपयोग काफी लाभकारी साबित होता है।
कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को फसलों को बचाने के लिए सलाह देते हुए बहुत से उपाय बताए हैं जिन्हें आप आजमा कर अपनी फसल को ठंड से बचा सकते हैं।
आईआईएम अहमदाबाद के पूर्व छात्र शिवेंद्र बताते हैं कि वह बिना मिट्टी के घर की छत पर खेती करते हैं। इससे उगाई सब्जियों से लाखों रुपए कमा भी रहे हैं। मिट्टी का इस्तेमाल किए बिना पौधा उगाने की इस विधि को हाईड्रोपनिक्स कहा जाता है।
मध्यप्रदेश सरकार अब किसानों को बताएगी कि उन्हें किस किस्म की धानी की बोनी करनी है। इसके आधार पर समर्थन मूल्य होने वाली धान की खरीदी का लाभ किसानों को मिल पाएगा।
मंत्रिमंडल ने देश में पहली पीढ़ी (1 जी) के इथेनॉल का उत्पादन बढ़ाने के लिए अनाजों (चावल, गेंहू, जौ, मक्का और जवार), गन्ना, चुकन्दर आदि से आसवन के जरिए इथेनॉल निकालने की क्षमता बढ़ाने के लिए एक संशोधित योजना को मंजूरी दी है।
जैविक व कार्बनिक पदार्थों को सूक्ष्म जीवों की सहायता से गलाया व सड़ाया जाता है व उनका विघटन किया जाता है और पौधों को भोजन के लिए तैयार किया जाता है। इस विधि को बायो कंपोस्टिंग जैविक/कार्बनिक खाद बनाने की विधि कहा जाता है।
वाराणसी शहर में किसान अब बीज बोने के लिए ड्रोन चलाने का प्रशिक्षण ले रहे हैं।
भले ही पूरे देश में नए कृषि कानूनों पर हंगामा मचा हो, लेकिन राजस्थान में कोटा के किसान कॉन्ट्रेक्ट फॉर्मिंग कर शुगर फ्री आलू उगा कर मोटा मुनाफा कमा रहे हैं।
PM मोदी ने तमिलनाडु के कृष्णागिरि जिले के एक किसान सुब्रमणि की सराहना करते हुए अन्य किसानों से भी उनकी तरह बनने की अपील की। पीएम शुक्रवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से छह राज्यों के किसानों के साथ बातचीत कर रहे थे।
साल 2020-21 में रबी फसल की खरीद पर 31 जुलाई तक देश में सिर्फ 43 लाख 35 हजार 477 किसान ही न्यूनतम समर्थन मूल्य का लाभ उठा सके। इनमें सबसे ज्यादा मध्य प्रदेश के 15 लाख 93 हजार 793 किसान थे।
राजेंद्र खरीफ के सीजन में करीब 5 लाख और रबी के सीजन में एक लाख पौधों को मिलाकर 6 से 10 लाख रुपये तक कमाते हैं। पौधों की लागत हटाने के बाद 5 लाख तक का मुनाफा हो जाता है।
हाड़ौती में लहसुन की बुवाई नवम्बर माह में पूरी हो गई। लहसुन की बुवाई चल रही थी, तब दिवाली तक लहसुन के दाम 150 रुपए किलो थे, अब धीरे-धीरे दामों में गिरावट आना शुरु हो गया है। इससे किसानों में अभी से चिंता की लकीरें खिंचने लग गई हैं। कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रकोप और लहसुन की प्रबल एंटी-बॉयोटिक प्रोपर्टीज को देखते हुए इस बार हाडौ़ती में लहसुन की सर्वाधिक बुवाई की गई है। राष्ट्रीय व अन्तरराष्ट्रीय बाजार में लहसुन की मांग होने के कारण लहसुन की कीमत 140 से 160 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गए हैं।
किसानों को घटिया बीज से छुटकारा दिलाने के लिए अब बीज के पैकेट पर हॉलमार्क जरूरी होगा। मध्यप्रदेश सरकार ने सूबे के किसानों को अच्छी क्वालिटी की फसल का बीज देने के लिए महत्वपूर्ण निर्णय लिया है।
पार्थी भाई चौधरी प्रति हेक्टेयर सर्वाधिक 87 मीट्रिक टन आलू का उत्पादन कर वे विश्व रिकॉर्ड बना चुके हैं। इसके अलावा अमरीकी बिजनेस मैगजीन फोर्ब्स सूची में भी उन्हें स्थान मिल चुका है।
लेमन ग्रास की खेती की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे सूखा प्रभावित क्षेत्रों में लगाया जा सकता है। कॉस्मेटिक्स, साबुन, तेल और दवा बनाने में शामिल कंपनियां इसकी अच्छी कीमत देती है। एक बार लगाने के बाद किसानों को लगभग सात साल तक फसल मिलती रहती है।
Apple berry farming – एप्पल बेर लांग टाइम इंवेस्टमेंट है। कम रखरखाव और लागत में किसान अगले 50 साल तक इससे अच्छी कमाई कर सकते हैं।
Vermicompost khad किसी भी फसल के लिए वर्मीकम्पोस्ट खाद अच्छी रहती है। इससे फसल की पैदावार बढ़ती है। वर्मीकम्पोस्ट खाद के लिए कई प्रजातियों के केंचुओं को गोबर तथा जैविक अपशिष्ट मिलाकर बनाया जाता है। इन केंचुओं के मल से जो खाद तैयार होती है वही वर्मीकम्पोस्ट खाद कहलाती है।