Chow Chow Farming: हजार मर्ज़ की दवा है चाउ चाउ सब्ज़ी, जानिए कैसे करें इसकी खेती

चाउ चाउ का वैज्ञानिक नाम सेचियम एडुले है। इस बेलदार पौधे की शुरुआत मैक्सिको और ग्वाटेमाला में हुई थी, लेकिन आज यह अमेरिका, यूरोप, अफ्रीका, चीन और दक्षिण-एशियाई देशों में अपनी धाक जमा चुका है। भारत के पहाड़ी इलाकों में, विशेष रूप से तमिलनाडु की सिरुमलाई पहाड़ियों में, चाउ चाउ की खेती बड़े पैमाने पर होती है।

Chow Chow Farming: हजार मर्ज़ की दवा है चाउ चाउ सब्ज़ी, जानिए कैसे करें इसकी खेती

क्या आप जानते हैं कि चाउ चाउ (Chow Chow) जिसे आमतौर पर मैक्सिकन स्क्वैश या वेजिटेबल नाशपाती के नाम से जाना जाता है, न केवल आपकी सेहत के लिए बेहद फायदेमंद है, बल्कि किसानों के लिए एक लाभदायक फसल भी है? इसकी खेती एक अनोखे तरीके से की जाती है, जो न केवल पर्यावरण के अनुकूल है, बल्कि टिकाऊ भी है।  इसकी खेती, फायदे, और विशेषताओं के बारे में बात करते हैं।

चाउ चाउ की उत्पत्ति और वैश्विक पहचान

चाउ चाउ का वैज्ञानिक नाम सेचियम एडुले है। इस बेलदार पौधे की शुरुआत मैक्सिको और ग्वाटेमाला में हुई थी, लेकिन आज यह अमेरिका, यूरोप, अफ्रीका, चीन और दक्षिण-एशियाई देशों में अपनी धाक जमा चुका है। भारत के पहाड़ी इलाकों में, विशेष रूप से तमिलनाडु की सिरुमलाई पहाड़ियों में, चाउ चाउ की खेती बड़े पैमाने पर होती है।

चाउ चाउ का पौधा और इसका उपयोग

यह पौधा कुकुरबिटेसियस (Cucurbitaceous) परिवार से संबंध रखता है और लौकी या तोरई की तरह बेल के रूप में उगता है। चाउ चाउ का हर हिस्सा उपयोगी है-फल, तना, पत्तियां, और यहां तक कि जड़ें भी। इसका फल नाशपाती की तरह दिखता है और चमकदार हरे रंग का होता है।

इसका उपयोग सब्जी के साथ-साथ औषधि के रूप में भी होता है। यह मोटापा, डायबिटीज, ब्लड शुगर, और अल्सर जैसी समस्याओं को दूर करने में मदद करता है।

चाउ चाउ के फायदे

  1. कैंसर से लड़ने में मददगार
    इसमें ऐसे पोषक तत्व होते हैं जो कैंसर सेल्स के विकास को रोक सकते हैं।
  2. मोटापा कम करे
    चाउ चाउ में कैलोरी कम और फाइबर अधिक होता है, जो वजन घटाने में मदद करता है।
  3. चोट और जलन में उपयोगी
    इसे चोट लगने या जल जाने पर औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
  4. ब्लड शुगर को नियंत्रित करे
    डायबिटीज और ब्लड शुगर के मरीजों के लिए यह एक प्रभावी उपाय है।
  5. अल्सर और कब्ज में फायदेमंद
    इसका सेवन पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है और अल्सर को ठीक करता है।
  6. थायराइड को कंट्रोल करें
    यह थायराइड के इलाज में मदद करता है।
  7. एंटी-एजिंग गुण
    चाउ चाउ त्वचा की उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा करता है।

चाउ चाउ की खेती कैसे करें ?

चाउ चाउ की खेती के लिए खास मिट्टी और जलवायु की आवश्यकता होती है-

  • मिट्टी: अम्लीय, अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी जिसमें pH 5.5 – 6.5 हो।
  • जलवायु: 18-22 डिग्री सेल्सियस के तापमान और 1200-1500 मीटर की ऊंचाई।

रोपण का समय और तरीका:

  • अप्रैल से मई के बीच इसकी बुवाई की जाती है।
  • खेतों में 6 मीटर की दूरी पर बीज बोकर गोबर की खाद, यूरिया, और सुपर फॉस्फेट का इस्तेमाल किया जाता है।
  • बेलदार पौधा होने के कारण 2 मीटर या उससे ऊंचे पोल के सहारे पंडाल बनाया जाता है।

फ़सल की देखभाल

चाउ चाउ की फ़सल की अच्छी देखभाल से पैदावार को बढ़ाया जा सकता है:

  1. निराई-गुड़ाई करें:
    फसल के आसपास खरपतवार न बढ़ने दें।
  2. कीटों और रोगों से सुरक्षा:
    • बारिश के मौसम में मक्खियों की संख्या बढ़ जाती है। बुआई से पहले खेत की गहरी जुताई करके प्यूपा को बाहर निकालें।
    • मोज़ेक रोग के लिए डाइमेथोएट 30 ईसी का छिड़काव करें।

कटाई और उत्पादन

  • फ़लों की कटाई 55-60 दिन बाद शुरू हो जाती है।
  • फ़सल की तुड़ाई के समय ध्यान रखना चाहिए कि बेल को कोई नुकसान न पहुंचे।
  • कटाई के लिए धारदार चाकू का उपयोग किया जाता है।

चाउ चाउ के दो प्रकार

  1. हरे रंग के फल
  2. सफेद रंग के फल

भारत में चाउ चाउ की मांग

भारत के कई हिस्सों में चाउ चाउ की खेती से किसानों की आय में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है। तमिलनाडु, कर्नाटक, और हिमाचल प्रदेश में इसकी मांग तेजी से बढ़ रही है। इसकी खेती न केवल आर्थिक दृष्टि से लाभकारी है, बल्कि यह पर्यावरण के लिए भी अनुकूल है। चाउ चाउ न केवल सेहत के लिए फायदेमंद है, बल्कि यह एक ऐसी फसल है जो किसानों की आय को स्थिर और लाभकारी बना सकती है। यह पौधा आधुनिक कृषि के लिए एक मिसाल है, जो टिकाऊ खेती के साथ-साथ स्वास्थ्य को भी प्राथमिकता देता है।

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