घास की खेती है फ़ायदेमंद, बढ़ेगा मुनाफ़ा और कम होगी पशुपालन की लागत

घास की खेती किसानों को चारा उत्पादन में मदद करती है, जिससे पशुपालन को लाभकारी बनाया जा सकता है और पशुओं का पोषण बेहतर होता है।

घास की खेती है फ़ायदेमंद, बढ़ेगा मुनाफ़ा और कम होगी पशुपालन की लागत

घास की खेती उन किसानों के लिए एक बेहतरीन विकल्प हो सकती है, जो पशुपालन से अपनी आमदनी बढ़ाने की सोच रहे हैं। घास के तहत विभिन्न प्रकार की वनस्पतियां आती हैं जो पशुओं के लिए चारा का मुख्य स्रोत होती हैं। इन घासों को विशेष रूप से गाय, भैंस, बकरी, और भेड़ जैसे पशुओं को खिलाया जाता है, जो उनके पोषण और स्वास्थ्य में सहायक होते हैं। साथ ही, घास की खेती (Grass cultivation) से किसानों को न केवल चारे की उपलब्धता मिलती है, बल्कि इसके माध्यम से वे अपने पशुपालन व्यवसाय को भी लाभकारी बना सकते हैं।

चारा उत्पादन के लाभ (Benefits of Fodder Production)

पशुपालन में चारा का उत्पादन बहुत अहम है। जब किसान खुद चारा उत्पादन करने लगते हैं, तो उन्हें बाहर से चारा खरीदने की जरूरत नहीं पड़ती, जिससे उनकी लागत कम हो जाती है। इसके अलावा, पौष्टिक घास खिलाने से गाय और भैंस को अधिक दूध देने में मदद मिलती है, जबकि बकरियों और भेड़ों से अच्छी क्वालिटी का मांस प्राप्त होता है। इस तरह, घास की खेती (Grass cultivation) से किसान अपने पशुपालन व्यवसाय को बेहतर बना सकते हैं।

घास की खेती
तस्वीर साभार-agriarming

घास की खेती के लिए उपयुक्त प्रजातियां (Species suitable for grass cultivation)

कुछ विशेष प्रकार की घास हैं, जिन्हें किसान चारे के लिए उगा सकते हैं। ये घास विशेष रूप से शुष्क और अर्धशुष्क इलाकों में उगाई जा सकती हैं, और इनमें से अधिकतर घासों को बहुत अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती है। इसके अलावा, ये घासें गर्मी और सूखा सहने की क्षमता रखती हैं। इन घासों का उत्पादन किसान अपनी भूमि में करके पशुपालन को और अधिक लाभकारी बना सकते हैं।

धामण घास (Dhaman Grass) : धामण घास को मोडा धामण या काला धामण भी कहा जाता है। यह शुष्क और अर्धशुष्क इलाकों में पाई जाती है और इसकी लंबाई 0.2 मीटर से लेकर 0.9 मीटर तक हो सकती है। यह घास बहुत गर्मी और सूखा सहन करने की क्षमता रखती है, और इसे दोमट से लेकर पथरीली मिट्टी तक में उगाया जा सकता है। यह घास मुख्य रूप से गुजरात, राजस्थान और हरियाणा में उगाई जाती है।

सेवण घास (Sevan Grass) : सेवण घास का वानस्पतिक नाम लेसीयूरस सिंडीकस है। यह घास राजस्थान और अन्य पश्चिमी राज्यों में उगती है, जहां कम वर्षा होती है। यह घास रेतीली मिट्टी में भी अच्छे से उग जाती है और इसके चारे को पशुओं के लिए अत्यधिक पौष्टिक माना जाता है। यह घास किसानों के लिए बहुत फ़ायदेमंद साबित हो सकती है, खासकर उन इलाकों में जहां पानी की कमी होती है।

अंजन घास (Anjan Grass) : अंजन घास, जिसे बफेल घास भी कहा जाता है, रेगिस्तान के क्षेत्रों में उगने वाली एक प्रमुख घास है। यह घास सूखा सहने की क्षमता रखती है और इसकी लंबाई 0.3 मीटर से लेकर 1.2 मीटर तक हो सकती है। यह घास भारत के विभिन्न हिस्सों में उगाई जाती है, और यह रेतीली, पथरीली, और कंकरीली मिट्टी में अच्छे से उगती है।

नेपियार घास (Napier Grass) : नेपियार घास को हाथी घास या पूसा जायंट नेपियर घास भी कहा जाता है। यह घास मुख्य रूप से दक्षिण अफ्रीका की है, लेकिन अब यह भारत में भी उगाई जाती है। यह घास गर्म जलवायु और दोमट मिट्टी में अच्छे से उगती है, और इसका चारा पौष्टिक होता है। यह घास ज्वार और मक्का की तरह दिखती है और पूरे साल उगती रहती है।

घास की खेती
तस्वीर साभार-orissapost

चारे का संरक्षण (Conservation of Fodder)

बरसात के मौसम में घास की अधिक खेती होती है, और इस दौरान कई प्रकार की घासें स्वतः ही उग आती हैं। लेकिन अगर आप पूरे साल पशुओं के लिए चारा उपलब्ध रखना चाहते हैं, तो आपको बरसात में उगने वाली घासों को बचाकर रखना होगा। इसके लिए घासों को सुखाना जरूरी होता है, जिससे उनकी पौष्टिकता बनी रहे। इसके लिए आप घासों को लोहे की जाली या लकड़ी के स्टैंड पर सुखा सकते हैं ताकि हवा अंदर जाती रहे। इस प्रकार सुखाई गई घास को ‘हे’ कहा जाता है, और इसे सालभर के चारे के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।

घास की खेती के फ़ायदे (Advantages of Grass Farming)

घास की खेती (Grass cultivation) से किसानों को कई फ़ायदे मिलते हैं:

  1. पशुओं को पोषण: घास के पौष्टिक चारे से पशुओं को अच्छी गुणवत्ता का दूध और मांस मिलता है।
  2. कम लागत में उत्पादन: चारा उत्पादन से किसानों को बाहर से चारा खरीदने की आवश्यकता नहीं पड़ती, जिससे लागत में कमी आती है।
  3. कम पानी की आवश्यकता: घास की कई प्रजातियां कम पानी में भी उग सकती हैं, जिससे शुष्क इलाकों में भी इनका उत्पादन संभव है।
  4. आर्थिक लाभ: अच्छी गुणवत्ता का चारा और पशुपालन से किसानों को अच्छा आर्थिक लाभ हो सकता है।

घास की खेती पर अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

सवाल : क्या घास की खेती से किसान अच्छा मुनाफ़ा कमा सकते हैं?

जवाब: हां, अगर किसान घास की सही प्रजातियों का चयन करते हैं और उनका उचित देखभाल करते हैं, तो वे पशुपालन के लिए अच्छा चारा उगा सकते हैं, जिससे उन्हें अच्छा मुनाफ़ा हो सकता है।

सवाल :क्या घास की खेती के लिए ज्यादा पानी की जरूरत होती है?

जवाब: नहीं, घास की कई प्रजातियों को बहुत अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती। कुछ घासें शुष्क और अर्धशुष्क इलाकों में भी अच्छे से उग सकती हैं।

सवाल : घास की खेती के लिए कौन सी प्रजातियां उपयुक्त हैं?

जवाब: धामण, सेवण, अंजन, और नेपियार घास जैसी प्रजातियां शुष्क और अर्धशुष्क इलाकों के लिए उपयुक्त हैं।

सवाल : घास का संरक्षण कैसे किया जा सकता है?

जवाब: घास को सुखाकर और हवा के संपर्क में रखकर तैयार किया जा सकता है, जिसे पूरे साल चारे के रूप में उपयोग किया जा सकता है।

निष्कर्ष (conclusion)

घास की खेती पशुपालन के लिए एक महत्वपूर्ण और लाभकारी विकल्प हो सकती है। इससे किसान न केवल अपनी पशुपालन लागत को कम कर सकते हैं, बल्कि वे उच्च गुणवत्ता का दूध और मांस भी प्राप्त कर सकते हैं। घास की खेती के लिए सही प्रजातियों का चयन और उनकी उचित देखभाल महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, घास का संरक्षण भी जरूरी है, ताकि पूरे साल पशुओं के लिए चारा उपलब्ध रहे।

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