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मछलियां, जो नदियों और समंदर की खूबसूरती बढ़ाती हैं, कई बार खतरनाक बीमारियों और परजीवियों का शिकार हो जाती हैं? यहां हम बताने वाले हैं कि इन बीमारियों से मछलियां कैसे प्रभावित होती हैं और उनके उपचार क्या हैं। मछलियां बेहद संवेदनशील जीव होती हैं। कई बार पानी की खराब गुणवत्ता और पर्यावरणीय बदलाव इनके लिए जानलेवा साबित होते हैं। खासकर वसंत ऋतु के दौरान, जब मछलियां सर्दियों के बाद कमजोर होती हैं और स्पॉनिंग (अंडे देने की प्रक्रिया) की वजह से तनाव में होती हैं। इस समय बीमारियां और परजीवी ज्यादा फैलते हैं।
हालांकि, ज्यादातर मछली के परजीवी इंसानों के लिए हानिकारक नहीं होते। लेकिन, यदि मछली को सही तरीके से पकाया जाए तो इन परजीवियों से भी बचा जा सकता है।
आम परजीवी और बीमारियां (Fish Diseases)
ब्लैक-स्पॉट रोग
ये फ्लैटवर्म मछली की त्वचा पर छोटे-छोटे काले धब्बे बना देते हैं। ये देखने में भद्दे लग सकते हैं, लेकिन मछलियों को खास नुकसान नहीं पहुंचाते। इनका उपचार फिलहाल उपलब्ध नहीं है।
पीला ग्रब
ये पीला ग्राब, ब्लैक-स्पॉट के जैसे ही होता है लेकिन ये मांस में पीले या सफेद धब्बों के रूप में दिखता है। इससे बचने का तरीका है कि परजीवी की जीवन-चक्र को तोड़ा जाए। तालाब को सूखाना और घोंघों को हटाना इसके रोकथाम के सबसे प्रभावी उपाय हैं।
सैप्रोलेग्निया फंगस
सैप्रोलेग्निया नामक फंगस रूई के गोले जैसे धागों के रूप में मछलियों पर नजर आता है। ये कमजोर मछलियों पर अटैक करता है। इसका इलाज 3% नमक के घोल में मछलियों को डुबोकर किया जा सकता है।”
गंभीर बीमारियां और उनके उपचार (Fish Diseases Treatment)
लिम्फोसिस्टिस बीमारी
लिम्फोसिस्टिस एक वायरल बीमारी है, जिसमें मछलियों के शरीर पर पीले या सफेद मस्से बन जाते हैं। यह देखने में भद्दा लगता है, लेकिन आमतौर पर यह बीमारी खुद ही ठीक हो जाती है।
बैक्टीरियल संक्रमण मछलियों के लिए बेहद घातक हो सकता है। खासकर सर्दियों के मौसम में, जब मछलियां कमजोर होती हैं। यह आमतौर पर तब होता है जब पानी की गुणवत्ता खराब होती है और ऑक्सीजन की कमी होती है। इस समस्या को रोकने के लिए पानी की गुणवत्ता बनाए रखना बेहद जरूरी है।
मेगालोसाइटी वायरस
अगर बात करें मेगालोसाइटी वायरस की, तो यह खासतौर पर सजावटी मछलियों और समुद्री प्रजातियों को प्रभावित करता है। हालांकि, इस वायरस का फिलहाल कोई प्रभावी इलाज उपलब्ध नहीं है। कीटाणुशोधन से इसे रोका जा सकता है।
मछलियों में पाचन विकार
परजीवियों की वजह से मछलियों में कई बार पाचन संबंधी विकार भी हो जाते हैं। ये उनकी आंतों को नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे वजन घटने और भूख न लगने जैसी समस्याएं होती हैं। संक्रमण से ग्रस्त मछलियों में सुस्ती, सफेद रेशेदार मल और खाने में अनिच्छा जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।
रोगग्रस्त मछलियों के लक्षण
अगर मछलियां समूह से अलग होकर किनारे पर रहती हैं
- बार-बार पानी से कूदकर बाहर छलकती हैं।
- मुंह खोलकर हवा अंदर लेती हैं।
- खाना छोड़ देती हैं।
- मछलियों का रंग फीका पड़ जाता है और उनकी त्वचा चिपचिपी हो जाती है।
- इन लक्षणों को देखकर तुरंत एक्शन लेना जरूरी है।
रोगों से बचाव के उपाय
- मछलियों को जरूरत के हिसाब से ही खाना दें।
- अगर मछलियां असामान्य व्यवहार कर रही हैं, तो पानी में 10% गैमेक्सीन और चूना पाउडर का छिड़काव करें।
- तालाब के पानी का pH संतुलित रखें और ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाएं।
- हर दो साल में तालाब को कम से कम 15 दिनों के लिए पूरी तरह सूखा दें।
- तालाब को गंदगी से बचाना बेहद जरूरी है।
- मछलियों की संख्या और तालाब की क्षमता का संतुलन बनाए रखें।
अगर आप मत्स्य पालन में हैं, तो यह सुनिश्चित करें कि तालाब की सफाई, पानी की गुणवत्ता और मछलियों के खानपान का खास ख्याल रखें। आपके तालाब की मछलियां स्वस्थ रहेंगी, तो आपका व्यवसाय भी फलेगा-फूलेगा।