Climate Smart Agriculture: जलवायु-स्मार्ट खेती कैसे जलवायु परिवर्तन के बीच बन सकती है सुरक्षा शील्ड

सीधे शब्दों में कहें तो, जलवायु-स्मार्ट खेती का मतलब है स्मार्ट सोच, स्मार्ट तरीके और नई तकनीकों का उपयोग, ताकि खेती जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का सामना कर सके। ये सिर्फ टिकाऊ कृषि नहीं है, बल्कि उससे भी एक कदम आगे है।

Climate Smart Agriculture: जलवायु-स्मार्ट खेती कैसे जलवायु परिवर्तन के बीच बन सकती है सुरक्षा शील्ड

जलवायु-स्मार्ट खेती जलवायु परिवर्तन के लिए एक सुरक्षा शील्ड की तरह काम कर सकती है। क्योंकि जलवायु परिवर्तन ने न सिर्फ हमारी धरती को हिलाकर रख दिया है, बल्कि हमारे किसानों की जिंदगी पर भी गहरा असर डाला है। मौसम के अनियमित पैटर्न, सूखे की मार, भारी बारिश, बेमौसम फसल रोग, और कीटों की बढ़ती संख्या। ये सब हमारे मेहनती किसानों के लिए बड़ी चुनौती बन चुके हैं। और ये समस्या आने वाले दिनों में और बड़ी हो सकती है, क्योंकि अनुमान है कि साल 2050 तक दुनिया की आबादी 9.8 बिलियन तक पहुंच जाएगी। लेकिन इसका एक समाधान है। ये है जलवायु-स्मार्ट खेती। एक ऐसी पहल जो किसानों की ज़िंदगी बदल सकती है, हमारी खाद्य सुरक्षा को मज़बूत कर सकती है, और पर्यावरण को भी बचा सकती है।  

जलवायु-स्मार्ट खेती क्या है?

सीधे शब्दों में कहें तो, जलवायु-स्मार्ट खेती का मतलब है स्मार्ट सोच, स्मार्ट तरीके और नई तकनीकों का उपयोग, ताकि खेती जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का सामना कर सके। ये सिर्फ टिकाऊ कृषि नहीं है, बल्कि उससे भी एक कदम आगे है।

 तीन पिलर इसे स्मार्ट बनाते हैं:
1.किसानों की उपज और आजीविका में सुधार।
2.खेती को जलवायु के प्रभावों के लिए लचीला बनाना।
3.ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को रोकना।

समस्याओं से समाधान तक: जलवायु-स्मार्ट खेती के उपाय

  खेती से जुड़ी हर समस्या के लिए एक स्मार्ट समाधान है:

  • सूखे और बाढ़ का सामना कैसे करें?
    इसके लिए अलग रणनीति बनानी होगी। नई तकनीकों की मदद से फसलों की रक्षा की जा सकती है।
  • मिट्टी और पानी का बेहतर प्रबंधन कैसे करें?
    मृदा प्रबंधन (Soil Management) और मल्चिंग (Mulching) से मिट्टी की गुणवत्ता सुधारकर फसलों की पैदावार बढ़ाई जा सकती है।
  • फसल रोग और कीटों से कैसे बचा जाए?
    Pest और Disease Management का सही तरीका अपनाकर, कीटनाशकों का कम उपयोग करके पर्यावरण को भी बचाया जा सकता है।  

 सरकारी योजनाओं का सहयोग

भारत सरकार ने भी किसानों के साथ कदम से कदम मिलाया है। आइए, जानते हैं कुछ प्रमुख योजनाएं:

 प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMSKY)
हर खेत को पानी! सिंचाई क्षेत्र को बढ़ाने और जल उपयोग को कुशल बनाने का बेहतरीन प्रयास।

 बायोटेक-किसान योजना
2017 में शुरू की गई यह योजना वैज्ञानिकों और किसानों के बीच एक पुल बनाती है। अब तक लाखों किसानों को इसने सशक्त बनाया है।

 नीम-कोटेड यूरिया
नाइट्रोजन को धीरे-धीरे रिलीज़ करने वाली यह तकनीक फसलों की पैदावार को बढ़ाती है और कीटों के प्रकोप को कम करती है।

 क्लाइमेट-स्मार्ट विलेज: एक नई शुरुआत

हरियाणा के करनाल और बिहार के वैशाली जिले से शुरू हुई यह पहल अब पंजाब, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में फैल चुकी है। इसका उद्देश्य स्थानीय किसानों को सक्षम बनाना और जलवायु परिवर्तन के अनुकूल नई तकनीकों को अपनाना है।

खाद्य सुरक्षा और भविष्य की ओर एक कदम

जलवायु परिवर्तन का सबसे बड़ा असर हमारे भोजन पर पड़ता है। इसलिए खाद्य सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन को साथ लेकर चलना बेहद ज़रूरी है।

जलवायु-स्मार्ट खेती: अहम बातें

परंपरागत टिकाऊ कृषि से अलग नहीं
जलवायु-स्मार्ट खेती परंपरागत टिकाऊ कृषि से अलग नहीं बल्कि उसका हिस्सा ही है। ये किसानों को जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने में मदद के लिए अलग-अलग तरह के उपायों के जोड़ का एक तरीका है।

टेक्नोलॉजी की मदद
जलवायु-स्मार्ट खेती (Climate-Smart Agriculture) को अपनाने के लिए अहम कदम ये है कि जलवायु परिवर्तन से होने वाले जोखिमों का  टेक्नोलॉजी की मदद से बेहतर किया जाए। पानी की कमी या  बाढ़ के कारण उपज बर्बाद हो जाती है। इसके लिए एक अलग  रणनीति बनाने की ज़रूरत है।

जलवायु चुनौतियों का सामने करने के लिए प्लानिंग

हम लोकल इकोसिस्टम और किसी खास फसल को ध्यान में रख कर जलवायु जोखिम का आंकलन  करने के अलग-अलग तरह के साधनों का इस्तेमाल करते हैं। किसी ख़ास तरह खेती की जलवायु चुनौतियों को मैनेज करने और भविष्ट के प्रभावों के सामने नरम बनाने के लिए सही प्लानिंग बनाना ही जलवायु-स्मार्ट खेती को “स्मार्ट” बनाता है।

पर्यावरण और फूड प्रोडक्शन
जलवायु परिवर्तन (Climate Change) फूड पिरामिड में गिरावट का प्रोसेस और तेज़ कर देता है जो पर्यावरण और फूड प्रोडक्शन और सिस्टम निगेटिव इफेक्ट डालते हैं। भारत में जलवायु परिवर्तन (Climate Change) के प्रभाव के कारण देश भर में प्रमुख फसलों की पैदावार में गिरावट आई है।

क्लाइमेट स्मार्ट एग्रीकल्चर (सीएसए)
आपको बता दें कि साल 2010 और 2039 के बीच ये गिरावट 9 फीसदी तक भी जा सकती है। अब देश के सामने क्लाइमेट स्मार्ट एग्रीकल्चर (सीएसए) को अपनाने की जरूरत सामने आ रही है। कृषि पर निगेटिव क्लाइमेट चेंज के इफेक्ट को कम करने के साथ फसल प्रबंधन, पशुधन उत्पादन, मत्स्य पालन और वानिकी को और उच्च स्तर पर ले जानें की आवश्कता महसूस हो रही है।

मल्चिंग पर फोकस
भारत में जिन स्थानों पर अधिक सूखा, बाढ़ या फिर अनियमित मौसम हो वहां पर लंबे वक्त तक जोखिम हैं। वहां जलवायु-स्मार्ट कृषि की ज़रूरी होता जा रहा है। जिससे मिट्टी की संरचना, पानी, मिट्टी की उर्वरता (fertility) में सुधार लाने के लिए मल्चिंग पर फोकस किया जा सके।

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