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वैज्ञानिक तरीके से और अच्छी क़िस्मों का उत्पादन किया जाए तो किसान सब्ज़ियों की खेती से अच्छा मुनाफ़ा कमा सकते हैं। किसानों को सब्ज़ियों की उन्नत खेती की जानकारी देने के लिए पंजाब कृषि विश्वविद्यालय लगातार प्रयासरत है। पंजाब कृषि विश्वविद्यालय का सब्ज़ी विज्ञान विभाग साल में दो बार प्रदर्शनी का आयोजन करता है ताकि किसानों को नई तकनीक की जानकारी मिले और अपने खेत में उसका इस्तेमाल करके वो अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सके।
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के सब्ज़ी विज्ञान विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. रुमा देवी ने सब्ज़ियों की उन्नत क़िस्मों (High Yield Varieties) और सब्ज़ियों की वैज्ञानिक खेती के बारे में विस्तार से चर्चा की किसान ऑफ इंडिया के संवाददाता सर्वेश बुंदेली के साथ। उन्होंने सब्ज़ियों की नर्सरी तैयार करने से लेकर उत्पादन तक की पूरी प्रक्रिया भी साझा की।
कैसे तैयार होती है नर्सरी?
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय में साल में दो बार किसान मेले का आयोजन किया जाता है, जहां किसानों के लिए सब्ज़ियों की खेती की अलग-अलग तकनीक, उन्नत क़िस्मों की प्रदर्शनी लगाई जाती है। यहां सीज़न के हिसाब से सब्ज़ियों की प्रदर्शनी होती है। जिससे किसानों को मौसम के हिसाब से सब्ज़ियों की खेती की भी जानकारी मिलती है।
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के सब्ज़ी विज्ञान विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. रुमा देवी का कहना है कि यहां किसानों को नर्सरी कैसे तैयार करनी हैं इसके बारे में तो बताया ही जाता है, साथ ही यदि कोई किचन गार्डन बनाना चाहे तो उसकी जानकारी भी दी जाती है। आगे वो बताती हैं कि किसानों को नर्सरी तैयार करने की विस्तार से जानकारी दी जाती है जैसे अलग-अलग चरण के बारे में बताया जाता है।
नर्सरी की तैयारी में सबसे पहले ज़मीन तैयार की जाती है इसके लिए ज़मीन की 2-3 बार अच्छे से जुताई की जाती है, फिर मिट्टी को स्टरलाइज़ किया जाता है। मिट्टी को दो तरीके से स्टरलाइज़ किया जा सकता है। पहला तरीका ये है कि मिट्टी को कुछ दिनों के लिए धूप में यूं ही रहने दें, जिससे कीड़े-मकोड़े मर जाते हैं। दूसरा तरीका है केमिकल का इस्तेमाल करके स्टरलाइज़ करना।
इसके लिए बेड बनाने के बाद केमिकल डाला जाता है और फिर बेड को 72 घंटे के लिए प्लास्टिक से ढंक दिया जाता है। बेड में बुवाई के लिए एक समान लाइन मशीन की मदद से बनाई जाती है, क्योंकि हाथ से ऐसा करना संभव नहीं होता है। इसके बाद नर्सरी को वायरस के हमले से बचाना भी ज़रूरी है जिसके लिए इसे नेट से ढंक दिया जाता है।
बैंगन की हाइब्रिड क़िस्में
डॉ. रुमा बताती हैं कि उनके यहां प्रदर्शनी में बैंगन की 5 हाइब्रिड क़िस्में लगाई गई हैं। जिसमें पहला है PBH-6 हाइब्रिड। इस क़िस्म का उत्पादन काफी अच्छा है। प्रति एकड़ 278 क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त हो जाता है। बैंगन की क़िस्मों में कुछ गोल, कुछ लंबे और कुछ भरते वाले बड़े आकार के बैंगन हैं। यहां किसानों को बैंगन की खेती के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाती है कि कैसे मिट्टी को रखना है, पौधे बड़ा होने पर कैसे खाद डालनी है और गुराई करनी है।
बैंगन के खेत में वॉटर चैनल भी बनाए गए हैं पानी डालने के लिए। किसान ये सारी चीज़ें जब देखते हैं तो अपने खेत में जाकर इसे आज़माते हैं जिससे उन्हें उत्पादन में फायदा होता है। यहां आने पर किसानों को जब सब्ज़ियों की नई क़िस्मों की जानकारी मिलती है तो वो पूछते हैं कि बीज कहां से मिल सकते हैं। इसलिए पंजाब कृषि विश्वविद्यालय की ओर से ही बीज उपलब्ध कराए जाते हैं और स्टॉल लगाकर इसे बेचते हैं।
लाल भिंडी है बहुत खास
भिंडी का रंग आमतौर पर हरा ही होता है, मगर यहां लाल रंग की भिंडी उगाई जा रह है जो अधिक पौष्टिक होती है। इस बारे में प्रोफेसर रुमा का कहना है कि भिंडी की इस वैरायटी को पंजाब लालिमा कहते हैं और इस क़िस्म में एंथोसायनिन और आयोडीन बहुत अधिक मात्रा में होता है। वो बताती हैं कि लोगों में भिंडी की इस क़िस्म का क्रेज है, वो पूछते हैं कि बीज कहां से मिलेगा और इसे कैसे उगाना है।
उनका कहना है कि अब लोग ऐसी वैरायटी चाहते हैं जिसमें न सिर्फ़ अधिक उत्पादन हो बल्कि उसमें पोषक तत्व भी अधिक हों। इसके अलावा भिंडी की एक और क़िस्म हैं पंजाब सुहावनी, जो वायरस प्रतिरोधी है। भिंडी की दोनों ही क़िस्मों का उत्पादन प्रति एकड़ लगभग 50 क्विंटल तक होता है।
कभी फेल न होने वाली फ़सल है लोबिया
लोबिया की खेती भी किसानों के लिए फायदेमंद है, क्योंकि इसे सब्ज़ी के साथ ही दाल की तरह भी इस्तेमाल किया जा सकता है। लोबिया की फलियों की सब्ज़ी बनती है। डॉ. रुमा बताती हैं कि लोबिया एक बहुत अच्छी फ़सल है, क्योंकि ये कभी फेल नहीं होती है। यानी हर तरह की परिस्थिति में इसकी फ़सल हो जाती है, साथ ही ये ये मिट्टी को भी उपजाऊ बनाती है। लोबिया प्रोटीन का बेहतरीन स्रोत भी है।
अन्य फ़सलों का उत्पादन
पंजाब के किसानों के लिए हल्दी की दो क़िस्में उगाना फायदेमंद है। प्रोफेसर रुमा कहती हैं कि हल्दी की क़िस्म पंजाब हल्दी1 और पंजाब हल्दी 2 दोनों ही अच्छी है। पंजाब हल्दी 1 का उत्पादन करीब 108 क्विंटल प्रति एकड़ होता है, जबकि पंजाब हल्दी 2 क़िस्म का उत्पादन 120 क्विंटल प्रति एकड़ होता है। हालांकि करक्यूरिम की मात्रा पंजाब हल्दी 1 में अधिक होती है। इसके अलावा किसान पंजाब शकरकंदी 21 भी लगा सकते हैं। इसका उत्पादन 200 क्विंटल प्रति एकड़ होता है।
गाजर की 4 क़िस्मों का उत्पादन
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय में मूली, गाजर, शलजम भी लगाई जाती है। प्रोफेसर रुमा कहती हैं कि गाजर में 4 तरह की क़िस्में हैं। लाल गाजर का उत्पादन 260 क्विंटल प्रति एकड़ तक हो जाता है। वैसे तो चारों ही क़िस्में बहुत पौष्टिक होती है, मगर पीली गाजर को आंखों के लिए खासतौर पर अच्छा माना जाता है। इसक अलावा पंजाब जामुनी क़िस्म की गाजर दो रंग की होती है, बाहर से बैंगनी और अंदर से उसका प्लप नारंगी रंग का होता है। काली गाजर यानी पंजाब ब्लैक ब्यूटी आयरन का बेहतरीन स्रोत है। इसे एंटी कैंसरस भी माना जाता है।
कद्दू-करेले की उन्नत क़िस्में
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय में प्रदर्शनी के लिए दर्जनों क़िस्म की सब्ज़ियों का उत्पादन किया जाता है ताकि किसान अपनी पसंद की सब्ज़ी लगा सके। कद्दू की हलवा क़िस्म बहुत अच्छी मानी जाती है, ये वायरस प्रतिरोधी है और उत्पादन 137 क्विंटल प्रति एकड़ तक होता है। इस क़िस्म की खासियत ये हैं कि आम कद्दू की तरह बहुत बड़ी नहीं होती है और न ही इसकी बेल बहुत बढ़ती। कद्दू का साइज़ एक से डेढ़ किलो तक ही होता है।
कद्दू के अलावा लौकी का अच्छा उत्पादन लेने के लिए किसान पंजाब कोमल क़िस्म लगा सकते हैं। ये गोल लौकी है जिसकी उत्पादन बहुत अधिक होता है। एक बार लगा देने पर ये लगातार फल देती रहती है और प्रति एकड़ करीब 200 क्विंटल तक इसका उत्पादन होता है। जो किसान करेला लगाना चाहते हैं उनके लिए पंजाब झाड़ करेला अच्छा रहेगा। करेले की ये क़िस्म मधुमेह के मरीज़ों के अच्छी मानी जाती है। इस क़िस्म के करेले बहुत छोटे-छोटे और खाने में स्वादिष्ट होते हैं।
उन्नत क़िस्मों के साथ ही अगर किसान वैज्ञानिक तरीके से खेती करें, तो अच्छा मुनाफ़ा कमा सकते हैं। अच्छी फ़सल के लिए उन्हें पौधे से पौधे की दूरी 60 से 75 सेंटीमीटर और दो पंक्ति के बीच 1.5 से 2 मीटर की दूरी रखनी चाहिए। साथ ही खाद आदि भी समय पर और सही तरीके से डालना चाहिए।
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