मौजूदा कोरोना लहर के दिनों-दिन भयावह होते जाने के बावजूद किसान नेता अपने आन्दोलन और धरना-प्रदर्शन से पीछे हटने को तैयार नहीं है। तीनों विवादित कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ राजधानी दिल्ली के हरियाणा और उत्तर प्रदेश से सटी सीमाओं पर किसानों का धरना जारी है।
इस बीच, ऐसी अफ़वाहें भी उड़ती रही हैं कि कोरोना के हालात को देखते हुए सरकारें ज़बरन आन्दोलन को ख़त्म करवाकर किसानों को उनके घरों को वापस भेजने की कोशिश कर रही हैं।
टिकैत की चेतावनी
इसी सिलसिले में 21 अप्रैल को कुंडली बॉर्डर पर पहुँचे भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने केन्द्र सरकार को चेतावनी दी है कि वो आन्दोलन को ज़बरन ख़त्म करवाने की कोशिश नहीं करें, वर्ना गाँवों में बीजेपी के किसी भी नेता को घुसने नहीं दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन लगने के बावजूद आन्दोलन नहीं थमेगा। टिकैत, सोनीपत ज़िले के राई कस्बे में एक ढाबे पर पत्रकारों से बात कर रहे थे।
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केन्द्र सरकार पर दमनकारी होने का आरोप
उधर, किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी समेत प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं का भी कहना है कि जब तक तीनों कृषि क़ानूनों के पूरी तरह से वापस लिये जाने तक उनके आन्दोलन के ख़त्म होने की कोई गुंज़ाइश ही नहीं है। चढ़ूनी ने कहा कि केन्द्र सरकार अपने दमनकारी रवैये पर क़ायम है इसीलिए आन्दोलन की मदद करने के लिए आगे आने वाले लोगों को ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) का नोटिस भिजवाया जा रहा है।
किसान नेताओं के इन तेवरों से लगता नहीं कि आन्दोलन जल्द ख़त्म हो पाएगा। हालाँकि, ज़मीनी सच्चाई ये भी है कि रबी की फसलों की कटाई और कोरोना के दिनों-दिन विकराल रूप धारण करने की वजह से प्रदर्शनकारी किसानों की तादाद में भारी गिरावट आयी है। बहरहाल, दिल्ली-एनसीआर के टीकरी, सिंघु, शाहजहांपुर और ग़ाजीपुर बार्डर पर किसानों का धरना 28 नवम्बर से जारी है।