जूट की खेती करने वाले किसानों के लिए बड़ी खुशखबरी, सरकार ने लिया ये फैसला

जूट की खेती करने वाले किसानों के लिए सरकार पैकेजिंग के लिए हर साल लगभग 8,000 करोड़ रुपये के जूट के बैग खरीदती है।

जूट की खेती करने वाले किसानों के लिए बड़ी खुशखबरी

जूट की खेती करने वाले किसानों के लिए केंद्र सरकार का बड़ा फैसला। अब चीनी की 20 प्रतिशत पैकेजिंग और खाद्य-पदार्थों की पैकेजिंग के लिए जूट की बोरियों का इस्तेमाल अनिवार्य होगा।किसी और चीज के इस्तेमाल करने पर पूरी पाबंदी होगी। सरकार का कहना है जेपीएम अधिनियम के तहत इस कदम से 40 लाख किसानों और 3.7 लाख श्रमिकों को फ़ायदा मिलेगा। इसके साथ ही बोरियों की सप्लाई भी किसानों की ओर से की जाएगी।

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जूट की खेती करने वाले किसानों के लिए बड़ी खुशखबरी, सरकार ने लिया ये फैसला

जूट की खेती करने वाले किसानों को कैसे मिलेगा फ़ायदा ?

देश के कई राज्यों जैसे बिहार, बंगाल, ओडिशा और असम में कुल मिलाकर लगभग 16 लाख एकड़ भूमि में जूट पैदा किया जाता है। जूट उद्योग के कुल उत्पादन का 75 प्रतिशत जूट सेकिंग बैग हैं जिसका औसत उत्पादन लगभग 30 लाख गांठ यानी 9 लाख मीट्रिक टन है। आम बोलचाल की भाषा में कहें तो जूट की बोरी और कट्टा। सरकार पैकिंग के लिए हर साल लगभग 8,000 करोड़ रुपये के जूट सेकिंग बैग खरीदती है।

जूट की खेती करने वाले किसानों के लिए काम की जानकारी
जूट की खेती – Jute Farming (तस्वीर साभार: Business Standard)

जूट की खेती करने वाले किसानों के लिए बड़ी खुशखबरी, सरकार ने लिया ये फैसला

प्लास्टिक के बैगों की के बढ़ती डिमांड के कारण जूट की बोरियों का इस्तेमाल काफी कम हो गया था। इससे जूट के किसानों को काफी नुकसान झेलना पड़ रहा रहा था, लेकिन इस फैसले के बाद जूट किसानों और साथ ही इस धंधे से जुड़े श्रमिकों की भी आमदनी बढ़ने का अनुमान है।

GEM पोर्टल पर भी जल्दी ही जूट की बोरियों को बेचा जा सकेगा।भारत के किसानों और व्यापारियों को ऑनलाइन बाजार से जोड़ने के लिए जीईएम पोर्टल (GeM Portal) (Government e-Marketplace Portal) लॉन्च किया गया है।

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल। 
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