धान खरीद: 72 घंटे में भुगतान नहीं तो मिलेगा ब्याज, जानिए कितना
सीधे किसानों के बैंक अकाउंट में आएगा ब्याज का पैसा
सरकार ने जानकारी दी है कि 19 अक्टूबर तक धान खरीद के करीबन 4157 करोड़ रुपये DBT यानि डायरेक्ट बेनिफ़िट ट्रांसफर के ज़रिए किसानों के खातों में पहुंच चुके हैं। सरकार ने फसलों के भुगतान की समय सीमा 72 घंटे तय की है।
हरियाणा में धान की खरीद (Paddy Procurement) ज़ोरों पर चल रही है। खरीफ़ खरीद सीज़न 2021-22 में धान की खरीद तीन अक्टूबर से 200 खरीद केंद्रों पर की जा रही है। न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 1960 रुपये प्रति क्विंटल की दर से सरकार किसानों से धान खरीद रही है। 19 अक्टूबर तक की कुल खरीद 29,37,882 टन हो चुकी है। जिस तेज़ी से खरीदी चल रही है उससे अनुमान लगाया जा रहा है कि इस साल पिछले साल की तुलना में ज़्यादा धान खरीद होगी।
पिछले साल सीज़न 2020-21 में हरियाणा सरकार ने कुल 56.55 लाख मिट्रिक टन धान खरीदा था। अभी धान की खरीद (Paddy procurement) प्रक्रिया 15 नवंबर तक चलेगी। खरीद में कोई गड़बड़ी न हो इसकी निगरानी के लिए आईएएस अधिकारियों को ज़िम्मेदारी सौंपी गई है।
भुगतान में देरी, किसानों को मिलेगा मुआवजा
सरकार ने जानकारी दी है कि 19 अक्टूबर तक करीबन 4157 करोड़ रुपये DBT यानि डायरेक्ट बेनिफ़िट ट्रांसफर के ज़रिए किसानों के खातों में पहुंच चुके हैं। सरकार ने फसलों के भुगतान की समय सीमा 72 घंटे तय की है। अगर 72 घंटे के अंदर किसानों को भुगतान नहीं होता है तो उन्हें इसका ब्याज दिया जाएगा। राज्य के कृषि मंत्री जय प्रकाश दलाल ने ये जानकारी दी।
पिछले सीज़न में भुगतान में देरी की वजह से किसानों को एक करोड़ रुपये से ज़्यादा का ब्याज दिया गया था। रबी सीजन के दौरान देरी होने पर किसानों को 9 प्रतिशत ब्याज दर से भुगतान किया गया था। खरीफ़ सीज़न में भी इस नियम को लागू किया गया है। ब्याज का पैसा भी सीधे किसानों के बैंक अकाउंट में आएगा।
भुगतान में देरी की वजह
पिछले दिनों कुछ किसानों की शिकायत थी कि उन्हें हफ़्ता भर बीत जाने के बाद भी अपनी उपज का पैसा नहीं मिला। पहले जहां उपज बेचने के तुरंत बाद सीधा आढ़तियों से पैसा मिल जाता था, अब पैसा बैंक अकाउंट में आता है। भुगतान को लेकर आढ़तियों की भूमिका को खत्म कर दिया गया है।
बैंक में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के ज़रिए जो पैसा आता है उसकी एक पूरी प्रक्रिया है। गेट पास से लेकर जे-फ़ॉर्म, आई-फ़ॉर्म, एच-फ़ॉर्म और मंडियों से उपज उठाने की पूरी जांच-पड़ताल और फिर मिलान की प्रक्रिया ज़रूरी होती है। इसके बिना भुगतान नहीं होता। अब सरकार के 72 घंटे तक भुगतान करने के निर्देश से भुगतान की प्रक्रिया में और तेज़ी आने की उम्मीद है।
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तस्वीर साभार: FCI Haryana