Green Chilli: हरी मिर्च की खेती से राम किशोर ने दूर की अपनी आर्थिक तंगी, मिला रोज़गार और रुका पलायन

मध्य प्रदेश के एक किसान ने हरी मिर्च की खेती से न सिर्फ़ अपनी आमदनी में इज़ाफ़ा किया, बल्कि रोज़गार और पलायन जैसी बड़ी समस्याओं को भी दूर किया है। कैसे वैज्ञानिक सलाह पर उन्होंने काम किया? कितना मुनाफ़ा उन्होंने कमाया? जानिए इस लेख में।

Green Chilli हरी मिर्च की खेती

हरी मिर्च की खेती वैज्ञानिक तकनीक से की जाए तो इसकी पैदावार अधिक हो सकती है। भारत में आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, ओडिशा, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल और राजस्थान प्रमुख मिर्च उत्पादक राज्य हैं। ये राज्य कुल उत्पादन का 80 फ़ीसदी मिर्च उगाते हैं। मध्य प्रदेश के एक किसान ने हरी मिर्च की खेती से न सिर्फ़ अपनी आमदनी में इज़ाफ़ा किया, बल्कि रोज़गार और पलायन जैसी बड़ी समस्या को भी दूर किया है।

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तस्वीर साभार: farmingindia

आमदनी में हुई भारी गिरावट

मध्य प्रदेश का टीकमगढ़ ज़िला सूखे की समस्या से ग्रस्त था। इस कारण कई ग्रामीण लोग पलायन को मजबूर हुए। ज़िले के ज़्यादातर किसानों के पास एक हेक्टेयर से भी कम भूमि थी। पुरानी किस्मों के इस्तेमाल और कीटनाशकों के अंधाधुंध प्रयोग के कारण ज़िले में सब्जियों की उत्पादकता बहुत कम हो गई थी। टीकमगढ़ के ही रहने वाले राम किशोर राय सोयाबीन, चना और उड़द जैसी फसलों की खेती किया करते थे। इससे उन्हें ज़्यादा आमदनी नहीं होती थी। परिवार की रोज़मर्रा की ज़रूरतों को पूरा करना भी मुश्किल हो पाता था। उनकी आर्थिक स्थिति खराब होती जा रही थी। बेटों को रोज़गार की तलाश में आस-पास के शहरों में जाना पड़ता था।

वैज्ञानिक सलाह पर हाइब्रिड किस्म की मिर्च लगाई

इस बीच राम किशोर राय कृषि विज्ञान केंद्र (Krishi Vigyan Kendra, KVK) टीकमगढ़ के संपर्क में आए। केवीके के वैज्ञानिकों ने उपलब्ध संसाधनों को देखते हुए उन्हें संकर मिर्च यानी हाइब्रिड किस्म की मिर्च उगाने की सलाह दी। वो केवीके द्वारा आयोजित फ्रंट लाइन डिमॉन्स्ट्रेशन के परिणामों से प्रेरित हुए। उन्होंने हरी मिर्च की खेती से जुड़ी हर ज़रूरी ट्रेनिंग हासिल की। उन्नत तकनीकों के बारे में जाना। उन्होंने अपनी 1/3 एकड़ भूमि पर मिर्च की हाइब्रिड किस्म ‘दिशा’ लगाई। जून के महीने में नर्सरी तैयार की और जुलाई के महीने में 60 सेंटीमीटर x 45 सेंटीमीटर की दूरी पर रोपाई की।

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राम किशोर राय के खेत में लगी मिर्च (तस्वीर साभार: jawaharlal nehru krishi vishwavidyalaya)

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मुनाफ़ा बढ़ा, रोज़गार मिला और पलायन रुका

रोपण के तीन महीने बाद, अक्टूबर तक हरी मिर्च की 6 तुड़ाई की गई। इससे उन्हें प्रति एकड़ लगभग 69 हज़ार रुपये की आमदनी हुई। उन्हें प्रति एकड़ कुल 12 हज़ार रुपये की लागत आई। राम किशोर के तीन बेटों ने भी पिता का हाथ बंटाना शुरू कर दिया। वो भी पिता के साथ खेती के कामों में लग गए। इस तरह स्वरोजगार मिला और पलायन को मजबूर ग्रामीण युवाओं की समस्या हल हुई।

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राम किशोर राय को हुई हरी मिर्च की अच्छी उपज प्राप्त (तस्वीर साभार: jawaharlal nehru krishi vishwavidyalaya)

हरी मिर्च की खेती के लिए मिट्टी और जलवायु

हरी मिर्च की खेती हर तरह की भूमि में की जा सकती है। ध्यान रखें कि मिट्टी में कार्बनिक पदार्थ की मात्रा पर्याप्त हो। मिर्च की फसल जलभराव वाली स्थिति सहन नही कर पाती। इसलिए खेत में जल निकासी की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए।

हरी मिर्च की खेती के लिए 15 से 35 डिग्री सेल्सियस का तापमान और गर्म आर्द जलवायु उपयुक्त होती है। हरी मिर्च की फसल पर पाले का प्रकोप अधिक होता है। इसलिए इसका भी ध्यान रखना चाहिए।

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तस्वीर साभार: agrigoaexpert

तोड़ाई और भंडारण 

हरी मिर्च की तोड़ाई फल लगने के करीब 15 से 20 दिनों बाद करनी चाहिए। पहली और दूसरी तोड़ाई में करीब 12 से 15 दिनों का अंतर होना चाहिए। फल की तोड़ाई अच्छी तरह से तैयार होने पर ही करनी चाहिए। हरी मिर्च को 7 से 10 से. तापमान और 90-95 प्रतिशत आर्द्रता पर 14-21 दिन तक भंडारित किया जा सकता है। भण्डारण ऐसी जगह करें जहां अच्छा वेंटिलेशन हो। 

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तस्वीर साभार: agrigoaexpert

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सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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